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पुत्र की प्राप्ति और सलामती के लिए मां के आंचल पर नटुआ नाच, मन्नत पूरी होने पर पूर्णिमा के दिन गंगा किनारे पहुंचतीं हैं महिलाएं

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 27, 2023, 4:43 PM IST

Natua Dance In Vaishali: पौराणिक मान्यता के अनुसार आज भी वैशाली के हाजीपुर स्थित कौन हारा घाट किनारे आने वाले श्रद्धालु नटुवा के नाच को काफी प्राथमिकता देते हैं. खासकर महिलाएं अपने आंचल पर नटुआ नाच कराती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस नृत्य से भगवान खुश होकर भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं. महिलाएं पुत्र प्राप्ति, पुत्र की सलामती एवं परिवार की उन्नति के लिए अपने आंचल पर यह नृत्य करातीं हैं. पढ़ें पूरी खबर.

वैशाली में नटुआ नाच
वैशाली में नटुआ नाच

वैशाली में नटुआ नाच

वैशाली: कार्तिक पूर्णिमा पर वैशाली के हाजीपुर स्थित कौन हारा घाट किनारे नटुवा के नाच की अद्भुत परंपरा है. दूर दराज से लोग अपने बच्चों के साथ यहां नटूवा का नाच करवाने आते हैं. मान्यता है कि पुत्र प्राप्ति की मन्नत पूरी होने के बाद महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आती है. पूर्णिमा के दिन गंगा, गंडक के संगम स्थल पर बच्चों का मुंडन होता है. इस मुंडन के दौरान मां के आंचल पर नटूवा का नाच होता है. इस नटूवा डांस में किन्नर और पुरुष दोनों शामिल होते हैं.

वैशाली में नटुआ नाच: बताया जाता है कि यह परंपरा बेहद पुरानी है. पहले बड़ी संख्या में दूरदराज से किन्नर भी इस अद्भुत परंपरा में शामिल होने संगम स्थल पर आते थे, लेकिन धीरे-धीरे इसमें कमी हुई है. अब इनकी संख्या एक दर्जन के करीब बच गई है. बावजूद अभी भी बिहार सहित अन्य जगहों से भी लोग अंचल पर डांस करवाने की इस अद्भुत परंपरा में शामिल होने आते हैं. घाट किनारे नटुवा के रोल में मौजूद शिवजी बताते हैं कि यहां पर बच्चा का मुंडन होता है. इस पर हम लोग प्रोग्राम देते हैं. यहां पर जो व्रती आते हैं व्रत करके तो हम लोग अंचल पर नाचते हैं.

क्या है नटुआ नाच: वैशाली में मन्नत पूरी होने पर मां के आंचल पर नटुआ नाच कराने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ये नटुआ स्त्री की पोशाक में पुरुष नर्तक नाचते हैं. नटुआ नाच करने वालों को नेग देने की परंपरा है. ऐसी मान्यती है कि मांगी गई मन्नत पूरी होने पर मां के आंचल पर नटुआ नचाने से हर मनोकामना पूरी होती है. वर्तमान आधुनिक दौर में लोग इसे भले ही चंद पलों के मनोरंजन के रुप में देखते हों, पर जब बात आस्था की होती है तो इस रिवाज को निभाने में छोटे-बड़े का भेद मिट जाता है.

"यहां पर बच्चा का मुंडन होता है. इस पर हम लोग प्रोग्राम देते हैं. यहां पर जो व्रती आते हैं. हम लोग अंचल पर नाचते हैं. आंचल पर नाचने को ही नटवा का नाच कहते हैं. भगवान जैसे मनोकामना पूरा करते हैं.हमलोग आंचल पर डांस करते हैं और नेग मिलता है." - शिव जी, नटुआ

"यहां पर बहुत-बहुत दूर से लोग आते हैं मुंडन करवाते हैं. नटुआ का नाच होता है ढोल नगाड़ा बजता है. नटूवा नचवाते हैं हम लोग को भी नाम पैसा मिलता है" - अखिलेश कुमार, ढोल बजाने वाला. - अखिलेश कुमार, ढोल बजाने वाला

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