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बिन खाद खेती सून: बिलासपुर में खाद संकट से अन्नदाता परेशान, प्रशासन के दावे खोखले !

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Published : Jul 26, 2022, 10:12 PM IST

Farmers upset due to fertilizer
बिलासपुर में खाद संकट

छत्तीसगढ़ में खाद की किल्लत खत्म होने का नाम नहीं ले रही (Agriculture affected without fertilizer) है. बिलासपुर में भी खाद संकट ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी (Farmers upset due to fertilizer crisis) है. जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि जल्द से जल्द खाद मुहैया करा दिया ( fertilizer crisis in Bilaspur) जाएगा. लेकिन बिलासपुर की सोसायटी में यूरिया खाद और डीएपी तक किसानों को नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने सरकार और जिला प्रशासन से सवाल पूछा है कि बिन खाद खेती कैसे (Lack of urea fertilizer and DAP in Chhattisgarh) होगी. ?

बिलासपुर: बिलासपुर में खाद संकट के हालात पैदा हो गए हैं . किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से डीएपी खाद नहीं मिल रहा (Agriculture affected without fertilizer) है. खाद की कमी ना हो इसके लिए किसान सोसाइटी से लेकर कृषि विभाग और जिला मुख्यालय पहुंच (Farmers upset due to fertilizer crisis) रहे हैं. लेकिन समितियों में डीएपी की जगह सुपर फास्फेट खाद का उपयोग करने की अब सलाह दी ( fertilizer crisis in Bilaspur) जा रही है. डीएपी की किल्लत होने के अंदेशे से किसान परेशान (Lack of urea fertilizer and DAP in Chhattisgarh) हैं.

बिलासपुर में खाद संकट से अन्नदाता परेशान
इस बार खरीफ सीजन में खेतों पर बीच के दाने नहीं पड़े हैं और आगामी दिनों में खाद संकट गहराने के संकेत मिलने लगे हैं. किसानों को खेती के लिए सबसे पहले डीएपी की जरूरत पड़ती है. लेकिन आवश्यकता अनुसार किसानों को इसकी आपूर्ति नहीं की जा रही है. समिति प्रबंधक डीएपी की जगह सुपरफास्फेट खाद का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं. जाहिर है किसानों से इस प्रकार वैकल्पिक व्यवस्था को अपनाने के लिए कहा जा रहा है. इससे आगामी दिनों में जिले में खाद संकट गहरा सकता है.

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डीएपी सहित खाद की कमी को लेकर से किसान परेशान: खेती किसानी शुरू होते ही किसानों को डीएपी और खाद की आवश्यकता पड़ती है. किसान बुआई के समय डीएपी और खाद का उपयोग करते हैं. लेकिन समितियों में उन्हें दोनों ही चीज नहीं मिल रही है. यही वजह है कि किसान जिला मुख्यालय पहुंचकर अपनी समस्या का समाधान करना चाहते हैं. किसानों की माने तो वह लंबे समय से डीएपी का उपयोग करते आ रहे हैं. लेकिन समितियों में डीएपी नहीं मिलने के बढ़ते दबाव को लेकर सोसाइटी में किसानों को दूसरी व्यवस्था के तहत सुपर फास्फेट का उपयोग करने की नसीहत दी जा रही है. इधर जिले में इस बार सुपर फास्फेट खाद का जिस मात्रा में भंडारण किया गया है उसे डीएपी आपूर्ति के संकट पर बल मिल रहा है.



अधिकारी खाद की व्यवस्था की कह रहे हैं बात: खाद और डीएपी की कमी को लेकर बिलासपुर कलेक्टर सौरभ कुमार ने कहा कि खाद की कमी पूरी कर ली गई है. लेकिन डीएपी की कमी होते रहती है जिसे भी पूरा करने की कोशिश की जा रही है. कलेक्टर के कथन से यह बात सही साबित हो रही है कि डीएपी की कमी तो जिले में है. खाद और डीएपी की कमी अब अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं. कलेक्टर ने कहा कि डीएपी की कमी पूरे सीजन रहती है. जिसे जरूरत पर पूरा किया जा रहा है.

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खाद की कमी को लेकर सरकार से बात की गई: खाद और डीएपी की कमी को लेकर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के सीईओ प्रभात मिश्रा ने कहा कि "हम सोसायटियों का विजिट करेंगे. समितियों में मार्कफेड के डबल लॉक सेंटर के माध्यम से वहां रासायनिक खाद का भंडारण किया जा रहा है. बिलासपुर जिले में रसायनिक खाद का भंडारण का लक्ष्य है 48 हजार 9 सौ क्विंटल है. अब तक जिले में 22 हजार 565 मीट्रिक टन रासायनिक खाद का भंडारण हो चुका है और 16 हजार 845 मीट्रिक टन का वितरण हो चुका है और 6 हजार 115 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है. राज्य शासन के नरवा,घुरवा के तहत वर्मी खाद का वितरण किया जा रहा है. यदि खाद की कमी हो रही है तो वर्मी खाद से उसे पूरा किया जा रहा है. डीएपी की कमी को लेकर राज्य सरकार से पत्राचार किया गया है.


विधानसभा के उप नेताप्रतिपक्ष कृष्णमूर्ति बांधी ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप: अधिकारियों के पास पहुंचने वाले किसान मस्तूरी विधानसभा के हैं. इसको लेकर मस्तूरी विधानसभा के विधायक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसान परेशान हैं. सोसाइटी में उन्हें खाद नहीं मिल रहा है और खुले बाजार में महंगे कीमत पर खाद की बिक्री हो रही है. शासन प्रशासन का इस पर कोई कंट्रोल नहीं है. यही नहीं सोसायटियों में किसानों के केसीसी के भी काम अटके हुए हैं. सोसायटिओं में केवल अव्यवस्था की स्थिति है. उन्होंने सरकार से व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है. वहीं इस मामले में उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों की समस्या का समाधान नहीं कर पाते हैं और हर चीज में केंद्र सरकार पर निशाना साधते रहते हैं. जिस काम को पहले कर लेना था उसे नहीं कर पाए हैं और अब किसान खाद की कमी से जूझ रहे हैं.

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