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Bastar Dussehra 2022 :मुरिया दरबार में सीएम भूपेश ने दी कई सौगातें

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Published : Oct 7, 2022, 11:57 AM IST

Updated : Oct 7, 2022, 2:34 PM IST

जगदलपुर दौरे पर सीएम भूपेश, मुरिया दरबार रस्म में होंगे शामिल
जगदलपुर दौरे पर सीएम भूपेश, मुरिया दरबार रस्म में होंगे शामिल

Bastar Dussehra 2022 बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण रस्म मुरिया दरबार में शामिल हुए हैं. इस दौरान सीएम भूपेश बघेल ने सालों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया.

जगदलपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने 1 दिवसीय दौरे पर बस्तर पहुंचे (BHUPESH BAGHEL IN MURIYA DARBAR ) हैं. जगदलपुर के दंतेश्वरी एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सीएम भूपेश का जोरदार स्वागत किया है. मुख्यमंत्री बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण रस्म मुरिया दरबार में शामिल हुए. दरबार में मौजूद लोगों से चर्चा करने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने उनकी समस्या का निराकरण उसी समय किया. मुरिया दरबार कार्यक्रम के बाद सीएम भूपेश ने सीमार्ट का उद्घाटन किया.Bastar Dussehra 2022

मुरिया दरबार में सीएम भूपेश ने की घोषणाएं : सीएम भूपेश ने मांझी चालकी सहित बस्तर दशहरा के आयोजन से जुड़े सदस्यों के पोशाक के लिए 5 लाख रुपए की राशि देने की घोषणा की है. शहीद हरचंद के नाम पर तोकापाल शासकीय महाविद्यालय का नामकरण करने की घोषणा और जरकरन भतरा के नाम पर बकावंड शासकीय महाविद्यालय का नामकरण करने की घोषणा सीएम भूपेश ने की .

क्या है मुरिया दरबार : परंपराओं के अनुसार रियासत काल में बस्तर महाराजा बस्तर दशहरा पर्व में अपनी महत्वपूर्ण सेवा देने वाले लोगों की एक बैठक आयोजित करते थे. जिसे मुरिया दरबार कहा जाता (Muria Darbar ritual of bastar dusshera ) है. वे अपने इस दरबार में अपने राज्य की जनता की समस्याओं को सुनकर उनका निराकरण किया करते थे. यह परंपरा बीते 600 वर्षों से अनवरत चली आ रही है. अब प्रदेश के मुख्यमंत्री इस मुरिया दरबार की अध्यक्षता करते हैं और इस दरबार में उनके सामने लगाए गए गुहारों पर चर्चा करते हुए उनकी समस्या का निराकरण भी करते हैं.

डोली विदाई और कुटुम्ब जात्रा पूजा की रस्म: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे का समापन डोली विदाई और कुटुंब जात्रा पूजा के साथ की जाती है. दंतेवाड़ा से आई मां को जिया डेरा से विदा किया जाता है. विदाई से पहले मांई की डोली और छत्र को स्थानीय दंतेश्वरी मंदिर के सामने बनाए गए मंच पर आसीन कर महाआरती की जाती है. यहां सुरक्षाबलों के द्धारा माई को सशस्त्र सलामी दी जाती है. इस तरह 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरे का समापन हो जाता है.

Last Updated :Oct 7, 2022, 2:34 PM IST
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