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'स्वदेश दर्शन योजना' को केंद्र की मंजूरी का इंतजार, बिहार में पर्यटन के विकास पर लगा ब्रेक

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Published : Dec 22, 2021, 10:18 AM IST

प्रधानमंत्री विशेष पैकेज 2015 के अंतर्गत बिहार पर्यटन को 600 करोड़ रुपये की राशि दी जानी थी. लेकिन इसके तहत आज भी बिहार में काम अधूरा पड़ा हुआ है. इसको लेकर पर्यटन मंत्री ने Etv Bharat को बताया कि..

स्वदेश दर्शन योजना
स्वदेश दर्शन योजना

पटना: बिहार पर्यटन असीम संभावनाओं के बावजूद भी बदहाली झेल रहा है. कोरोना की वजह से परेशानियां और भी बढ़ गई हैं. इस वर्ष राजगीर नेचर सफारी (Rajgir Nature Safari) और बांका में रोपवे की शुरुआत (Ropeway In Banka) की वजह से पर्यटकों की दिलचस्पी कुछ बढ़ी है. लेकिन पीएम पैकेज योजना के तहत स्वदेश दर्शन योजना (Swadesh Darshan Yojana In Bihar) का काम बिहार में अभी भी अधूरा पड़ा है. जिसकी वजह से गांधी सर्किट और रामायण सर्किट के साथ बौद्ध सर्किट का काम इस वर्ष परवान नहीं चढ़ पाया.

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कोरोना काल के मुश्किल भरे हालात से बाहर निकले पर्यटन विभाग ने इस वर्ष राजगीर में ग्लास स्काईवॉक की शुरुआत की, तो वहीं बांका में रोपवे और राजगीर में भी नए रोपवे की शुरुआत हुई. राजगीर की पहाड़ियों में बने नेचर पार्क में स्थित स्काईवॉक को जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है. क्योंकि पिछले 3 महीने में ही 80 हजार से ज्यादा लोग यहां विजिट कर चुके हैं. बांका के मंदार पर्वत पर रोपवे की शुरुआत और डैम में वाटर टैक्सी की शुरुआत भी पर्यटन विभाग ने इस साल कराई है. लेकिन कई महत्वपूर्ण काम जो इस वर्ष भी अधूरे रह गए, वह जानना भी बेहद जरूरी है.

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प्रधानमंत्री विशेष पैकेज 2015 (PM Special Package 2015 In Bihar) के अंतर्गत स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना के तहत बिहार पर्यटन को 600 करोड़ रुपये आवंटित होने थे. जिनमें प्रसाद पैकेज के तहत पटना साहिब का विकास, स्वदेश दर्शन योजना के तहत जैन परिपथ का विकास, कांवरिया परिपथ का विकास, गांधी परिपथ का विकास, मंदार एवं अंग प्रदेश परिपथ का विकास, रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट और बोधगया में आईआईटीटीएम का विकास योजना शामिल है. लेकिन इन योजनाओं में सिर्फ प्रसाद योजना के तहत पटना साहिब के विकास का काम ही पूरा हो पाया है.

देखें रिपोर्ट.

पर्यटन मंत्री ने इस वर्ष की शुरुआत में ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इन योजनाओं का ध्यान दिलाते हुए राशि मंजूर करने की मांग की थी. लेकिन यह पूरा साल बीत गया. जानकारी के मुताबिक अब तक महज कुछ प्रतिशत राशि ही उपलब्ध कराई गई है. जिसकी वजह से पर्यटन विभाग की बड़ी-बड़ी योजनाएं इस वर्ष भी अधूरी रह गई है. बिहार के पर्यटन मंत्री ने मार्च महीने में ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर रामायण सर्किट अकेली राशि की स्वीकृति देने की मांग की थी. जिसके लिए वर्ष 2019 में ही बिहार ने ₹6733.53 लाख का डीपीआर तैयार कर भेजा था. इस योजना के तहत दरभंगा के अहिल्या स्थान, गौतम कुंड, मधुबनी जिला के गिरजा स्थान, बक्सर जिला के रामरेखा घाट, अहीरौली नदाव, बड़कागांव चरित्रवन और सीतामढ़ी के हलेश्वर स्थान, पुनौरा धाम और पंथपाकड़ को शामिल किया गया है.

पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने ईटीवी भारत की टीम के साथ बातचीत में बताया कि कई प्रमुख काम की शुरुआत की गई है जो अगले साल तक दिखाई देंगी. लेकिन इस बात का जवाब उनके पास भी नहीं कि आखिर केंद्र सरकार ने बिहार की योजनाओं के लिए कर्णांकित राशि अब तक उपलब्ध क्यों नहीं कराई. बिहार राज्य पथ पर्यटन निगम की बात की जाए तो निगम के पास कई सालों से एक टूरिस्ट बस नहीं है. जिससे वह बिहार के विभिन्न जगहों पर पर्यटन स्थलों की सैर लोगों करा सके. छोटी-छोटी गाड़ियों के सहारे पर्यटन निगम पर्यटकों को सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है.

'चंपारण में गांधी से जुड़े तमाम ऐतिहासिक जगहों पर पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही है. इसके अलावा वैशाली में लेजर शो और बोधगया में भी पर्यटकीय सुविधाओं के विकास के लिए काम हो रहा है. जिसका परिणाम अगले साल देखने को मिलेगा. उम्मीद है कि अगले साल पर्यटन की कई बड़ी योजनाएं पूरी होंगी और बिहार में पर्यटन उद्योग तेजी से विकसित होगा.' -नारायण प्रसाद, पर्यटन मंत्री

इधर मुख्यमंत्री के गृह जिला नालंदा से आने वाले राजद के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव कहते हैं कि बिहार के पर्यटन मंत्री के पत्र लिखने के बावजूद अगर केंद्र सरकार पर्यटन विकास के लिए राशि उपलब्ध नहीं करा रही है, तो इस बात का जवाब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देना चाहिए. जब केंद्र और राज्य में उनके सहयोग से ही सरकार चल रही है, तो भी केंद्र सरकार राशि उपलब्ध क्यों नहीं करा रही.

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