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सीतामढ़ीः शिक्षा विभाग की लापरवाही, छात्र के बजाय किसी और के खाते में भेजी प्रोत्साहन राशि

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Published : Aug 25, 2019, 2:12 PM IST

जिला शिक्षा पदाधिकारी रामचंद्र मंडल ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में नहीं थी. ईटीवी के माध्यम से उन्हें पता चला है. उन्होंने कहा कि छात्र की उचित मदद की जाएगी.

नहीं मिली प्रोत्साहन राशि

सीतामढ़ी:10वीं की परीक्षा पास करने के 2 साल बाद भी छात्र को प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. राशि के लिए छात्र के पिता आज भी विभाग के चक्कर काट रहे हैं. छात्र ने 2019 में इंटर की भी परीक्षा पास की है. आगे की पढ़ाई में गरीबी आड़े आ रही है.

2 साल पहले ही निर्गत हो गई थी राशि
मामला जिले के श्री गुरु शरण उच्च विद्यालय बेलसंड से 2017 में 10वीं की परीक्षा पास किए सुशील कुमार की है. जिसने परीक्षा का परिणाम आने के बाद प्रोत्साहन राशि के लिए सभी जरूरी कागज स्कूल में जमा कर दिया. स्कूल ने विद्यार्थियों की सूची विभाग को सौंप दी. विभाग के लेखा कार्यालय से औपचारिकता पूरी कर छात्रों की सूची उनके बैंक खाते का विवरण के साथ बैंक को भेज दिया. फिर बैंक से राशि सभी छात्रों के खाते में डाल दिए गए. लेकिन सुशील कुमार के खाते में पैसा अभी तक पहुंचा ही नहीं.

पूरी रिपोर्ट

दूसरे खाते में भेज दी गई राशि
दरअसल, जिला शिक्षा विभाग ने बैंक को छात्रों के खाते का जो विवरण सौंपा था. उसमें सुशील कुमार के बैंक खाते की जगह किसी दूसरे छात्र की डिटेल दे दी गई थी. और सुशील कुमार के नाम पर निर्गत होने वाली राशि दूसरे छात्र के खाते में डाल दी गई. छात्र के पिता बच्चा सिंह जब राशि की खोजबीन करते बैंक पहुंचे तो अधिकारियों ने उन्हें कहा कि जिसके खाते में राशि गई है जाकर उससे वसूलिए या उसे बैंक लेकर आइए.

सीतामढ़ी
कागजात दिखाते छात्र के पिता

विभाग की है लापरवाही
वहीं, जिला शिक्षा पदाधिकारी रामचंद्र मंडल ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में नहीं था. ईटीवी भारत के माध्यम से उन्हें पता चला है. उन्होंने कहा कि छात्र की मदद की जाएगी. वहीं, विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजीव पांडे ने कहा कि यह विभाग की लापरवाही है.

