छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू, खरना का प्रसाद किया ग्रहण

छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू, खरना का प्रसाद किया ग्रहण
Chhath puja 2023 लोक आस्था के महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन शनिवार को खरना है. गोपालगंज में छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत का संकल्प लिया. रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. पढ़ें, विस्तार से.
गोपालगंजः लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार 17 नवंबर को नहाय खाय से शुरू हुआ. शनिवार को छठ व्रतियों ने खरना का धार्मिक अनुष्ठान पूरा कर प्रसाद बना भगवान सूर्य को अर्पित करते हुए ग्रहण किया. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत का संकल्प लिया. अब सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही इनका उपवास खत्म होगा. शनिवार की शाम व्रतियों के प्रसाद खाने के बाद परिजनों और शुभचिंतकों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.
छठ गीतों से माहौल भक्तिमय हुआः रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके लिए व्रती तालाब, नदी के घाट पर पहुंच कर भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देंगी. बता दें कि छठ को लेकर हर ओर भक्ति और उत्साह का माहौल है. छठी मइया के गीत कांचे ही बांस के बहंगिया... मारबो रे सुगवा धनूख से.. दर्शन दिही भोरे भोरे हे छठी मइया...जैसे गीतों से समूचे गोपालगंज जिला का माहौल भक्तिमय हो गया है. बता दें कि छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा के नाम से भी जाना जाता है.
खरना का महत्व: खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण. व्रती खरना कर तन और मन को शुद्ध और मजबूत बनाते हैं, ताकि अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत कर सकें. मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में गुड़ से बनी रसिया, खीर, रोटी का भोग छठ माई को लगाया जाता है. इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि किसी प्रकार का कोई कोलाहल ना हो, एकदम शांत वातावरण में व्रती प्रसाद ग्रहण करती है. मान्यताओं के अनुसार खरना पूजा के साथ ही छठी मईया घर में प्रवेश कर जाती है.
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