ETV Bharat / city

रायपुर की शिक्षिका ममता अहार का सम्मान होगा, पंथी पंडवानी के जरिए पढ़ाई में नवाचार

author img

By

Published : Aug 29, 2022, 6:26 PM IST

Updated : Aug 30, 2022, 1:01 PM IST

रायपुर की शिक्षिका ममता अहार को 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

Raipur teacher Mamta Ahar
रायपुर की शिक्षिका ममता अहार का सम्मान होगा

रायपुर : शिक्षक समाज में ज्ञान का उजाला फैलाते हैं. शिक्षक का किरदार उस दीये की तरह है जो खुद जलकर अपने आसपास की जगह को रौशन करता है. इसी तरह से ज्ञान की रौशनी फैला रही हैं रायपुर की शिक्षिका ममता अहार. जिन्हें शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति पुरस्कार (President Award on Teachers Day ) से सम्मानित किया (Mamta Ahar of Raipur to be honored ) जाएगा. शिक्षिका ममता ने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए रोचक माध्यम से पढ़ाई की शुरुआत की है. चरणों में गीत संगीत नृत्य के माध्यम से पढ़ाई कराई. छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, पंडवानी पंथी और गीत के माध्यम से बच्चों को हिंदी अंग्रेजी और गणित का पाठ पढ़ाया. इस रचनात्मक कार्य की वजह से उन्हें 5 सितंबर को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. ईटीवी भारत ने शिक्षिका ममता अहार से खास बातचीत की.

रायपुर की शिक्षिका ममता अहार का सम्मान
सवाल- आप को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा आप कैसा महसूस कर रही हैं ? जवाब- बहुत खुशी हो रही है. साथ में एक जिम्मेदारी भी बढ़ गई है कि हमें और अच्छा करना होगा.आनंद भी है और जिम्मेदारी भी बढ़ गई है.सवाल- यह राष्ट्रीय पुरस्कार आपको किस कार्य के लिए दिया जा रहा है?जवाब-मैंने पढ़ाई के क्षेत्र में नवाचार किया है. जब बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता तब उन्हें मनोरंजन तरीके से किस तरह से पढ़ाई कराई जाए कक्षा में उन्हें बैठाया. बच्चों को नृत्य और गीत पसंद होता है और उसी के अनुसार अलग-अलग विषयों के पाठ पंडवानी की तरह से पंथी की तरह से पढ़ाते (Change the text into panthi and pandwani) हैं. बाकी बच्चों का भी पढ़ाई में मन लगे रहे और वे आसानी से पढ़ाई कर पाए. पंडवानी में रागी का जो संवाद होता है, उसमें प्रश्न उत्तर दोनों आ जाते हैं . इसके माध्यम से बच्चे लोकगीत और लोकनृत्य भी सीख रहे (Mamta Ahar made studies fun)हैं.सवाल-लोक संस्कृति और लोकगीत के माध्यम से आप पढ़ाई करवा रही हैं बच्चों को कितना समझ आता है ? जवाब- बच्चे इस तरह के पढ़ाई करने के तरीके दो बेहद इंजॉय करते हैं. गीत संगीत के माध्यम से बच्चों को पाठ और प्रश्न उत्तर याद हो जाते हैं. और हम मस्ती की पाठशाला की तरह पढ़ाई करते हैं. इस दौरान कोई भी बच्चा बोर नहीं होता. किसी बच्चे पर दबाव नहीं रहता. बच्चे बिना दबाव के फ्री होकर पढ़ाई करते हैं. जब हम बच्चे के भाव को बच्चे की चीजों को समझकर काम करते हैं तो उसका परिणाम भी हमें मिलता है. इसी तरह गणित की पढ़ाई भी फूगड़ी के माध्यम से बिल्लस के माध्यम से. और कंचे के माध्यम से भी खेल खेलते हुए गणित की पढ़ाई करते हैं.सवाल- कितने सालों से आप बच्चों को नवाचार के माध्यम से पढ़ा रही हैं? जवाब- मुझे 23 साल से अधिक बच्चों को पढ़ाते हो गया है. मैं धीरे-धीरे अपने आप को भी समझते गयी और उन्ही चीजों को आगे बढ़ाने का काम किया. मैंने बच्चों से ही सीखा की उन्हें क्या पसन्द है. और मस्ती की पाठशाला शुरुआत की और बच्चे उसी माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं.सवाल- शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है. बच्चों पर दबाव होता है. एक शिक्षिका के तौर पर आप क्या कहना चाहेंगी? जवाब- आज के समय में जो स्थिति निर्मित होती है उसके लिए पालक भी जिम्मेदार हैं. माता पिता की अपेक्षाएं बच्चों से बेहद अधिक होती है. बच्चों पर ज्यादा अंक लाने के दबाव होते हैं. मेरा मानना है कि बच्चों की क्वॉलिटी को समझना होगा और उस हिसाब से उसे पढ़ाई कराने में मदद करनी चाहिए. अगर बच्चे के स्तर से ऊपर अगर अपेक्षाएं रखते हैं तो ऐसे में बच्चे की पढ़ाई भी डिस्टर्ब होती है. बच्चा तनाव में पढ़ाई नहीं कर पाता. माता-पिता भी समझे कि बच्चे के पढ़ाई का और उसके मस्तिष्क का स्तर कितना है. धीरे-धीरे उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करें. बच्चों को अपने हिसाब से चीजें करने दे ज्यादा अपेक्षाएं ना करें.सवाल- कोविड काल में शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी .आपने इस दौरान बच्चों को कैसे पढ़ाया ? जवाब- कोरोना संक्रमण में सभी प्रभावित थे बच्चों के माता-पिता भी प्रभावित सर बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो रही थी. हम लोग जब शुरुआती दिनों पर ऑनलाइन क्लास देते थे, तब तीन से चार बच्चे ही ऑनलाइन जोड़ पाते थे. उस दौरान आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए मैंने उन्हें 3 महीने का इंटरनेट पैक भी डाल कर दिया. उस दौरान मोहल्ला क्लास की शुरुआत हुई. मिडिल और प्राइमरी स्कूल के बच्चे आया करते थे. सभी मिलकर पढ़ाई करते थे. मैंने उस दौरान बेसिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया. इस दौरान जहां मोहल्ला क्लास रखी थी. कोविड संकमण बढ़ने के कारण मैंने मोहल्ला क्लास की शुरुआत अपने घर में ही की और सभी बच्चे मेरे घर आकर पढ़ाई किया करते थे. सवाल- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जिसे आपको पुरस्कार मिलने वाला है आप अभी कैसा महसूस कर रही हैं.जवाब- मेरे अंदर बेहद खुशी है और वह खुशी मैं शब्दों से व्यक्त नहीं कर सकती..
Last Updated :Aug 30, 2022, 1:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.