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Big Relief To TS Singhdeo :शिवसागर बांध जमीन मामले में टीएस सिंहदेव को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की खारिज

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 29, 2023, 9:22 PM IST

Big Relief To TS Singhdeo छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को शिवसागर बांध से जुड़े जमीन मामले में हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. टीएस सिंहदेव के खिलाफ लगी जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. जिसकी जानकारी टीएस सिंहदेव की लीगल टीम ने साझा की है.

Big Relief To TS Singhdeo
शिवसागर बांध जमीन मामले में टीएस सिंहदेव को बड़ी राहत

सरगुजा : छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव अक्सर विवादों से काफी दूर रहते हैं.लेकिन एक मामले में उनका नाम काफी उछला.मामला था शिवसागर बांध के तालाब मद की भूमि का डायवर्सन कराकर उसकी खरीद बिक्री करना. इन आरोपों को तरुनीर संस्था के अध्यक्ष कैलाश मिश्रा ने लगाया था.जिनका आरोप था कि सरकारी जमीन की गलत तरीके से खरीद बिक्री की गई है. कैलाश मिश्रा ने मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.लेकिन जब कोर्ट ने याचिका को देखा तो पाया कि याचिका में जनहित जैसा कोई भी बिंदु नहीं है.लिहाजा हाईकोर्ट ने आरोपों का पटाक्षेप करते हुए याचिका खारिज कर दी.


किसने लगाई थी याचिका : डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की लीगल टीम की ओर से अधिवक्ता संतोष सिंह ने बताया कि तरुनीर समिति के अध्यक्ष कैलाश मिश्रा ने 8 दिसंबर 2016 और 11 अगस्त 2017 को कलेक्टर और राज्य शासन से शिकायत की थी. जिसमें ये दावा किया गया था कि टीएस सिंहदेव ने राजनीतिक पद का दुरुपयोग करते हुए 33.18 एकड़ तालाब मद की भूमि को खुली भूमि के तौर पर अंकित करा लिया था.इसके बाद इसकी खरीद बिक्री शुरु हुई.कैलाश मिश्रा ने तालाब की भूमि को तालाब मद में अंकित करने की मांग की थी.


शिकायत के बाद हुई जांच : शिकायत के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने मामले की जांच कराई. जांच के बाद साल 2017 में राज्य शासन को यह प्रतिवेदन दिया गया कि पूर्व में पारित किए गए आदेश में कोई त्रुटि नहीं है.जल क्षेत्र का रकबा टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग के 2008 के नोटिफिकेशन के आधार पर केवल 21 एकड़ ही है. शेष खुली भूमि का विधिवत व्यपवर्तित भूमि के रूप में उपयोग किया जा रहा है. इसलिए डायवर्सन को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है.

NGT में दो बार खारिज हुई याचिका : अधिवक्ता संतोष सिंह के मुताबिक कलेक्टर के इस आदेश के बाद मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल के सामने पेश किया. जिसमें 7 मार्च 2019 को उनकी शिकायत को आदेश पारित कर निरस्त कर दिया गया . एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कोट किया है कि 5 नवंबर 1996 को कलेक्टर के आदेश में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं है. खुली भूमि का उपयोग आवासीय और व्यावसायिक प्रयोजन में हो रहा है. एनजीटी में पिटीशन को निरस्त किए जाने के बाद दोबारा शिकायतकर्ता ने रिव्यू पिटीशन दायर किया था जिसे एनजीटी ने निरस्त कर दिया.


सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील : संतोष सिंह के मुताबिक एनजीटी के आदेश के विरुद्ध फिर से शिकायतकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई. अपील क्रमांक 18064/2021 को न्यायालय ने 28 अगस्त 2021 के आदेश से निरस्त कर दिया. इस तरह कैलाश मिश्रा ने बार-बार शिकायत कर ये बताने की कोशिश की गई कि राजनीतिक पद का इस्तेमाल करके टीएस सिंहदेव ने तालाब की भूमि का डायवर्सन कराकर खरीद बिक्री की है. ये बात पूरी तरह गलत और आधारहीन है.


इसके बाद फिर तरूनीर के कैलाश मिश्रा ने तीन बार शिकायत करने और स्थिति से अवगत होने के बाद भी तथ्यों को छिपाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई. इस जनहित याचिका का मुख्य आधार तालाब मद की भूमि को बनाया गया. टीएस सिंहदेव पर राजनैतिक प्रभाव का उपयोग कर भूमि क्रय विक्रय करने का आरोप लगाया गया. लेकिन हाईकोर्ट ने 8 सितंबर 2023 को इस जनहित याचिका को निरस्त कर दिया गया है.



क्यों की गई याचिका निरस्त : कैलाश मिश्रा ने पूर्व में दिए गए निर्णय और तथ्यों को छिपाकर राजनैतिक लाभ लेने और टीएस सिंहदेव की छवि को धूमिल करने के लिए यह याचिका लगाई .उच्च न्यायालय ने भी ये माना है कि याचिका में जनहित संबंधित कोई तथ्य मौजूद नहीं है. इसलिए याचिका खारिज की गई.

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राजस्व से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चला मामला : इस पूरे मामले में पीसीसी प्रदेश उपाध्यक्ष जेपी श्रीवास्तव ने कहा कि मेरे वकालत के जीवन काल में ऐसे प्रकरण कम ही आए होंगे जिसमें राजस्व न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी तक कोई प्रकरण चला.इसके बाद सभी जगह से याचिका लगने के बाद निर्णय याचिकाकर्ता के खिलाफ आया हो.

''कभी भी किसी की व्यक्तिगत छवि बिगाड़ने के लिए कानून का सहारा नहीं लेना चाहिए. यह मामला उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और उनके परिवार से जुड़ा है. इसलिए उनसे सलाह लेने के बाद क्रिमिनल और सिविल मानहानि का दावा किया जाएगा.'' जेपी श्रीवास्तव, पीसीसी प्रदेश उपाध्यक्ष


क्या है पूरा मामला ? : पूरा मामला शिवसागर बांध से जुड़ा है. अधिवक्ता संतोष सिंह की माने तो शिवसागर बांध टीएस सिंहदेव की निजी और पैतृक संपत्ति है. पूर्व में सरगुजा महाराज रामानुज शरण सिंहदेव ने भारत शासन से 11 नवम्बर 1948 को हुए अनुबंध के अनुसार इसे अपने निजी स्वामित्व में रखा था. इसका खसरा नंबर 3467 है और रकबा 52.6 एकड़ है. इससे लगी एक अन्य भूमि है जिसका खसरा नंबर 3385 रकबा 2.14 एकड़ कुल मिलाकर 54 एकड़ 20 डिस्मिल भूमि है. पूरी भूमि रिकार्ड में शिवसागर बांध तालाब नाम से अंकित थी. लेकिन इस पूरी भूमि में कभी भी पानी नहीं था.

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