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धर्मांतरण कोई मुद्दा ही नहीं, छत्तीसगढ़ में धर्म आधारित राजनीति का हो रहा प्रयास : रविन्द्र चौबे

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Published : Oct 24, 2021, 7:54 AM IST

Updated : Oct 24, 2021, 8:02 AM IST

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे (Minister Ravindra Choubey ) निजी जीवन में जितने सरल, सहज और सौम्य हैं, उनका राजनीतिक जीवन लोगों के लिए उतना ही समर्पित. प्रदेश में संचालित हो रही राजनीतिक गतिविधियों पर कृषि मंत्री ने बेबाकी से अपनी राय रखी. एक तरफ उन्होंने कांग्रेस की खूबियां गिनाईं तो विरोधियों को भी निशाने पर लिया. आइये जानते हैं प्रदेश की राजनीति पर क्या कहा कृषि मंत्री ने...

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कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे

रायपुर: कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे (Minister Ravindra Choubey ) की पहचान उनके संसदीय ज्ञान, संवैधानिक जानकारी, सौम्य स्वभाव के साथ-साथ राजनीति के चतुर खिलाड़ी के रूप में है. जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत गांव के सरपंच से की थी. राजनीतिक विषयों से लेकर धर्मांतरण, धान खरीदी, किसानों की समस्याओं के मुद्दे पर उन्होंने ETV भारत के साथ खास बातचीत की.

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के साथ बातचीत

सवाल : प्रदेश में अभी धर्मांतरण (conversion) का मुद्दा गरमाया हुआ है. हाल ही में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मुख्यमंत्री को इस विषय से संबंधित पत्र भी लिखा है. आप क्या कहेंगे ?

जवाब : महामहिम के पत्र व्यवहार को लेकर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता , लेकिन मैंने पूर्व में भी कहा था कि राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए. प्रदेश में धर्मांतरण कोई मुद्दा ही नहीं है. सबसे मुखर होकर धर्मांतरण के खिलाफ काम करने वाले अपने नेता दिलीप सिंह जूदेव को बीजेपी ने हाशिये पर क्यों रखा था? प्रदेश में धर्म आधारित राजनीति करने का प्रयास हो रहा है. कवर्धा की बेहद सामान्य घटना को तूल देकर बढ़ाने का काम कौन कर रहा है, यह बात जनता जानती है.

सवाल : हर बार धान खरीदी (Paddy purchased) के बाद केंद्र द्वारा एफसीआई से चावल खरीदने के विषय को लेकर राज्य सरकार से विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है. क्या इस बार इस विवाद का कोई हल निकल पाया है ?

जवाब : धान खरीदी किसानों की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. हमने किसानों के खातों में राजीव न्याय योजना के तहत सीधे पैसे दिये. इस बार हमने एक करोड़ लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का लक्ष्य रखा है.

लेकिन केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ दोहरा मापदंड क्यों अपनाती है, यह समझ से परे है. जब केंद्र अन्य राज्यों से उनका पूरा चावल खरीद लेती है फिर हमसे चावल लेने में क्या परेशानी है. हालांकि इस बार केंद्र ने हमसे 61 लाख मीट्रिक टन चावल लेने का वादा किया है. उम्मीद है इस बार वे अपना कमिटमेंट जरूर पूरा करेंगे.

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सवाल : हालांकि अभी फसल कटने के बाद उसकी बिक्री की जाएगी. उसके बाद किसान दूसरी फसल की तैयारी करेंगे. हमें सूत्रों से जानकारी मिली है कि दूसरी फसल के लिए भी इस बार नहर से पानी दिया जाएगा?

जवाब : पानी देने का निर्णय अभी नहीं हुआ है. हम धान की जगह वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं.

सवाल : केंद्र सरकार से खाद के आवंटन को लेकर भी आप लोगों की नाराजगी रहती है ?

जवाब : आवंटन के अनुरूप खाद हमें केंद्र सरकार ने नहीं दिया, लेकिन हमारी गौठान योजना से गौठनों में बनाये गए वर्मी कंपोस्ड खाद की वजह से हमारे राज्य में स्थिति मध्यप्रदेश की तरह नहीं बनी.

Last Updated :Oct 24, 2021, 8:02 AM IST
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