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हसदेव अरण्य बचाओ: विकास और जीवन के बीच संघर्ष, जंगल बचाने अंतिम लड़ाई चरम पर

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Published : May 15, 2022, 1:24 PM IST

Updated : May 15, 2022, 2:36 PM IST

Surguja Villagers on dharna to save Hasdev Aranya: सरगुजा में हसदेव अरण्य बचाने कई गांवों के ग्रामीण कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ये लड़ाई लगातार जारी रहेगी और आखिर में जीत उन्हीं की होगी.

save Hasdev Aranya in Surguja
सरगुजा में हसदेव अरण्य बचाने कई गांवों के ग्रामीण एकजुट

सरगुजा: छत्तीसगढ़ में विकास और जीवन के बीच संघर्ष की स्थिति बन गई है. एक ओर जहां सत्ता और कॉरपोरेट कोयला उत्खनन के लिये जंगल काटने की फिराक में हैं तो दूसरी ओर आम ग्रामीण संविधान में प्रदत्त शक्तियों का हवाला देते हुए अपनी मांग पर अड़े हुये हैं. ग्रामीण अपना जंगल और जमीन बचाना चाहते हैं. लेकिन इनकी कोई नहीं सुन रहा है. आलम यह है की 2 मार्च से ग्रामीण अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हैं लेकिन 70 दिन से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी इनकी सुध लेने कोई नहीं आया है. (save Hasdev Aranya in Surguja )

सरगुजा में हसदेव अरण्य बचाने कई गांवों के ग्रामीण एकजुट

6 हजार एकड़ का जंगल उजड़ेगा: पूरा मामला अरण्य क्षेत्र में लाखों पेड़ काटकर उसमें कोयला खदान खोलने का है. परसा कोल ब्लॉक आवंटन हो चुका है. अब खदान खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. जिसमे सबसे पहले 6 हजार एकड़ में फैला जंगल काट दिया जाएगा. लाखों पेड़ काटकर जंगल को कोयले की भट्ठी बना दिया जायेगा. जिससे सरगुजा और कोरबा की तपिश बढ़ जाएगी.

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9 लाख पेड़ काटने का अनुमान: सरकारी गिनती के अनुसार 4 लाख 50 हजार पेड़ कटेंगे. जबकि ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी गिनती में सिर्फ बड़े पेड़ों को ही गिना जाता है. जबकि छोटे और मीडियम साइज के पेड़ों की गिनती नहीं की जाती. ग्रामीणों का अनुमान है की यहां 9 लाख से भी ज्यादा पेड़ कांटे जाएंगे. इतने पेड़ अगर काट दिये गये तो प्रकृति का विनाश तय है. जिसका शिकार सरगुजा और कोरबावासियों को झेलना पड़ेगा.

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क्या है हसदेव अरण्य: छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले का वो जंगल है जो मध्यप्रदेश के कान्हा के जंगलों से झारखंड के पलामू के जंगलों को जोड़ता है. यह मध्य भारत का सबसे समृद्ध वन है. हसदेव नदी भी खदान के कैचमेंट एरिया में है. हसदेव नदी पर बना मिनी माता बांगो बांध जिससे बिलासपुर, जांजगीर-चाम्पा और कोरबा के खेतों और लोगों को पानी मिलता है. इस जंगल में हाथी समेत 25 वन्य प्राणियों का रहवास और उनके आवागमन का क्षेत्र है.

क्यों है खनन से आपत्ति: वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2010 में हसदेव अरण्य में खनन प्रतिबंधित रखते हुये इसे नो - गो एरिया घोषित किया था. लेकिन बाद में इसी मंत्रालय के वन सलाहकार समिति ने अपने ही नियम के खिलाफ जाकर यहां परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला परियोजना को वन स्वीकृति दे दी थी. समिति की स्वीकृति को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने निरस्त भी कर दिया था.

WII की चेतावनी: भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पहले से संचालित खदानों को नियंत्रित तरीके से चलाना होगा. इसके साथ ही सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित किया जाए. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह चेतावनी भी है कि अगर खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई तो मानव हाथी संघर्ष को संभालना लगभग नामुमकिन हो जायेगा.

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ग्राम सभाओं की शक्तियां: अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को विशेष शक्तियां दी गई है. ग्राम सभा के प्रस्ताव के बिना पर्यावरण की स्वीकृति सम्भव नहीं है. ग्राम साल्ही समेत आस पास के तमाम ग्राम कोल ब्लॉक के विरोध में हैं. लेकिन ग्राम सभा का प्रस्ताव शासन के पास है. जिसमे ग्रामीणों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं. ग्रामीणों का आरोप है की बल पूर्वक जबरन रेस्ट हाउस में बुलाकर सरपंच और सचिव से कागजों में हस्ताक्षर कराये गये थे. ग्राम सभा का प्रस्ताव फर्जी है.

300 किमी पैदल यात्रा: मांगों को लेकर ग्रामीणों ने हसदेव से रायपुर तक पैदल 300 किलोमीटर की यात्रा की थी. ये ग्रामीण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यपाल से मिले थे. अपनी मांग रखी थी. जिस पर फर्जी ग्राम सभा के मामले में जांच की बात कही गई थी. आज तक उस जांच का पता नहीं है. जबकि खनन के लिये पेड़ काटे जा रहे हैं.

राहुल गांधी का वादा याद दिला रहे ग्रामीण: जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से बाहर थी. तब जून 2015 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी हसदेव अरण्य के गावं मदनपुर आये थे. राहुल गांधी ने ग्रामीणों से जंगल बचाने का वादा किया था. लेकिन अब उनके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि प्रदेश को तय करना होगा की उन्हें बिजली चाहिये या नहीं. अब ग्रामीण राहुल गांधी का वो वादा याद दिला रहे हैं.


Last Updated :May 15, 2022, 2:36 PM IST
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