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korea latest news: कोरिया के खरीदी केंद्र में धान बेचने आये किसान परेशान, कोई नहीं ले रहा सुध

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Published : Jan 21, 2023, 12:12 AM IST

Farmers upset in paddy procurement center in Korea
धान बेचने आये किसान परेशान

कोरिया के छिंदडांड़ आदिम जाति सहकारी सेवा समिति में धान बेचने आए किसान परेशान हो रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है. धान खरीदी केंद्र में किसानों को स्वयं पल्लेदारी करनी पड़ रही है. सारा मामला कोरिया जिला के कलेक्ट्रेट कार्यालय से लगे हुए आदिम जाति सहकारी सेवा समिति छिंदडांड़ का है.

खरीदी केंद्र में धान बेचने आये किसान परेशान

कोरिया: छिंदडांड़ आदिम जाति सहकारी सेवा समिति में धान बेचने आए किसान को स्वयं पल्लेदारी करनी पड़ रही है. कोरिया जिला के कलेक्ट्रेट कार्यालय से लगे हुए आदिम जाति सहकारी सेवा समिति छिंदडांड़ में असुविधाओं का आलम देखने को मिल रहा है. लेकिन किसानों की कोई सुध लेने को तैयार नहीं है.

किसानों ने सुविधा मुहैया नहीं कराने का लगाया आरोप: कोई एक ओर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार जहां किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए पूरा जोर दे रही है. सरकार धान बेचने आये किसानों को धान खरीदी केंद्रों में सभी सुविधाएं होने के बात कह रही है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. यहां धान बेचने आये किसानों को कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही है. किसानों को धान बेचने के लिए कड़ी मश्क्कत करनी पड़ रही है.

तुलाई से लेकर पल्लेदारी करने के लिए किसान मजबूर: किसानों का आरोप है कि "वह खुद अपनी धान की तौलाई से लेकर पल्लेदारी कर रहे है. यदि किसान पल्लेदारी नहीं करते हैं, तो उनको कई दिनों तक धान खरीदी केंद्र में रहना पड़ जाता. जिससे मजबूर होकर स्वयं किसान पल्लेदारी करता है, लेकिन कोई इनकी सुध लेने वाला नहीं है. जबकि धान खरीदी केंद्र से कुछ दूरी पर ही जिले के आला अधिकारियों का दफ्तर है.

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किसानों ने लगाए गंभीर आरोप: स्थानीय किसान राजेंद्र बताते हैं कि "हमें धान बेचने के साथ साथ पल्लेदारी भी करना पड़ता है. धान बेचने के बाद ऊपर तक बोरियों को जमाना पड़ता हैं. यदि ये सब नहीं करते, तो हमारे धान की खरीदी नहीं हो पाती है. हमें ही अगर धान की बोरियों को तौलाकर स्टॉक तक ले जाना पड़ता है. बोरियों को स्टॉक में जब जमाकर रख नहीं देते, तब तक एंट्री नहीं की जाती है,धान ऐसे ही पड़े रह जाते हैं."



क्या कहते हैं अधिकारी: पूरे मामले में समिति प्रबंधक नरेंद्र शर्मा का कहना है कि "यहां सारी व्यवस्था उपलब्ध है. किसान अपनी स्वेच्छा के काम करते हैं. जिनको जल्दी घर जाना होता है, वही सहयोग करते हैं."

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