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ये है समस्तीपुर में शिक्षा का हाल, 1 लाख बच्चों को अब तक नहीं मिली पुस्तक की राशि

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Published : Jun 15, 2019, 2:55 PM IST

जिले के बच्चों को पुस्तक की राशि नहीं मिल पाई है. इनके पास अब तक पढ़ने के लिए किताब नहीं है.

एक किताब से पढ़ते दो बच्चे

समस्तीपुरः नए सत्र शुरू होने के तीन माह बीत जाने के बाद भी तकरीबन एक लाख बच्चों को किताब की राशि नहीं मिल सकी है. लंबे इंतजार के बाद भी बच्चों के खाते में पैसे नहीं आए. वहीं, दूसरी तरफ प्रकाशकों के कारण बाजार में सही तरीके से पुस्तक उपलब्ध नहीं है.

बिना किताब के पढ़ रहे बच्चे
जिले के करीब 2542 प्राथमिक और मध्य विद्यालय के लगभग 6 लाख 58 हजार 523 बच्चों में एक लाख बच्चों को पुस्तक की राशि नहीं मिल पाई है. इनके पास अब तक पढ़ने के लिए किताब नहीं है. वैसे किताब को लेकर 31 मई तक की तारीख दी गई थी. लेकिन हालात यह है कि नए सत्र में बच्चे बिना किताब के ही पढ़ रहे हैं. इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने यह जरूर भरोसा दिलाया कि जल्द ही सभी बच्चों के खाते में किताब के पैसे चले जाएंगे.

स्कूल में पढ़ते बच्चे और बयान देते डीईओ

राशि के इंतजार में हैं बच्चे
गौरतलब है कि जिले में बच्चों की किताब को लेकर लगभग 20 करोड़ 88 लाख रुपये जारी किए गए हैं. वहीं, 1 से 5 तक के बच्चों को जहां किताब के लिए 250 रुपये उनके खाते में भेजना है. वहीं, 6 से 8 तक के बच्चों को 400 रुपये. लेकिन ये राशि इन बच्चों को कब मिलेगी ये नहीं कहा जा सकता.

Intro:नए सत्र शुरू हुए लगभग तीन माह होने को है, लेकिन अभी भी करीब एक लाख बच्चों को नहीं मिल सका किताब। एक तरफ जहां बच्चों को कई डेड लाइन खत्म होने तक खाते में पैसे नहीं आये, वहीं दूसरी तरफ प्रकाशकों के कारण बाजार में सही तरीके से उपलब्ध ही नहीं है पुस्तक।


Body:जिले के करीब 2542 प्राथमिक, मध्य विद्यालय के लगभग6 लाख 58 हजार 523 बच्चों में लगभग एक लाख बच्चों को नहीं मिल पाया है अब तक पढ़ने को किताब। वैसे किताब को लेकर 31 मई का डेड लाइन दिया गया था, लेकिन हालात यह है कि नए सत्र का लगभग तीन माह बीतने को है, लेकिन बच्चे बिना किताब ही पढ़ रहे। वैसे इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने यह जरूर भरोसा दिया की, जल्द ही सभी बच्चों के खाते में किताब के पैसे चले जायेंगे।


बाईट- सत्येंद्र झा ,डीईओ ,समस्तीपुर।


वीओ- यही नहीं जिले के बाजार में किताब की कम उपलब्धता भी परेशानी का सबब बना हुआ है। वैसे बाजार में इस समस्या को दूर करने के मकसद से तीन प्रकाशकों को जिम्मा दिया गया था, लेकिन हाल यह है कि, बाजार में किताब उस अनुरूप उपलब्ध नहीं। वैसे किताब को लेकर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसी मकसद से इस बार से किताब के लिए पैसे भेजने का फैसला लिया गया था। लेकिन ढाल और खराब ही हो गया। शिक्षा जानकारों के अनुसार, विभाग के उदासीनता का नतीजा बच्चों को उठाना पड़ रहा।

बाईट- विशेषज्ञ।


Conclusion:गौरतलब है की, जिले में बच्चों को किताब को लेकर लगभग 20 करोड़ 88 लाख रुपये जारी किए गए हैं। वही 1 से 5 तक के बच्चों को जहां किताब के लिए 250 रुपये उनके खाते में भेजना है वही 6 से 8 तक के बच्चों को 400 रुपये।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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