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2 साल में खंडहर बने स्कूल, पालकों ने कहा- क्या बच्चों की जिम्मेदारी लेगी सरकार ?

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Published : Jun 16, 2021, 10:52 AM IST

Updated : Jun 16, 2021, 11:19 AM IST

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68 स्कूल भवनों की हालत जर्जर

छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में स्कूल खोलने की तैयारी कर रही है. पैरेंट्स का कहना हैं कि वे तभी अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे जब वैक्सीनेशन और सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार ले. कांकेर की बात करें तो यहां स्कूल डेढ़ साल से बंद हैं. कई स्कूल भवनों की हालत भी जर्जर है. बारिश भी हो रही है, जिससे परिजनों को हादसे का भी डर है.

कांकेर: कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के लिए शासन-प्रशासन तैयारी कर रहा है. आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक हो सकती है. लेकिन इसी बीच छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री (Education Minister Premsai Singh tekam) ने इशारा किया है कि प्रदेश में जल्द की शिक्षण संस्थान खोले जा सकते हैं. ETV भारत ने कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर के बीच बच्चों, पैरेंट्स और टीचर से ये पता करने की कोशिश की कि सरकार के स्कूल खोलने के फैसले से वे कितने सहमत हैं ?

कांकेर में 68 स्कूल भवनों की हालत जर्जर

स्कूल खुलने के बाद भी बच्चों को भेजना नहीं चाहते पैरेंट्स

पैरेंट्स का कहना है कि स्कूल भले ही खुल जाएं पर वे अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजेंगे. कुछ पैरेंट्स का ये भी कहना है कि सरकार यदि बच्चों की जिम्मेदारी ले तो वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हैं. इधर टीचर्स भी शासन की बात से इत्तेफाक नहीं रखते. ज्यादातर टीचर्स ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि स्कूल को पूरी तरह से सैनिटाइज करना जरूरी है. बिना साफ-सफाई के बच्चों को स्कूल भेजना ठीक नहीं है. छोटे बच्चों का कहना है कि कोरोना से उन्हें डर लगता है इसलिए स्कूल अभी नहीं खुलने चाहिए.

डेढ़ साल में जर्जर हो गए कई स्कूल

ETV भारत की टीम कांकेर जिले के सुदूर वनांचल स्कूलों में पहुंची. जहां पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद होने के कारण स्कूलों की हालत काफी जर्जर हो गई है. पूरे स्कूल के ग्राउंड में घास उग आई है. साफ-सफाई का अभाव है. अंतागढ़ ब्लॉक के ज्यादातर नक्सल क्षेत्र के स्कूल जर्जर अवस्था में हैं. छत उधड़ी हुई है. दीवारों से पानी का रिसाव हो रहा है. बिना जर्जर भवनों की मरम्मत के स्कूल खोलना हादसों को चुनौती है. इस ब्लॉक के हिन्दूबिनापाल, सोडे, नुलेकि, मुरनार, चिपोंडी, चिंगनार सहित दर्जनों स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार प्रशासन से लेकर सरकार को नए स्कूल भवन निर्माण की गुहार लगा चुके हैं. लेकिन भवन निर्माण नहीं हुआ. ग्रामीणों का कहना है कि डेढ़ साल से स्कूल बंद होने से अब स्कूल गिरने की कगार पर आ चुके हैं.

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कई स्कूलों को बनाया गया था क्वॉरेंटाइन सेंटर

कोरोना की तेज रफ्तार, प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी के बाद जिले के ज्यादातर स्कूलों को क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया था. ऐसे में बिना सेनिटाइज के स्कूल खोलना कोरोना संक्रमण को खुला निमंत्रण होगा.

क्या कहते हैं पैरेंट्स

'स्कूल भेजना चाहती हूं लेकिन नहीं भेजूंगी'

ETV भारत से बात करते हुए चित्र रेखा पटेल ने बताया कि वे बच्चों को स्कूल भेजना चाहती हैं क्योंकि पिछले 2 सालों से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चे फोन लेकर बैठते हैं लेकिन क्या पढ़ रहे है ये पता ही नहीं चल रहा है. इससे बच्चों का काफी नुकसान हो रहा है. चित्र रेखा ने बताया कि वे चाहती जरूर हैं कि वे बच्चों को स्कूल भेजें लेकिन स्कूल खुलने के बाद भी वे बच्चों को पढ़ने नहीं भेजेंगी. उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार कोरोना से संक्रमित हो गया था. जिसके खौफ से अब तक वे निकल नहीं सके हैं. इसके साथ ही कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है इस तरह की बातें सामने आ रही है. लिहाजा वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए अभी वैक्सीन नहीं बनी है जिससे उन्हें ज्यादा संक्रमण का खतरा है.

