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पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण की विधि

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Published : Sep 8, 2022, 10:03 PM IST

Method of offering tarpan in Pitru Paksha: पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से जीवन खुशियों से भर जाता है. इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं, पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करना शुभ होता है. ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी से जानिए कि घर में पितरों का तर्पण किस तरह किया जा सकता है.

tarpan in Pitru Paksha
पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण की विधि

रायपुर: पितृ पक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक मनाया जाएगा. पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है. मृत आत्मा तृप्त होती है. पुराने समय में लोग नदी और तालाब में जाकर कमर तक पानी में डूब कर पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करते थे लेकिन आज के बदलते परिवेश में काफी कुछ बदल चुका है. खासकर शहरों में ऐसे नदी तालाब नहीं है. ऐसे में लोग अपने घरों में पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण कर सकते है. आइए जानते हैं कैसे और किस विधि से घर में पितरों का तर्पण किया जा सकता है.tarpan in Pitru Paksha

पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण की विधि

तर्पण की विधि: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया "जिन जगहों पर नदी या तालाब की व्यवस्था नहीं है ऐसे लोग पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण घर में भी कर सकते हैं. इसके लिए कुछ आवश्यक चीजें जैसे रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, अक्षत, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता, पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी का दिया, रुई, बत्ती, अगरबत्ती, गंगाजल, खजूर, अकेला सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, खीर, चावल, मूंग लेकर पितृ पक्ष के 15 दिनों तक सुबह उठकर स्नान करके जनेऊ बाएं कंधे पर धारण करें. इसके बाद एक दीया जलाकर भगवान सूर्य को प्रणाम करके पूर्वा विमुख होकर सबसे पहले देवताओं को तर्पण करें. उसके बाद दक्षिण मुख करके अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए. उत्तर की ओर मुख करके हाथ जोड़कर ऋषियों को तर्पण करना होता है. दक्षिण मुख करके अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए. जिसमें दादा, दादी, नाना, नानी, परदादा, परनानी, पितृ पक्ष और मातृ पक्ष, पत्नी पक्ष के लोगों का तर्पण किया जा सकता है." Pitru Paksha 2022

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तर्पण के बाद ब्राह्मण, अतिथियों और गरीबों को भोजन कराए: त्रिपाठी ने बताया "इस जन्म के या अन्य जन्मों के साथ ही अनंत कोटी जीव जो नरक में कष्ट और दुख सह रहे हैं. उनके लिए भी तर्पण करना चाहिए. इन सबके बाद भीष्म की प्रार्थना करते हुए भीष्म तर्पण किया जाना चाहिए. इसके बाद कुशा को जमीन में छिड़ककर सूर्य को अर्घ्य दिया जाना चाहिए. दसों दिशाओं में घूमकर पंचबली हरण करना चाहिए. यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान देकर भोजन कराना चाहिए. इसके बाद अतिथियों और गरीबों को भी भोजन कराया जाना चाहिए. इस क्रम से लेकर पहले से अंतिम दिन तक तर्पण किया जाना चाहिए."

पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से प्रसन्न होते हैं पितर: शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि हर महीने की अमावस्या तिथि पर पितरों की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. लेकिन पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने और गया में पिंडदान करने का अलग ही महत्व है. पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध करना चाहिए. अगर किसी परिजन की मृत्यु की सही तारीख पता नहीं है तो अश्विन अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है. पिता की मृत्यु होने पर नवमी तिथि तय की गई है. जब किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी दुर्घटना में हुई है तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करना चाहिए.

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