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पटना एम्स में बच्चों का वैक्सीनेशन ट्रायल शुरू, 30 फीसदी बच्चों में मिला एंटीबॉडी

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Published : Jun 9, 2021, 7:46 AM IST

पटना एम्स में 6 से 12 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. बच्चों के वैक्सीनेशन ट्रायल में अब तक 30 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है. बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. जिसे 3 फेज में बांटा गया है.

पटना एम्स में 750 बच्चों पर वैक्सीनेशन का ट्रायल
पटना एम्स में 750 बच्चों पर वैक्सीनेशन का ट्रायल

पटना: एम्स ( Patna AIIMS ) में बच्चों पर वैक्सीनेशन ( Vaccination ) का ट्रायल चल रहा है. जिसे 3 फेज में बांटा गया है. पहला 12 से 18 वर्ष के बच्चे, दूसरा 6 से 12 वर्ष के बच्चे और तीसरा 2 साल से 6 साल तक के बच्चे. ऐसे में ट्रायल का पहला फेज में 12 से 18 साल के एज ग्रुप के बच्चे शामिल हुए, जो पूरा हो गया है.

30 फीसदी बच्चों में मिला एंटीबॉडी
मंगलवार से 6 से 12 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. बच्चों के वैक्सीनेशन ट्रायल में अब तक 30 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है. बता दें कि बच्चों का पहले रजिस्ट्रेशन होता है फिर उनका जांच होता है और जांच में जिन बच्चों में एंटीबॉडी मिला उन्हें वैक्सीनेशन ट्रायल से अलग रखा गया है. पटना एम्स के डीन डॉ उमेश भदानी ने बताया कि कोरोना के थर्डवेव में बच्चों पर संक्रमण का खतरा ज्यादा है और इसको देखते हुए बच्चों का वैक्सीनेशन ट्रायल शुरू किया गया है.

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750 बच्चों पर वैक्सीनेशन का ट्रायल
देश भर में 8 जगहों पर यह वैक्सीनेशन ट्रायल चल रहा है और 750 बच्चों पर वैक्सीनेशन का ट्रायल होना है, जिसमें पटना एम्स में तीनों इस ग्रुप 12 से 18 वर्ष, 6 से 12 वर्ष, 2 से 6 वर्ष के 80 बच्चों पर वैक्सीनेशन का ट्रायल होना है.

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उन्होंने बताया कि ट्रायल का पहला फेज पूरा हो गया है. जिसमें 12 से 18 वर्ष के बच्चों का वैक्सीनेशन हुआ है और अब 6 से 12 वर्ष के बच्चों का वैक्सीनेशन ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. ट्रायल में अब तक किसी बच्चों में कोई दुष्परिणाम नजर नहीं आया है और सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

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ट्रायल से पहले बच्चों का रजिस्ट्रेशन
पटना एम्स के डीन डॉ उमेश भदानी ने बताया कि ट्रायल में शामिल होने के लिए सबसे पहले बच्चों का रजिस्ट्रेशन होता है और उसके बाद दो तरह के टेस्ट होते हैं. सबसे पहले उनका RT-PCR से कोरोना का जांच होता है ताकि यह पता चल सके कि अभी संक्रमण है या नहीं, और दूसरा उनका एंटीबॉडी जांच होता है. ताकि यह पता चल सके कि उन्हे कोरोना हुआ है या नहीं.

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वैक्सीनेशन का ट्रायल तेजी से चल रहा है
डॉ उमेश भदानी ने बताया कि बिना केस हिस्ट्री के जिन बच्चों में कोरोना का एंटीबॉडी पाया गया है, वह एसिंप्टोमेटिक रूप से किसी माध्यम से संक्रमित हुए होंगे और उनके अंदर एंटीबॉडी डेवलप कर गया होगा. बताते चलें कि जिस प्रकार से बच्चों पर वैक्सीनेशन का ट्रायल तेजी से चल रहा है, उससे कयास लगाया जा रहा है कि जुलाई के अंत तक या फिर अगस्त के शुरुआती सप्ताह में बच्चों के वैक्सीनेशन को भी मंजूरी भारत सरकार दे देगी. हालांकि इस बारे में वैक्सीनेशन ट्रायल में शामिल किसी अधिकारी ने पुष्टि नहीं की है.

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