सीतामढ़ी
दफ्तर का चक्कर काटते छात्र के पिता
Intro: 2 वर्षों से पुत्र के प्रोत्साहन राशि के लिए दर-दर भटक रहा है गरीब पिता। मानसिक तनाव में ब्रेन हेमरेज का भी हो गया शिकार। Body: जिले में शिक्षा विभाग की कु व्यवस्था और लापरवाही का खामियाजा मेधावी छात्र और उसके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। विभाग की अनदेखी के कारण लाचार और गरीब अभिभावक को समस्याओं का सामना करते करते मानसिक अवसाद के कारण ब्रेन हेमरेज तक हो जा रहा है। ऐसा ही एक घटना जिले के श्री गुरु शरण उच्च विद्यालय बेलसंड में पढ़ने वाले मेधावी छात्र सुशील कुमार के पिता के साथ घटित हुई है। छात्र सुशील कुमार वर्ष 2017 में दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुआ था। लेकिन 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी विभाग की अनदेखी के कारण उस गरीब मेधावी छात्र को आज तक विभाग की ओर से दी जाने वाली ₹10000 प्रोत्साहन की राशि नसीब नहीं हो पाई है। लिहाजा गरीब छात्र के पिता विद्यालय, शिक्षा विभाग और बैंक का चक्कर लगाते लगाते इतने लाचार हो गए हैं कि वह मानसिक पीड़ा को सहन नहीं कर पाए। और वह ब्रेन हेमरेज के शिकार हो गए। इस ब्रेन हैमरेज के कारण उन्हें कर्ज लेकर अपना इलाज तक कराना पड़ा है। इसके बावजूद विभाग कुंभकरनी नींद में सो रहा है। आज तक उस प्रतिभाशाली छात्र को प्रोत्साहन की राशि नहीं मिल पाई है। लिहाजा आए दिन उसके पिता विद्यालय और शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय का चक्कर काट रहे है।
दूसरे के खाते में डाल दी राशि :________________
जिला शिक्षा कार्यालय का लेखा विभाग के क्रियाकलापों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह लेखा विभाग कितना सही तरीके से काम कर रहा है। सुशील उसी लेखा विभाग कार्यालय का शिकार हुआ है।सुशील कुमार का खाता बैंक ऑफ बड़ौदा में है। हेड मास्टर ने वर्ष 2017 में अपने विद्यालय के प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण छात्रों की सूची लेखा विभाग को भेजा था। उसके बाद लेखा विभाग को सभी मेधावी छात्र के खाते में राशि भेजनी थी। लेखा विभाग ने गलती करते हुए सुशील कुमार के खाते के बदले रमभू कुमार पिता रामप्रवेश महतो ग्राम भंडारी दमामी के खाता में वह राशि भेज दिया। यह राशि 22 जून 2018 को जमा कराई गई।इसका खुलासा तब हुआ जब सुशील कुमार के पिता अधिकारी के कार्यालय में गए तो उन्हें यह कहकर कार्यालय से बाहर कर दिया गया कि आप के पुत्र की राशि किसी दूसरे व्यक्ति के खाते में चली गई है। जब तक उस पैसे की रिकवरी नहीं होगी। तब तक आपका पुत्र प्रोत्साहन राशि से वंचित रहेगा।
बैंक प्रबंधक का बयान :________
पीड़ित अभिभावक को बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंधक ने बताया कि लेखा विभाग ने रमभू कुमार के खाते में 10000 की राशि NEFT किया था। उसके तत्काल बाद ही रमभू नामक युवक ने उस राशि की निकासी कर ली।अब ना तो बैंक उसे खोज पा रही है, ना ही लेखा विभाग।और इसका खामियाजा गरीब मेधावी छात्र सुशील और उसके पिता को भुगतना पड़ रहा है।
बाइट 1. बच्चा सिंह। पीड़ित अभिभावक। उजला शर्ट में।
सुशील कुमार वर्ष 2017 में प्रथम श्रेणी से 10वीं परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ था। उसका रोल नंबर 1700 570 और रोल कोड 52045 था। उसका जन्मतिथि 6।7। 2001 है। सुशील का खाता बैंक ऑफ बड़ौदा में है। जिसका खाता संख्या 57408100000088 है। लेकिन लेखा विभाग ने प्रोत्साहन की राशि रमभू कुमार के खाता संख्या 57408100000086 में डाल दिया। अब बैंक और शिक्षा विभाग के अधिकारी पीड़ित छात्र के पिता पर अक्सर दबाव बना रहे हैं कि वह जाकर रमभू कुमार का अता-पता हासिल करें। और उसे पकड़कर बैंक लाए। तब जाकर आपके समस्या का निदान होगा। आखिर जो काम बैंक और शिक्षा विभाग के लेखा अधिकारियों को करना चाहिए। वह पीड़ित छात्र के अभिभावक से करवाया जा रहा है। यह कितना सही और लाजमी है।
प्रधानाध्यापक का बयान :______________
सुशील कुमार जिस विद्यालय से उत्तीर्ण हुआ है। उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजीव पांडे ने बताया कि यह शिक्षा विभाग की लापरवाही है। और इसका खामियाजा बेवजह सुशील और उसके पिता को भुगतना पड़ रहा है।वह राशि बैंक और लेखा विभाग दोनों को मिलकर रमभू कुमार से हासिल करना है। जो उसके खाते में चली गई है। उस राशि के कारण प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण छात्र को मानसिक तनाव झेल कर दर-दर भटकना पड़ रहा है। और उनके अभिभावक को भी मानसिक परेशानी से गुजरना पड़ रहा है। यह कहीं से भी सही नहीं है। हम भी इसको लेकर कई बार वरीय पदाधिकारी से पत्राचार किए थे। लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
बाइट .2. राजीव पाण्डे। प्रधानाध्यापक श्री गुरु शरण उच्च विद्यालय।
जिला शिक्षा पदाधिकारी का बयान:__________
इस मामले पर पूछे जाने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी रामचंद्र मंडल ने अनभिज्ञता जताते हुए बताया कि यह बड़ा ही गंभीर मामला है। इस संबंध में उन्हें अब तक किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है। अगर अभिभावक या पीड़ित छात्र उनके कार्यालय में अपने कागजात लेकर आएंगे। तो बहुत जल्द ही संबंधित विभाग से संपर्क कर इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
बाइट 3. रामचंद्र मंडल। जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी।
विजुअल 4,5,6,7

Conclusion:एक ओर मुख्यमंत्री बिहार में शिक्षा को बेहतर करने के लिए छात्र छात्राओं को हरसंभव योजनाओं का लाभ पहुंचाने का संकल्प ले रहे हैं। वहीं दूसरी ओर उनके शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही मेधावी गरीब छात्र और उनके अभिभावकों के लिए परेशानी और मानसिक अवसाद का कारण बन रहा है।
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