मुंबई में छोड़ी लाखों की नौकरी, अब बिहार पंचायत चुनाव में आजमा रहीं किस्मत

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Published : Sep 13, 2021, 10:13 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 11:33 PM IST

सहरसा

मुंबई से प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान से लाखों के पैकेज की नौकरी को छोड़कर बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) में अपना भाग्य आजमा रहीं प्रत्याशी रूपम झा (Rupam Jha) तूफानी दौरा कर लोगों को विकास का असल मकसद समझा रही हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

सहरसा: बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) में नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही प्रत्याशी पर्चा दाखिल कर अपना भाग्य आजमा रहे हैं. ऐसी ही एक प्रत्याशी रूपम झा (Rupam Jha) हैं, जो मुंबई की चकाचौंध को छोड़कर सुदूर गांव चैनपुर में विकास का अलख जगाने पहुंची हैं. 20 लाख के पैकेज की नौकरी को छोड़कर पंचायत चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहीं प्रत्याशी रूपम झा तूफानी दौरा कर गांव वालों को विकास का असल मकसद समझा रही हैं.

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रूपम झा ने मुम्बई के प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए और मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई को पूरा कर मुंबई में ही एक से एक मीडिया हाउस में अपने भाग्य को आजमाया और एक अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़कर बिहार पंचायत चुनाव में नामांकन कर गांव वालों को चौंका दिया.

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उन्होंने कहा कि आप अकेले 10 से 20 लोगों का भला कर सकते हैं, जबकि मास स्तर पर कार्य करेंगे तो आपको पावर चाहिये और वो पोजीशन चाहिये, जिससे आपको फैसला लेने से कोई रोक न सकें. यही वजह है कि रूपम झा पंचायत चुनाव में अपना भाग्य आजमाने मुंबई से चैनपुर पहुंच गईं और यहां से मुखिया पद के लिये नामांकन कर इलाके के लोगों को चौंका दिया.

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''गांव की बदहाली, बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था से खिन्न होकर मैंने यहां विकास का अलख जगाने की ठान ली है. यह काम अकेले या फिर सीमित संसाधन के बदौलत नहीं हो सकता है. इसका सशक्त माध्यम पंचायत प्रधान हैं, जिसके माध्यम से इस पंचायत में विकास की रोशनी लायी जा सकती है.''- रूपम झा, प्रत्याशी, पंचायत चुनाव

हालांकि, इसकी तैयारी इन्होंने मार्च से ही शुरू कर दी थी. इस कड़ी में इस क्षेत्र में जहां स्कूल नही था, वहां स्कूल अपने संसाधन से शुरू किया. स्वास्थ्य मेला लगवाया, जहां लगभग 6 हजार के करीब मरीजों का इलाज हुआ. इसके अलावा पशु कैम्प भी लगाया. इलाके के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो इसके लिये योगा भी करवाया जाता है. इनका तूफानी दौरा क्षेत्रों में चल रहा है.

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इसके साथ ही जब रूपम झा ग्रामीणों के बीच जनसंपर्क कर रही होती हैं, तो लोगों अपने अधिकार, अपनी जीवन शैली में सुधार और आर्थिक रूप से कैसे मजबूत बनें इसका गूढ़ ज्ञान भी लोगों को देते रहती हैं. वहीं, पशुपालक पशुओं का कैसे बेहतर तरह से पालन कर अपना जीवनस्तर को सुधार सकते हैं, इस पर भी ध्यान दे रही हैं. गांव में बच्चियां स्कूल जाती हैं और पढ़ाई किस तरह से कर रही हैं इसका ध्यान भी रख रही हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा कि मुझे अपनी मिट्टी से बेइंतहां प्यार है. चैनपुर के लिए मैंने अपनी नौकरी, सैलरी, रहन सहन तक सब कुछ छोड़ दिया. मेरा लक्ष्य भी सिर्फ यही है कि मैं चैनपुर के लोगों के दिल में चैन जगा सकूं.

रूपम झा ने बताया कि यहां आकर चुनाव लड़ने की जब मैंने घोषणा की थी, तो लोगों ने काफी प्रतिक्रिया दी थी. कुछ सकारात्मक तो अधिकांश नकारात्मक प्रतिक्रिया थी. हद तो तब हो गई जब लोगों ने कहा कि इसे साड़ी भी पहनना नहीं आती है. इसके बावजूद मैं फील्ड में हूं और इसे मैंने चैलेंज के रूप में लिया है. इस गांव में जहां महिला मुखिया सिर्फ कागज पर रहती हैं और उसकी जगह उसका पति ही काम करता है. वहीं, यहां लोग मुझे मेरे पति के नाम से नहीं बल्कि रूपम झा के नाम से जानते हैं.

Last Updated :Sep 13, 2021, 11:33 PM IST
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