'मौजूदा दौर में ऑनलाइन पढ़ाई ही ठीक'

सरला यादव बताती हैं कि छोटे बच्चे अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते. स्कूल में एक साथ कई बच्चे आएंगे. जो अलग-अलग लोगों के संपर्क में आएंगे. ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित नहीं है. उनका कहना है कि बच्चों को वैक्सीन लगवाने के बाद उन्हें स्कूल भेजना ठीक है. जब तक बच्चों की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक वे ऑनलाइन पढ़ाई से ही संतुष्ट हैं.

'स्कूल खुलने के बाद सरकार बच्चों की जिम्मेदारी ले'

राज कुमार नेताम का कहना है कि स्कूल जरूर खुलना चाहिए. क्योंकि दो सालों से बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. उनका कहना है कि स्कूल खोलने के बाद सरकार बच्चों की जिम्मेदारी ले तो वे बच्चों को जरूर पढ़ने भेजेंगे. उनका कहना है कि दूरस्थ क्षेत्रों में ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की शिक्षा का स्तर काफी निम्न हो रहा है. इसके साथ ही नेटवर्क की समस्या के कारण भी बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है. नकुल मंडावी बताते हैं कि स्कूल को सैनिटाइज करने के बाद बच्चों को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी सरकार लेती है तो वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे.

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टीचर्स की राय

  • टीचर नेहा साहू का कहना है कि स्कूलों को साफ-सफाई और सैनिटाइज के बाद ही स्कूल खोलना सही रहेगा.
  • टीचर नरेंद्र जुर्री कहते हैं कि स्कूल खोलना जरूरी है क्योंकि 2 सालों से बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. हालांकि उनका कहना है कि स्कूलों को पहले साफ-सफाई करना होगा. सैनिटाइज के बाद ही स्कूल खोलना ठीक रहेगा.

क्या कहते हैं छात्र ?

  • 7वीं कक्षा के छात्र यशदीप पटेल ने बताया कि अभी स्कूल नहीं खुलना चाहिए. क्योंकि बच्चों का वैक्सीन नहीं बना है. वैक्सीन बनने के बाद लगने पर ही वे स्कूल जाना चाहेंगे.
  • 6वीं क्लास की स्टूडेंट आकांक्षा यादव बताती है कि उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगता है क्योंकि उन्हें अपनी फ्रेंड्स के साथ खेलना अच्छा लगता है. लेकिन कोरोना से डर भी लगता है.
  • 12वीं की स्टूडेंट तरुणा पटेल कहती है कि अभी स्कूल नहीं खुलना चाहिए. तरुणा का कहना है कि वे बड़े है तो उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई के बारे में पता भी है लेकिन प्रायमेरी के बच्चों को कोविड प्रोटोकॉल पता नहीं है. जिसका वे स्कूल में पालन नहीं कर सकेंगे. ऐसे में इस समय स्कूल नहीं खुलना चाहिए.

68 स्कूल भवनों की हालत जर्जर

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 2441 प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक स्कूल हैं. जहां 1 लाख 49 हजार बच्चे पढ़ते हैं. जिले में 1591 प्राथमिक स्कूल के भवन हैं. 608 माध्यमिक स्कूल के भवन हैं. 160 हाई स्कूल के भवन हैं. 135 हायर सेकेंडरी स्कूल के भवन हैं. इसके साथ ही जिले में 68 स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं. जिसमें 55 प्राथमिक और 13 मिडिल स्कूल के भवन हैं.

स्कूल खुलने पर तैयारी पूरी: कलेक्टर चंदन कुमार

जिले के कलेक्टर चंदन कुमार का दावा है कि अगर शासन की तरफ से स्कूल खोलने का आदेश आता है तो इसकी पूरी तैयारी है. उनका कहना है कि स्कूलों की लगातार साफ-सफाई की जा रही है. कई बार स्कूलों को सैनिटाइज भी किया गया है. कलेक्टर चंदन कुमार ने बाताया कि नए भवनों के प्रस्ताव बना कर भेजा गया है. अभी तक नए भवन निर्माण के लिए स्वीकृति नहीं मिली है.

प्रशासन के अपने दावे हैं लेकिन बीहड़ क्षेत्रों में कोरोनाकाल के चलते करीब 2 सालों से बंद स्कूलों को खोलने से पहले सैनिटाइजिंग और साफ-सफाई काम धरातल पर कितना उतरता है ये आने वाला समय ही बताएगा. पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल तो भेजना चाह रहे हैं लेकिन सुरक्षा की जिम्मदरी कौन लेगा यह सवाल उठ रहे हैं.

Last Updated :Jun 16, 2021, 11:19 AM IST
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