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दुर्ग के ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों को नैतिक शिक्षा की अलख जगा रहीं श्रद्धा

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Published : Aug 6, 2022, 6:04 AM IST

Updated : Aug 6, 2022, 5:59 PM IST

दुर्ग की श्रद्धा साहू ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में जाकर बच्चों में नैतिक शिक्षा की अलख जगा रही (Shraddha Sahu is giving moral education in Durg) हैं.

Shraddha Sahu Durg
दुर्ग की श्रद्धा साहू

दुर्ग: दुर्ग की श्रद्धा साहू ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में नैतिक शिक्षा की अलख जगा रही (Shraddha Sahu is giving moral education in Durg ) हैं. दरअसल, आधुनिक युग में स्कूली पढ़ाई की रफ्तार और चकाचौंध भरी प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा पद्धति में नैतिक शिक्षा खो सी गई है. या फिर मात्र सतही स्तर तक ही स्कूली बच्चों को इसकी जानकारी दी जाती है. सरकारी स्कूलों की बात करें तो नैतिक शिक्षा की जानकारी शासकीय एजेंसियों या फिर न्यायायिक महकमे के द्वारा ही दी जाती है. लेकिन भिलाई की एक महिला ने बच्चों तक इसे पहुंचाने का दृढ़ संकल्प लिया है.

इन बातों को लेकर किया जागरूक: दुर्ग के लौह नगरी से लगा लोकनगर उमरपोटी नाम का एक इलाका है. यहां की रहने वाली श्रद्धा साहू ने बच्चों तक नैतिक शिक्षा देने के काम को अपने जीवन का लक्ष्य बना रखा है. इस कार्य में इनका साथ ग्रामीण क्षेत्र की कुछ महिलाएं भी देती हैं. महिलाओं की इस टोली ने निःस्वार्थ भाव से इसकी शुरुआत सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मरोदा टैंक स्कूल से की है. यहां प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल के बच्चों को गुड टच, बैड टच की बारीकियों से अवगत कराया. पॉक्सो कानून क्या है? किशोर न्याय अधिनियम 2015 में निहित बालकों के अधिकार क्या होते हैं? बाल श्रम क्या है? दत्तक ग्रहण योजना और भिक्षावृत्ति के बारे में कानूनी जानकारी दी. बर्तन बैंक और अन्य तरह के समाज सेवा कार्यों को भी यह टोली बखूबी अंजाम दे रही है. नारी सशक्तिकरण की दिशा में वे समाज में लंबे समय से काम कर रहीं हैं. उमरपोटी सहित कई ग्राम पंचायतों में स्टील बर्तन बैंक की स्थापना की गई है. स्कूलों में जाकर बच्चों को मोटिवेशन कार्यशाला के माध्यम से उन्हें सुरक्षित रहने के उपाय भी बताती हैं.

दुर्ग की श्रद्धा साहू

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बच्चों को मोबाइल से दूर रहने की अपील: श्रद्धा को बाल कल्याण समिति दुर्ग का सदस्य भी बनाया गया है. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मड़ौदा टैंक स्कूल में आयोजित कार्यशाला में श्रद्धा साहू ने शिक्षकों से स्कूलों में बच्चों के सामने मोबाइल का कम उपयोग करने की अपील की. खासकर क्लास में मोबाइल बंद रखने पर जोर दिया, ताकि बच्चे भी इससे सीख लें. उन्होंने स्कूल से संबंधित सूचना बच्चों के पालकों को स्कूल में ही डायरी के माध्यम से पेरेंट्स तक पहुंचाने पर जोर दिया. मरोदा स्कूल के प्रिंसिपल पी रमेश ने पालकों को आश्वस्त किया कि बच्चों और उनके माता-पिता के लिए ऐसे कार्यशाला का आयोजन करते रहेंगे. चाइल्ड लाइन के कार्यकर्ताओं के साथ बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति और उससे बचने के उपाय भी बताए गए.

Last Updated :Aug 6, 2022, 5:59 PM IST
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