दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा बनाने की पुरानी परंपरा, छोटी-छोटी बच्चियां बनाती हैं इसे

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Published : Nov 4, 2021, 4:25 PM IST

घरौंदा

वैसे तो भारतीय संस्कृति में हर पर्व का विशेष महत्व है, लेकिन बात रौशनी के पर्व दीपावली की हो तो यह और भी खास हो जाता है. इस खास मौके पर घरौंदा बनाए जाने की परम्परा सदियों पुरानी है. ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी बच्चियां आज भी घरौंदा बनाती हैं. पढ़ें पूरी खबर....

वैशालीः दीपावली (Deepawali) के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में छोटी बच्चियां घरौंदा बनाती हैं. कोमल हृदय की बच्चियां जब बड़ी होती है तो उन्हें उनकी मां घरौंदे के बहाने पूरी गृहस्थी समझाने की कोशिश करती हैं. किस तरह घर बनता है. किस तरह घर में खाने के सामान होते हैं और किस तरह अपनों को वह परोसा जाता है. लड़कियां दीपावली में इस खेल को खेलते खेलते गृहस्थ जीवन की बारीकियां खुद ही सीख जाती हैं. इस तरह दीपावली की परंपरा मनोरंजन के साथ साथ बेटियों में संस्कार भी दे जाती है.

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दीपावली में ग्रामीण बच्चियों द्वारा बनाए जाने वाला घरौंदा बेटियों में संस्कार भरता है. गृहस्थ जीवन की बारीकियां सिखलाता है. वैशाली के सराय प्रखंड में आज भी घर की बेटियां परंपरागत तरीके से दीपावली के अवसर पर घरौंदा बनाती है. घरौंदा बनाने में भले ही इनके बड़े इनका मार्गदर्शन करते है, लेकिन ज्यादा तर काम बच्चियां खुद करतीं हैं.

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घरौंदा के लिए ईट लाना, मिट्टी को पानी से गोद कर घर जोड़ना उनका रंग रोगन करना इन सारे कामों में बच्चियों को बड़ा मजा आता है. घरौंदा बनाने की शुरुआत बच्चियां दीपावली से चार दिन पहले ही करती है. जब घरौंदा बन जाता तो दीपावली की रात यहां दीप जलाकर पहले पूजा करती हैं फिर खाना बनाने वाले छोटे बर्तनों में लड्डू वगैरह रख कर बड़ों को देती हैं. बदले में उन्हें अपने बड़ों से तोहफा भी मिलता है.

बता दें कि दीपावली पर घरौंदा बनाए जाने की परम्परा सदियों पुरानी है. क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यह सुख, समृद्धि का प्रतीक है. दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. दीपावली के आगमन पर घरों में घरौंदा का निर्माण शुरू हो जाता है.

घरौंदा ‘घर’ शब्द से बना है और सामान्य तौर पर दीपावली के अवसर पर अविवाहित लड़कियां घरौंदा का निर्माण करती हैं. ताकि उनका घर भरापूरा रहे. घरौंदा को सजाने के लिए कुल्हिया चुकिया का प्रयोग किया जाता है जिसमें लड़कियां फरही, मिठाई आदि भरती हैं. ऐसी मान्यता है कि भविष्य में वह जब कभी भी वह दाम्पत्य जीवन में प्रवेश करेंगी तो उनका संसार भी सुख-समृद्धि से भरा रहेगा.

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इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 06:03 बजे से हो गई है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को सुबह 02:44 पर होगी. लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:09 बजे से शुरू होकर रात 08:04 बजे तक रहेगा. यानी इस मुहूर्त की कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की है. दिवाली की शाम को प्रदोष काल के समय लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है.

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