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महिलाओं ने भी माना- समाज के उत्थान के लिए जरूरी है जातीय जनगणना, जरूरतमंदों को होगा लाभ

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Published : Sep 4, 2021, 8:55 PM IST

बिहार समेत देश भर में जातिगत जनगणना की मांग उठ रही है. पटना में महिलाओं ने भी जातीय जनगणना के मुद्दे पर खुलकर बोला और ज्यादातर महिलाएं इसके समर्थन में नजर आयीं. पढ़े पूरी खबर...

जातीय जनगणना
जातीय जनगणना

पटना: देश भर में जातीय जनगणना (Caste Census) की मांग अब तूल पकड़ रही है. बिहार की राजनीति में जातीय जनगणना को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) सहित विपक्ष के तमाम नेता इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से मुलाकात कर चुके हैं. अब देखना होगा कि पीएम इस पर क्या निर्णय लेते हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने पटना में महिलाओं से बात की तो ज्यादातर महिलाएं जातीय जनगणना के समर्थन में नजर आईं.

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बता दें कि देश में 1931 में जातिगत जनगणना हुई लेकिन इसके बाद नहीं हुई. 2021 में यह मांग देश भर में तूल पकड़ रही है. जातीय जनगणना का सवाल राजनीतिक गलियारों से लेकर आम लोगों के मन में भी घूमने लगा है. विपक्ष लगातार इसको लेकर हमलावर है और जातीय जनगणना कराने की मांग पर अड़ा हुआ है. इस पर महिलाओं ने कहा कि जातीय जनगणना जरूरी है. इससे किस जाति, किस धर्म के कितने लोग हैं, उनकी सही संख्या पता लगेगी. साथ ही उनको उस हिसाब से आरक्षण और सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा.

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पटनावासी कंचन चौधरी ने बताया कि मांग जायज है, जातीय जनगणना होनी चाहिए. इससे समाज में किसकी कितनी भागीदारी है पता चलेगा. जातिगत जनगणना का मुद्दा लंबे अरसे से पड़ा हुआ है. समाज के उत्थान के लिए और सरकार की योजनाओं को जनहित में लागू करने के लिए यह महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेताओं ने प्रधानमंत्री से मिलकर जातीय जनगणना की मांग की है. जातीय के साथ-साथ आर्थिक जनगणना को भी जोड़ दिया जाता तो एक पंथ दो काज हो जाता और इससे समाज के निचले तबके के लोगों को काफी फायदा मिलता.

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निहारिका कृष्णन ने बताया कि जातीय जनगणना होना जरूरी है. इससे यह पता चलेगा कि हमारे देश में किस जाति, किस धर्म के लोगों की कितनी आबादी है. सिर्फ जानने के लिए जातीय जनगणना होना चाहिए न कि हमारे मानसिकता पर हॉबी होने के लिए. जिससे समाज में ये न लगे की कौन किस जाति और धर्म का है.

'जाति दो तरह की होती है. एक गरीब और दूसरी अमीर. जनगणना अमीरी और गरीबी का होना चाहिए न कि जाति का. उनका साफ तौर पर कहना है कि जातीय जनगणना उचित नहीं है. अगर जनगणना हो तो अमीरी और गरीबी की हो.' -श्यामा झा

'जातीय जनगणना होनी चाहिए. जातीय जनगणना होने से लोगों को फायदा होगा. देश में किस जाति और किस धर्म के लोगों की कितनी आबादी है, इसकी सरकार को जानकारी होगी और सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को मिलेगी.' -प्रिया साह

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