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Ground Reality : रक्षाबंधन पर खुले स्कूल का हाल .. 962 बच्चों में से मात्र 14 विद्यार्थी ही आए विद्यालय

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 31, 2023, 4:09 PM IST

रक्षाबंधन पर खुले रहे स्कूल
रक्षाबंधन पर खुले रहे स्कूल

बिहार में रक्षाबंधन के मौके पर पहली बार प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालय खुले रहे. आश्चर्य की बात यह थी कि प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थान कॉलेज, विश्वविद्यालय बंद रहे. पर्व के दिन स्कूल खुले रहने पर भी बच्चों की संख्या नगण्य दिखी. पढ़ें पूरी खबर..

रक्षाबंधन पर खुले रहे स्कूल

पटना : बिहार में रक्षाबंधन पर स्कूल खुले रहे. प्रदेश के लगभग 80000 सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन हुआ, लेकिन विद्यार्थी न के बराबर ही पहुंचे. छात्र भले ही न पहुंचे हो, लेकिन विद्यालय में शिक्षक जरूर उपस्थित थे. जहां स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम है, वहां एक भी छात्रों की उपस्थिति नहीं थी. वहीं पटना के मिलर उच्च माध्यमिक विद्यालय की बात करें तो 962 बच्चों में मात्र 14 बच्चे ही उपस्थित रहे.

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कक्षा में नगण्य दिखी छात्रों की संख्या : रक्षाबंधन के मौके पर राजधानी पटना में ईटीवी भारत की टीम ने दर्जनों विद्यालयों का भ्रमण किया और सभी जगह छात्रों की उपस्थिति नगण्य नजर आई. मध्य विद्यालय मीठापुर में 300 से अधिक बच्चों की संख्या है, लेकिन मात्र 83 बच्चे उपस्थित थे. जबकि इस विद्यालय में अल्पसंख्यक समाज के बच्चों की संख्या अधिक है. वहीं इसी विद्यालय कैंपस में चलने वाले एक और स्कूल बालक मध्य विद्यालय में 200 से अधिक नामांकित छात्रों में लगभग 20 के करीब छात्र पहुंचे.

अभिभावकों को फोनकर के दी सूचना : शिक्षिका सरस्वती कुमारी ने कहा कि आज पहली बार रक्षाबंधन के मौके पर विद्यालय खुले हैं और बच्चों के अभिभावकों को फोन कर बताया गया कि विद्यालय खुला हुआ है. बच्चों को भेजिएगा. इसके बावजूद विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नगण्य है. उन्होंने कहा कि छुट्टियां रद्द होने से मन काफी दुखी है क्योंकि उन्हें भी भाई को राखी बांधने जाना था लेकिन वह सरकारी नौकर हैं और सरकार ने जब छुट्टी रद्द कर दी है तो ड्यूटी करनी ही है.

'अचानक छुट्टी रद्द होना वज्रपात की तरह ': मध्य विद्यालय मीठापुर के प्राचार्य अजय किशोर प्रसाद ने बताया कि उनके विद्यालय में मात्र 83 बच्चे पहुंचे हैं और वह भी इसलिए क्योंकि अल्पसंख्यक समाज के बच्चों की संख्या अधिक है. सामान्य दिनों में 250 से अधिक उपस्थित होते हैं. अचानक से निर्देश आया कि रक्षाबंधन की छुट्टी रद्द की जाती है तो यह एक तरह से सभी शिक्षकों के ऊपर वज्रपात जैसा है. शिक्षा विभाग आजकल जिस प्रकार निर्णय ले रहा है, यह ठीक ऐसा ही है कि आप खुले मैदान में है और कब आसमान से वज्रपात हो जाए यह कोई तय नहीं है.

"छुट्टियां रद्द होने से महिला शिक्षकों की परेशानियां बढ़ गई है क्योंकि चाहे छठ हो, भाई दूज हो या तीज और जिउतिया हो, यह तमाम पर्व महिलाएं ही करती हैं और इसलिए सरकार को अपने इस निर्णय पर एक बार सोचना होगा".- अजय किशोर प्रसाद, प्राचार्य, मध्य विद्यालय मीठापुर

'छात्रों ने कहा पहली बार रक्षाबंधन पर आए स्कूल' : वहीं छात्र सोनू कुमार ने कहा कि पहली बार वह रक्षाबंधन के मौके पर स्कूल आया है. अभी तक उसने राखी नहीं बंधवाई है और घर पर राखी बांधने के लिए बहन इंतजार कर रही है. विद्यालय की थोड़ी देर में छुट्टी होगी. छुट्टी के बाद घर जाएंगे और फिर राखी बंधवाएंगे. सोनू ने बताया कि क्लासरूम में काफी कम छात्र आज पहुंचे हैं. वहीं मिलर हाई स्कूल की प्राचार्या कुमारी सुधा ने बताया कि अचानक जिस प्रकार से त्योहारों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है. इससे शिक्षकों का शेड्यूल अस्त व्यस्त हो गया है.

"किसी को कहीं मेडिकल चेकअप के लिए जाना होता है इसको लेकर सीएल बचा कर रखते हैं और अब सब अस्त व्यस्त हो गया है. छठ में सिर्फ दो दिन की छुट्टी दी गई है. जबकि छठ जो करते हैं यह दो दिन का नहीं है बल्कि इसके लिए एक सप्ताह पहले से तैयारी शुरू हो जाती हैं". - कुमारी सुधा, प्राचार्या, मिलर हाई स्कूल

छुट्टियां रद्द होने से दुखी हैं शिक्षक : कुमारी सुधा ने बताया कि सरकार को यदि इस प्रकार का कोई फैसला करना था तो नए शैक्षणिक सत्र से करती. विद्यालय में 962 बच्चों में आज मात्र 14 बच्चे ही उपस्थित हुए हैं. छुट्टियां जिस प्रकार से कम की गई है इससे सभी शिक्षक दुखी हैं और विद्यालय की छुट्टियां रद्द करने के पीछे जो तर्क दिया गया है कि 220 दिन विद्यालय का संचालन हो, तो अभी के समय 253 दिन पहले से ही विद्यालयों का संचालन हो रहा है. सरकार इसे चेक भी कर सकती है.

"अचानक किस प्रकार से स्कूलों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है इससे वह सभी काफी दुखी हैं. सरकार ने पहले से छुट्टियां को तय करके रखा था उसे अनुसार सभी अपना शेड्यूल बना लिए थे कि विद्यालय में कब कौन शिक्षक छुट्टी लेंगे और अपनी जरूरी काम को करेंगे लेकिन अब सब अस्त व्यस्त हो गया है".- गजालत अंजुम, शिक्षिका

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