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बागमती और बूढ़ी गंडक नदी जोड़ने की योजना का विरोध, 22 मई को समस्तीपुर में जुटेंगे कई जिले के लोग

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Published : May 21, 2022, 7:27 PM IST

बागमती
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समस्तीपुर जिले में बागमती की पानी को बूढ़ी गंडक में जोड़ने की योजना (Bagmati And Budhi Gandak River In Samastipur) के खिलाफ विरोध मुखर हो रहा है. कई विशेषज्ञ लोगों का आरोप है कि इससे जिले में जलप्रलय ऐसी स्थिति पैदा होगी. पढ़ें पूरी खबर..

समस्तीपुरः बिहार के समस्तीपुर जिले में बागमती की पुरानी धारा को बूढ़ी गंडक नदी में जोड़ने की योजना पर राज्य सरकार काम कर रही. राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता सहित कई विशेषज्ञ योजना पर सवाल उठा रहे (Protest Against River Linking Plan In Samastipur) हैं. विरोध कर रहे लोगों का आरोप है कि यह विनाशकारी साबित होने वाला है. लोगों का आरोप है कि बिना किसी रिसर्च के राज्य सरकार ने इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया है. भविष्य में इससे प्रभावित होने वाले कई जिलों के लोग 22 मई को योजना के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए जुटेंगे. बैठक में मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, खगड़िया समेत इससे प्रभावित होने वाले कई जिले के लोगों का यंहा सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेंगे. बैठक में राज्य सरकार के इस योजना के खिलाफ बड़े आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी.

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योजना का विरोध शुरूः दरअसल इस योजना को लेकर जमीनी हकीकत व साक्ष्य कुछ ऐसा ही बंया कर रहा. दरअसल राज्य सरकार ने बागमती के अधिशेष पानी को रेगुलेटर के माध्यम से बूढ़ी गंडक नदी में जोड़ने की योजना पर काम शुरू किया है. वैसे इस योजना को लेकर कई जिलों में विरोध शुरू हो गया है. बाढ़ और बारिश के समय बूढ़ी गंडक से सबसे अधिक प्रभावित समस्तीपुर जिला रहता है. इस कारण योजना के खिलाफ जिले के लोग लगातार गोलबंद हो रहे हैं.

योजना पर उठ रहे हैं कई सवालः नदी जोड़ने की योजना के खिलाफ बने संगठन के संयोजक और भाकपा के वरिष्ठ नेता रामचंद्र महतो के (Senior leader Ramchandra Mahato) बताया कि सरकार जलप्रलय लाने की तैयारी में है. कई तथ्यों के आधार में उन्होंने कहा कि सामान्य दिनों में भी बागमती से ज्यादा पानी गंडक में रहता है. वहीं बाढ़ के समय भी गंडक, बागमती की तुलना में कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बहती है.

शनयाल कमिटी ने भी जतायी थी आपत्तिः यही नहीं रामचंद्र महतो ने इस योजना को लेकर भारत सरकार के जल विकास अभिकरण के उठाये सवाल और पूर्व में शनयाल कमिटी के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 1988 में भी बागमती की धारा को बूढ़ी गंडक में जोड़ने की योजना को खतरनाक बताया गया था. उन्होंने आगे कहा कि यह योजना तटबंधों के लिए घातक है. यह कई क्षेत्रों के लिए यह विनाशकारी साबित होगा. योजना की खामियों को गिनाते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि अगर बूढ़ी गंडक नदी में बागमती के पानी का प्रवाह बढ़ता है तो, गंडक से सटे निचले हिस्से का एन्टी फ्लड गेट खोलना संभव नहीं होगा. अब देखना होगा नदी जोड़ योजना का क्या प्रभाव होगा. साथ इसके खिलाफ आंदोन का योजना पर क्या असर पड़ेगा.

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