ETV Bharat / state

इलेक्शन स्पेशल: बस्तर को 4 दशक बाद मिली वंशवाद से मुक्ति, नई पीढ़ी करेगी नेतृत्व

author img

By

Published : Mar 23, 2019, 3:54 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

बस्तर की सीट पर जीत दर्ज

चित्रकोट के युवा विधायक दीपक बैज और बैदुराम कश्यप को मिला टिकट.

जगदलपुर: बस्तर की राजनीति में तीन परिवारों का पिछले 40 सालों से दबदबा बना रहा है. कांग्रेस में मानकुराम सोढ़ी और महेंद्र कर्मा तो भाजपा में बलिराम कश्यप ऐसे वटवृक्ष थे जिनके नीचे कभी कोई नये पौधे पनप ही नहीं पाए. बस्तर की राजनीति चार दशक तक इन्हीं परिवारों के इर्दगिर्द परिक्रमा लगाती रही है. इससे इस धारणा ने जड़ें जमा ली कि इन परिवार और उनके वंशजों का बस्तर की राजनीति में कोई विकल्प नहीं है.

वीडियो

राजनीति में परिवर्तन हुआ है
इस मिथक को इस लोकसभा चुनाव में दोनों ही पार्टी के आलाकमान ने ध्वस्त कर दिया है. बस्तर के राजनीतिक विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार संजय पचौरी का कहना है कि इन दो नए प्रत्याशियों को टिकट दिए जाने से निश्चित तौर पर बस्तर की राजनीति में परिवर्तन हुआ है और वंशवाद को दर किनार कर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही बस्तर में नया दांव खेला है.

बैदुराम कश्यप को मिला टिकट
कांग्रेस ने पूर्व सांसद और मंत्री रहे मानकु राम सोढ़ी और पूर्व सांसद एवं मंत्री रहे महेंद्र कर्मा के परिवार से उनके बेटों की दावेदारी को अलविदा कहते हुए चित्रकोट के युवा विधायक दीपक बैज को टिकट देकर सभी को चौंका दिया है. वहीं बस्तर भाजपा के माटी पुत्र समझे जाने वाले बलीराम कश्यप के बेटे सिटिंग सांसद दिनेश कश्यप को किनारे करते हुए पूर्व विधायक बैदुराम कश्यप को टिकट देकर राजनीतिक समीक्षकों को चौंका दिया है.
किसान परिवारों से संबंध
यहां यह बताना जरूरी है कि कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज और भाजपा प्रत्याशी बैदूराम कश्यप के परिवार की कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है. दोनों ही साधारण किसान परिवारों से आते हैं और राजनीति में उनकी यह पहली खुद ही पीढ़ी है. दोनों ने ही अपने खुद के प्रयास और मेहनत से अपनी राजनीतिक पहचान बनाई है. ऐसा माना जाता रहा है कि बस्तर की राजनीति में बलीराम कश्यप परिवार और महेंद्र कर्मा परिवार का कोई भी विकल्प नहीं है. लेकिन इस बार कांग्रेस और भाजपा ने टिकट वितरण में दोनों के ही विकल्प सामने ला दिए हैं.

20 सालों से बस्तर की राजनीति में निभा रहे हैं भूमिका
पिछले 20 सालों से कश्यप परिवार बस्तर की राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभाते आया है और इस सीट परर अपनी जीत दर्ज कराता रहा है. इस वजह से नए चेहरे को टिकट दिए जाने से स्वभाविक रूप से भाजपा के कुछ बड़े पदाधिकारियों में नाराजगी तो रहेगी. लेकिन यह तो वक्त बताएगा कि लंबे समय से कश्यप परिवार के वोटर इस चुनाव में अपनी कैसी भूमिका निभाते हैं. साथ ही भाजपा के कार्यकर्ताओं को पार्टी किस तरह से चुनाव जीतने के लिए एकजुट करती है. राजनीतिकार इसे रिस्क भी मानते हैं.

लंबे समय से बस्तर की सीट पर जीत दर्ज
इधर भाजपा के बड़े पदाधिकारी भी मानते हैं कि पिछले लंबे समय से कश्यप परिवार बस्तर की सीट पर जीत दर्ज करता आ रहा है. इस बार टिकट नहीं मिलने से थोड़ी बहुत नाराजगी उनमें बनी हुई है. लेकिन पार्टी के बड़े नेता जल्द ही उन्हें मना लेंगे और भाजपा पार्टी के लोग एक होकर बस्तर लोकसभा की सीट पर बीजेपी का परचम लहराएंगे. प्रदेश मंत्री किरण देव ने कहा कि पूर्व मंत्री माननीय केदार कश्यप बस्तर लोकसभा के प्रभारी हैं और उनके नेतृत्व में ही पार्टी बस्तर लोकसभा सीट को जीतने के लिए एकजुट होकर काम कर रही है.

स्थापित परिवारों को लोकसभा चुनाव से किया बाहर
बस्तर में अब ऐसी स्थिति में जब दोनों ही दलों ने राजनीतिक तौर पर स्थापित परिवारों को लोकसभा चुनाव के समर से बाहर कर दिया है. यह स्पष्ट है कि बस्तर में चुनाव व्यक्ति नहीं बल्कि राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह कमल और पंजे के बीच होने जा रहा है.

Intro:Body:

today jogi congress meeting in raipur


Conclusion:
Last Updated :Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.