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मेडिकल इमरजेंसी आए तो इस तरह CPR देकर बच सकती है मरीज की जान

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Published : Oct 12, 2022, 10:51 AM IST

Updated : Oct 12, 2022, 1:18 PM IST

CPR देकर बच सकती है मरीज की जान
CPR देकर बच सकती है मरीज की जान

कमला नेहरू कॉलेज में मंगलवार को कार्डियोपल्मोनरी रेसेसेटेशन (सीपीआर) पर एक सेमिनार का आयोजन हुआ है, जिसमें फर्स्ट एड ट्रेनर बसंत बरेठ ने प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं के समक्ष सीपीआर क्या है? पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

कोरबा: कमला नेहरू कॉलेज में मंगलवार को कार्डियोपल्मोनरी रेसेसेटेशन (सीपीआर) पर एक सेमिनार का आयोजन हुआ है, जिसमें फर्स्ट एड ट्रेनर बसंत बरेठ ने प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं के समक्ष सीपीआर क्या है? इसकी जरूरत और इस्तेमाल करने के सही तकनीकी प्रक्रिया पर डेमो देकर मार्गदर्शन प्रदान किया. इस दौरान महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने प्रायोगिक तौर पर व्यक्ति के डमी पुतले पर सीपीआर की विधि सीखने को प्रयास किया. जिसकी प्रक्रिया का आंकलन मशीन के माध्यम से किया गया.

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एक तरह की मसाज प्रक्रिया: फर्स्ट एड ट्रेनर बसंत बरेठ ने बताया कि मुख्यत: सीपीआर एक तरह की छाती की मसाज प्रक्रिया है. इसके तहत मरीज या किसी अनकांशियस स्टेज पर गए व्यक्ति को आर्टिफिशल तरीके से आक्सीजन दिया जाता है ताकि ब्रेन को आक्सीजन मिलता रहे. चिकित्सकों के अनुसार कार्डिएक अरेस्ट के समय सीपीआर से मरीज के बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है, क्योंकि 3 मिनट तक ब्रेन को आक्सिजन नहीं मिला, तो ब्रेन काम करना बंद कर देता है. कार्डिएक अरेस्ट के दौरान दिल की गति अचानक से एकदम थम जाती है. हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट दोनों अलग-अलग समस्याएं हैं. हालांकि हार्ट अटैक के ठीक बाद या रिकवरी के बाद कार्डिएक अरेस्ट हो सकता है. वैसे तो कार्डिएक अरेस्ट होने से पहले कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, यह एक मेडिकल इमरजेंसी है, फिर भी आपके सामने किसी को यह समस्या हो जाए, तो उसे तुरंत सीपीआर देकर बचाने की संभावनाएं बढ़ा सकते हैं.

CPR देकर बच सकती है मरीज की जान
जीवन रक्षा के लिए अहम है यह प्रशिक्षण: केएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने कहा कि कब किसी को ऐसी आपात स्थिति से गुजरना पड़े, इसका जवाब तो कोई नहीं दे सकता, लेकिन जब जरूरत पड़े, तो सीपीआर की सही विधि का ज्ञान हो तो प्राथमिक तौर पर किसी व्यक्ति की जान बचाने का एक प्रयास तो किया जा सकता है. यहां मिला ज्ञान किसी की जिंदगी सुरक्षित करने में मददगार साबित हो सकता है. यही जरूरत समझते हुए महाविद्यालय के प्राध्यापकों, कर्मियों और विद्यार्थियों के लिए यह विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें थ्योरी के साथ प्रायोगिक तौर पर भी स्वयं आजमाते हुए सीपीआर की तकनीकी विधि से अवगत हुए. कोई भी इंसान अगर अचानक से गिर जाए और पूरी तरह अचेतन अवस्था में चला जाए. हृदय की गतिविधियां बंद होने के साथ ही शरीर से कोई प्रतिक्रिया न मिले, तो उसे सीपीआर देना चाहिए.
Last Updated :Oct 12, 2022, 1:18 PM IST
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