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कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण्य में दिखी विलुप्त हो रही तितलियां

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Published : Aug 30, 2020, 1:01 PM IST

Extinct butterflies seen in Bhoramdev abhayaran of Kawardha
दुर्लभ प्रजाति की तितली

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण्य में तितलियों की विलुप्त हो रही प्रजातियों को पाया है. उनका कहना है कि ये तितलियां भारत से विलुप्त हो रही थी, जो कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण्य में देखी गईं.

कवर्धा : सुप्रसिद्ध मैकल पर्वत माला श्रंखला में मौजूद भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण अब तितलियों की विभिन्न, दुर्लभ और विलुप्त प्रजातियों के बसेरा के लिए देश मे मशहूर होने जा रहा है. इस अभ्यारण्य में भारत से विलुप्त हो रही तितलियों की दुर्लभ प्रजाति 'स्पॉटेड एंगल' को देखा गया. जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण में किए गए सर्वे की रिपोर्ट में स्पॉटेड एंगल तितली का जिक्र नहीं है. छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के बाद भोरमदेव अभ्यारण में देखी गई तितलियों की यह दुर्लभ प्रजातियां बस्तर में रिकॉर्डेड 'एंगल पेरोट', 'ओरिएंटल चेस्टनट एंगल' तितलियों को बस्तर के अलावा भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण में देखा गया है.

Extinct butterflies seen in Bhoramdev abhayaran
दुर्लभ प्रजाति की तितली

भारत की दूसरे नंबर की आकार में सबसे बड़ी तितली 'ब्लू मॉर्मोन' तितली को भी भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण में देखा गया है. वन अधिकारियों तथा वन्य प्राणी में रूचि रखने वाली इस टीम की ओर से वन क्षेत्र में भ्रमण के दौरान दुर्लभ प्रजाति की तितली को पाया है.

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दुर्लभ प्रजाति 'स्पॉटेड एंगल' की खोज
वर्षा ऋतु के बाद अभ्यारण में शुरू होने वाले के लिए स्थल के निरीक्षण के दौरान वन मंडल अधिकारी दिलराज प्रभाकर, अधीक्षक मनोज कुमार शाह, परिक्षेत्र अधिकारी चिल्फी देवेंद्र गोंड, पर्यटन, पर्यावरण तथा वन्य प्राणी के व्यवहार में अध्ययन के साथ-साथ वन्य प्राणी रैस्क्यू में विशेष रुचि रखने वाले गौरव निल्हनी तथा वन्य प्राणी पशु चिकित्सक डॉक्टर सोनम मिश्रा एवं अन्य वन अधिकारियों की टीम ने तितली की दुर्लभ प्रजाति 'स्पॉटेड एंगल' की खोज की है.

Extinct butterflies seen in Bhoramdev abhayaran
दुर्लभ प्रजाति की तितली

2 लाख 50 हजार से अधिक प्रजातियां

मैकल पर्वत श्रंखला के मध्य 352 वर्ग किलोमीटर में फैले भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण अनेक वन्यजीवों, पक्षियों, सरीसृपों तथा दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास है, जो कि अभ्यारण में एक समृद्ध जैव विविधता का निर्माण करते हैं. विभिन्न वन्य प्राणियों एवं अनगिनत दुर्लभ वनस्पतियों के साथ भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण रंग-बिरंगी तितलियों का भी प्राकृतिक आवास है. विश्व में तितलियों और पतंगों की लगभग 2 लाख 50 हजार से अधिक प्रजातियां हैं, जिनमें से अभ्यारण में लगभग 90 से अधिक प्रजाति की तितलियों को देखा जा सकता है.

तितली की दुर्लभ प्रजाति

इनमें से ओरिएंटल चेस्टनट एंजल, एंगेल्ड पैरोट, कॉमन गल, कॉमन मॉर्मोन, चॉकलेट पेंसी, स्टाफ सार्जेंट, स्पॉटेड एंगल, कॉमन कैस्टर, कॉमन लेपर्ड, कॉमन वंडर्र, कॉमन जे, ब्लू मार्मोन, डेंगी बुश ब्राउन, ग्रेप पेनसी प्रमुख हैं. संपूर्ण अभ्यारण में अपने प्राकृतिक रहवास में पाई जाने वाली इन तितलियों को संरक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि लगातार घटते जंगलों एवं परभक्षियों से इन्हें बचाया जा सके. इनको संरक्षित करके न सिर्फ भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण की सुंदरता को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि इनका प्रयोग शोधार्थियों, वन्य प्रेमियों तथा जैव विविधता के अध्ययन में भी किया जा सकता है.

Extinct butterflies seen in Bhoramdev abhayaran
दुर्लभ प्रजाति की तितली

75 प्रतिशत खाद्य फसलें तितली पर निर्भर

जानकारों की माने तो अगर तितलियां विलुप्त होती हैं, तो हम चॉकलेट, सेब, कॉफी और अन्य खाद्य पदार्थों का आनंद हम नहीं ले सकेंगे. हमारे दैनिक अस्तित्व में जिसका महत्वपूर्ण असर पड़ेगा क्योंकि दुनियाभर में लगभग 75 प्रतिशत खाद्य फसलें इन परागणकर्ताओं पर निर्भर करती हैं.

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