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Baikunthpur Election Result 2023 : बैकुंठपुर विधानसभा से कांग्रेस की अंबिका सिंहदेव चुनाव हारी

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Published : Aug 19, 2023, 6:15 PM IST

Updated : Dec 3, 2023, 4:34 PM IST

LIVE Baikunthpur , Chhattisgarh Vidhan Sabha Chunav, Assembly Elections Result 2023 News Updates छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं. आईए आपको बताते हैं बैकुंठपुर सीट का हाल Baikunthpur Assembly seat

koriya assembly seat profile
जानिए बैकुंठपुर विधानसभा का हाल

कोरिया : कोरिया जिले की बैकुंठपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक अंबिका सिंहदेव चुनाव हार गई हैं. भाजपा के भैयालाल राजवाड़े चुनाव जीत गए हैं. साल 2018 के चुनाव में अंबिका सिंहदेव ने पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े को हराया और विधायक बनी. प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बैकुंठपुर विधानसभा सीट हमेशा से ही चर्चा में रही है. प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र की राजनीतिक विरासत भी समृद्ध है.

क्या है बैंकुठपुर का इतिहास ? बैकुंठपुर विधानसभा सीट में राजघराने का बड़ा हस्ताक्षेप होता है. लेकिन कोरिया कुमार के राजनीति से संन्यास लेने के बाद बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था. वहीं कोरिया कुमार की मृत्यु के बाद उनकी भतीजी अम्बिका सिंहदेव ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. इस विधानसभा से ही पूर्व मंत्री भईयालाल राजवाड़े दो बार विधायक रहे हैं. इस लिहाज से यहां जिला विभाजन, विकास और स्थानीय मुद्दों को लेकर 2023 विधानसभा चुनाव में काफी गहमा-गहमी भरा चुनावी संग्राम होने के आसार है।

साल 2018 का चुनावी परिणाम : साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बैकुंठपुर सीट से रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी अंबिका सिंहदेव को मैदान में उतारा था. जिन्होंने बीजेपी के कद्दावर नेता भईयालाल राजवाड़े को चुनाव में शिकस्त दी थी. अंबिका सिंहदेव को इस चुनाव में 48 हजार 885 मत मिले थे. जबकि भैयालाल राजवाड़े को 43 हजार 546 ही मत हासिल हुए थे. 5339 मतों से अंबिका सिंहदेव ने चुनाव जीता. जिन्हें सरकार ने बाद में संसदीय सचिव भी बनाया.इस विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संजय सिंह कमरो को 20 हजार 247 मत मिले थे.

राजपरिवार का सीट पर है दबदबा : बैकुंठपुर विधानसभा सीट में हमेशा से ही राजपरिवार का दबदबा रहा है. कांग्रेस के डॉ रामचंद्र सिंहदेव 1967, 1972, 1990, 1993, 1998 और 2003 में कुल छह बार इस सीट से विधायक चुने गए. 1980 में हुए विधानसभा के चुनाव में देवेंद्र कुमारी कांग्रेस से चुनाव जीती थीं. जबकि 2018 में अंबिका सिंहदेव ने जीत दर्ज की. इस सीट पर 13 बार चुनाव हुए हैं. जिसमें आठ बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है.

राजपरिवार के सदस्य को टिकट नहीं देने पर हार : कांग्रेस ने यहां से जब भी राजपरिवार का टिकट काटकर अन्य दावेदार को मैदान में उतारा वो चुनाव हार गई. 2008 और 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने वेदांती तिवारी को टिकट दिया. लेकिन वेदांती तिवारी भैयालाल रजवाड़े से हार गए. लेकिन साल 2018 में अंबिका सिंहदेव को प्रत्याशी बनाते ही इस सीट की तस्वीर बदल गई.अंबिका सिंहदेव ने अपने पहले ही चुनाव में तत्कालीन मंत्री भैयालाल राजवाड़े को चुनाव हरा दिया.यहां राजपरिवार का वर्चस्व कांग्रेस संगठन में भी है. इसलिए राजपरिवार को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा. बैकुंठपुर पैलेस और राजपरिवार यहां की मुख्य पहचान है.

बैकुंठपुर में मुद्दे और समस्याएं : जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल बैकुंठपुर में केवल सर्दी-खांसी समेत थोड़ी बहुत बीमारियों का चेकअप हो पाता है. हाई टेक सुविधाएं अब तक नहीं पहुंच सकी है. सिटी स्कैन की सुविधा भी चालू नहीं है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी हवाई पट्टी के लिए अब तक भूमि का चयन न होना. पटना को नगर पंचायत का दर्जा न मिल पाना.पटना में जिला सहकारी बैंक का लाभ लोगों को ना मिलना समेत जिला विभाजन जैसे मुद्दे विधानसभा चुनाव में हावी रहेंगे.

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दोनों ही पार्टियां के लिए मुश्किल : वहीं दोनों ही पार्टी में गुटबाजी चरम पर है. टिकट लेने की होड़ मची मची हुई है. पार्टियों को गुटबाजी से दूर रहकर चुनाव लड़ना एक बड़ी चुनौती है.हाल ही में हुए जिला पंचायत के उप चुनाव में पूर्व विधायक राजवाड़े की बहू ने 13 हजार मतों से जीत हासिल की थी.कई ग्राम पंचायत में कांग्रेस प्रत्याशी का खाता भी नहीं खुला जो कि कांग्रेस के अंदर गुटबाजी का परिणाम था. अब भी कांग्रेस के अंदर विधानसभा में गुटबाजी हावी है. वहीं बीजेपी के अंदर अभी से टिकट पाने के लिए दावेदार सामने आ रहे हैं. जो कहीं ना कहीं टिकट नहीं मिलने पर विरोध कर सकते हैं.

Last Updated : Dec 3, 2023, 4:34 PM IST
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