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समस्तीपुर में ताक पर जिम्मेदारी, कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं सदर अस्पताल के स्ट्रेचर

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Published : Sep 7, 2019, 5:24 PM IST

इस सरकारी अस्पताल परिसर में कई दर्जन टूटे-फूटे स्ट्रेचर कबाड़ की तरह नजर आते रहते हैं. दरअसल यहां मरीजों की सुविधा को लेकर स्ट्रेचर आदि की खरीद तो होती है. लेकिन देखरेख के अभाव में वह जल्द कबाड़ में तब्दील हो जाते हैं.

कबाड़ में तब्दील हो चुका स्ट्रेचर

समस्तीपुर: जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में लापरावहियां नहीं कम हो रही हैं. मरीजों की जरूरत अब कबाड़ में तब्दील हो गयी है. दरअसल इस अस्पताल में एक तरफ स्ट्रेचर के अभाव में मरीज हलकान हैं. वहीं दूसरी तरफ देखरेख के अभाव में कई दर्जन स्ट्रेचर कबाड़ के ढेर बने हुए हैं.

कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं स्ट्रेचर
इस अस्पताल को जिला अस्पताल का स्थान दिया गया है, लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. आपात स्थिति हो या फिर मरीजों को यहां से वहां ले जाना. यहां हमेशा स्ट्रेचर को लेकर समस्या होती है.

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समस्तीपुर सदर अस्पताल

कबाड़ में हैं सैकड़ों स्ट्रेचर
वहीं इस अस्पताल परिसर में कई दर्जन टूटे-फूटे स्ट्रेचर कबाड़ की तरह इधर-उधर नजर आते हैं. दरअसल यहां मरीजों की सुविधा को लेकर स्ट्रेचर आदि की खरीद तो होती है, लेकिन देखरेख के अभाव में वह जल्द कबाड़ में तब्दील हो जाते हैं.

डिप्टी सुपरिटेंडेट का बयान

मरीजों को होती है परेशानी
इस असुविधा से जहां मरीज और उनके परिजन परेशान हैं. वहीं इस अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने इस मामले पर कहा कि स्ट्रेचर तो बहुत है, लेकिन मरीज जानकारी के अभाव में इसका इस्तेमाल नहीं करते. वैसे डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने यह तो जरूर साफ कर दिया कि यहां जरूरतमंद मरीजों के लिए वार्ड बॉय नहीं है. उनके परिजन ही यहां से वहां किसी प्रकार अपने मरीज को ले जाते हैं.

डॉक्टरों की भी है कमी
गौरतलब है कि इसके पहले भी सदर अस्पताल में लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके हैं. इसके पहले भी बहुत सी ऐसी खबरें आई थीं कि यहां डॉक्टरों की कमी भी बहुत ज्यादा है.

Intro:जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों की जरूरत कबाड़ में तब्दील हो गयी । दरअसल इस अस्पताल में एक तरफ स्ट्रेचर के आभाव में मरीज हलकान है , वंही दूसरी तरफ देखरेख के आभाब में कई दर्जन स्ट्रेचर कबाड़ का ढेर बन गया । वैसे मरीजों के इस समस्या पर अस्पताल प्रशासन का राय आपको चकित कर देगा ।


Body:कहने को तो सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का संज्ञा दिया गया है । यानी यह जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है । लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत बताने को काफी है , सिर्फ नाम बड़े लेकिन दर्शन काफी छोटे हैं । दरअसल आपात स्थिति हो या फिर मरीजों को यहां से वहां ले जाना , समस्या हमेशा से यहां स्ट्रेचर को लेकर होती है । वंही अगर आप इस अस्पताल परिसर में देखे तो , कई दर्जन टूटे फूटे स्ट्रेचर आपको कबाड़ के तरह नजर आएंगे । दरअसल यंहा मरीजो के सुविधा को लेकर स्ट्रेचर आदि की खरीद तो होती है , लेकिन देखरेख के आभाब में वह जल्द कबाड़ में तब्दील हो जाते है । इस असुविधा से जंहा मरीज व उनके परिजन परेशान है , वंही इस अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने बड़े अटपटे स्टाइल में कहा की , स्ट्रेचर तो बहुत है , दरअसल मरीज जानकारी के आभाव में इसका इस्तेमाल नही करते ।

बाईट - मरीज के परिजन ।
बाईट - ए. एन. शाही , डीएस , सदर अस्पताल ।


Conclusion:हद हो गयी सिस्टम के उदासीनता की , वैसे डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने यह तो जरूर साफ कर दिया की , यंहा जरूरतमंद मरीजों के लिए वार्ड बॉय नही , उनके परिजन ही यंहा से वँहा किसी प्रकार अपने मरीज को ले जाते है ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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