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बस्तर के कांकेर का यह गांव स्वर्ग से कम नहीं, गीत के जरिए जानिए इसकी सुंदरता का राज

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 16, 2023, 6:18 PM IST

Updated : Dec 20, 2023, 11:00 PM IST

Kanker Tarandul village  beauty based Song
इस गांव की सुंदरता पर बनी गीत

Tarandul village beauty based Song बस्तर संभाग के कांकेर जिला में बसा तारन्दुल गांव अपनी खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है. इस गांव के एक शिक्षक ने इस गांव की सुंदरता पर एक गीत लिखा है. इस गीत को गांव के ही हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक प्रदीप सेन बोल दिया है. अब ये गीत हर किसी के जुबान पर रहता है. Ghati upar hai swarg jaisa mor tarandul goan

बस्तर के कांकेर का यह गांव स्वर्ग से कम नहीं

कांकेर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में प्राकृतिक सुंदरता का भंडार है. यहां की सुंदरता देखने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. हालांकि नक्सली दंश के कारण ये क्षेत्र विकास से अछूता है. बस्तर के कांकेर का एक गांव तारन्दुल की सुंदरता हर किसी का मन मोहने वाला है. प्राकृतिक वादियों से घिरे घाटी में स्थित वनांचल गांव तारन्दुल बेहद खूबसूरत है.

गांव के बच्चे बूढ़े गुनगुनाते हैं ये गीत: तारन्दुल गांव के मनोरम दृश्य पर एक गीत भी है. जिसे एक शिक्षक ने लिखा और गाया है. इस गाने को गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक गुनगुनाते रहते हैं. छत्तीसगढ़ी बोली में लिखा गया गाना “घाटी ऊपर है स्वर्ग जैसा मोर तारन्दुल गांव” गांव के प्राकृतिक वादियों घाटी की खूबसरती के साथ वहीं रहने वाले लोगों के बारे मे बंया करती है. इस गाने को स्कूली बच्चे से लेकर गांव के आस-पास के लोग भी गाते गुनगुनाते रहते हैं.

इन्होंने दिया इस गीत को बोल: इस गीत के बारे में ईटीवी भारत ने तारन्दुल गांव के हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक प्रदीप सेन से बातचीत की. यह गाना हमारे तारंदुल घाटी, जिसको हम 7 गांव पठार के नाम से जानते हैं. उसको समर्पित है. क्योंकि इस गाने में क्षेत्र की तमाम स्थिति परिस्थिति को समाहित किया गया है. इस गाने को बहुत सालों पहले स्कूल के ही दर्रो सर के नाम से पहचाने जाने वाले शिक्षक ने कविता के रूप में लिखा था. लेकिन जब मेरी वहां पर पोस्टिंग हुई तो मैंने इस गाने को एक बोल का रूप दिया. क्षेत्रीय बोली के रूप में इस गाने को मैंने बोल दिया और आज हर बच्चे के जुबान पर यह गाना रहता है. इस गांव में कोई भी कार्यक्रम होता है तो उसमें हम इस गाने को प्रमुख से पेश करते हैं. उसके बाद ही कार्यक्रम की शुरुआत होती है.

हर किसी की जुबां पर रहता है ये गीत: बता दें कि साल 2019 में भारत स्काउट गाइड का दुर्ग में एक समागम हुआ था. इसको रोवर रेंजर समागम कहते हैं. वहां इस गाने को राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला था. यहां गाना तरंदुल घाटी के साथ 7 गांव पठार के रहन-सहन, बोली-भाषा, किसानो के फसलों के उत्पादन को दर्शता है. तारंदुल गांव वनांचल क्षेत्र में होने के साथ ही एक नक्सल प्रभावित गांव भी है. यहां हर समय सुरक्षाबलों की सक्रियता बनी रहती है. यही कारण है कि अब नक्सली घटनाएं कम गई है. गांव के वादियों को दर्शाने के लिए इस गांव के हर बच्चे के जुबान में यह गाना रहता है.

गांव की सुंदरता पर लिखा गया गीत

जंगल झाड़ी नदिया नरवा, सुत‌के रद्दा जाव घाटी ऊपर हे.

सरग बरोबर मोर तरान्दुल गांव -मन भावन मोर गांव गली है.

मया के हाने छांव मया के, हाने छांव संगी- मोर तरान्दुल गांव.

हरिहर-हरिहर थान डोले खोचका डीपरा परिया ना-कोदो कुटनकी मठिया.

अड़िया होथे सबले बड़िया ना-कैसे बताव तोला रे संगी कैसे सुनावव ना.

रेहा के रेता राग फाग गा भीजे होते गोरे गांव- घाटी ऊपर हे.

सरग बरोबर भोर तरान्दुल गौतू - आमा अमली बॉस के भीर बन अमरईया छांव हे.

पीयर पीयर सरसो फूले है डूमर के मोरे छाँव हे.

कैसे बतावव तोला रे संगी कैसे सुनावव ना.

ईहा के मेला नोनी बाबू के टूमकत रही से पाव.

घाटी ऊपर हे संरंग बरोबर मोर तरान्दुल गांव.

जंगल झाड़ी नदिया नरवा घुलके रद्दा जांव- घाटी उपर हे.

सरग बरोबर ओर तरान्दल गांव- मन भावन मोर गांव गली है.

भया के हावे छांव भया के हावे छांव संगी - भोर तरान्दुल गांव.

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Last Updated :Dec 20, 2023, 11:00 PM IST
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