सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना पर सियासी घमासान, JDU की नाराजगी के बाद BJP ने लेखक पर दर्ज कराया FIR

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Published : Jan 13, 2022, 10:47 PM IST

सम्राट अशोक पर सियासी संग्राम

पद्मश्री से सम्मानित लेखक दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) ने जब से सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial Statement on Emperor Ashoka) दिया है. बिहार में सम्राट अशोक पर सियासी संग्राम छिड़ गया है. एक ओर जहां बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने मोर्चा खोल दिया है, वहीं दूसरी ओर अलग-अलग संगठनों के कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए हैं.

पटना: सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना (Comparison Between Ashoka and Aurangzeb) के बाद बिहार में जगह-जगह पर लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ प्रदर्शन (Protest Against Daya Prakash Sinha) हो रहे हैं. जेडीयू और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के विरोध के बाद अब बीजेपी ने साफ कर दिया है कि उनसे पार्टी का कोई संबंध नहीं है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) ने तो थाने में मुकदमा भी दर्ज करा दिया है.

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विरोध की वजह भी बहुत वाजिब है, क्योंकि मौर्य राजवंश के जिस सम्राट अशोक ने हमें राष्ट्र चिह्न दिया और अपने पराक्रम से अखण्ड भारत पर राज किया. जिनकी वीरता ही उनकी जाति थी, करुणा उनकी पहचान बनी और मानव सेवा ही उनका धर्म था. उन पर रिटायर्ड आईएएस और लेखक दया प्रकाश सिन्हा ने बेहद ओछी टिप्पणी की है.

देखें रिपोर्ट

दरअसल, पद्मश्री से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक पर विवादित बयान देते हुए उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दया प्रकाश सिन्हा ने कहा था, 'सम्राट अशोक क्रूर, कामुक और बदसूरत थे. उन्होंने अशोक को भाई का हत्यारा बताकर उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक बेहद बदसूरत और कामुक थे. देश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में सम्राट अशोक के उजले पक्ष को ही शामिल किया गया है, जबकि उनकी असलियत इससे अलग भी थी. श्रीलंका के तीन बौद्ध ग्रंथों का उन्होंने हवाला देकर ये बयान दिया था.'

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लेखक की इस टिप्पणी के बाद बिहार की सियासत गरमा गई है. कथित तौर पर बीजेपी के कल्चरल सेल के संजोयक और पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ नेताओं ने मोर्चा खोल दिया. जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) और उपेंद्र कुशवाहा ने विरोध जताते हुए उनसे पद्मश्री वापस लेने की मांग की.

"सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं है. इनके खिलाफ मोदी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए, महामहिम राष्ट्रपति से आग्रह करता हूं कि इनका पद्मश्री और सभी अन्य पुरस्कार रदद् करें और बीजेपी इन्हें निष्कासित करें"- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू

"यह अमर्यादित टिप्पणी है. पूरे देश में इसको लेकर आक्रोश है. यदि पार्टी कार्रवाई नहीं करती है तो उन्हें भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जिस प्रकार से सम्राट अशोक की औरंगजेब से अभद्र ढंग से तुलना की गई है, ऐसे व्यक्ति से पुरस्कार भी वापस ले लेना चाहिए"- उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, जेडीयू संसदीय बोर्ड

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उधर, बीजेपी के एक अन्य सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने इसे जाति से जोड़ दिया. उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि सम्राट अशोक का अपमान सिर्फ इसलिए कर रहें है कि वह पिछड़ी जाति से थे. ऐसे सामंती लोग नहीं चाहते हैं कि कोई दलित/आदिवासी/पिछड़ा का बच्चा सत्ता के शीर्ष पर बैठे.

  • कुछ लोग सम्राट अशोक का अपमान सिर्फ इसलिए कर रहें है कि वह पिछडी जाति से थें।
    ऐसे सामंती लोग नहीं चाहतें हैं कि कोई दलित/आदिवासी/पिछडा का बच्चा सत्ता के शिर्ष पर बैठे।
    मा.राष्ट्रपति से आग्रह है कि हमारे शैर्य के प्रतिक सम्राट अशोक पर टिप्पणी करने वालों का पद्म सम्मान वापिस लें।

    — Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) January 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हालांकि जैसे ही सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना करने वाले दया प्रकाश सिन्हा के ताल्लुक बीजेपी से होने की बात सामने आई, संजय जायसवाल से लेकर सुशील मोदी तक सामने आ गए. दावा किया कि लेखक से पार्टी का कोई संबंध नहीं है.

  • सम्राट अशोक पर जिस लेखक (दया प्रकाश सिन्हा) ने आपत्तिजनक टिप्पणी की, उनका आज न भाजपा से कोई संबंध है और न उनके बयान को बेवजह तूल देने की जरूरत है।
    भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर कोई सांस्कृतिक प्रकोष्ठ नहीं है।

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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संजय जायसवाल ने तो दया प्रकाश के खिलाफ पटना के कोतवाली थाने में मामला भी दर्ज करवा दिया है, लेकिन इसके बावजूद बिहार में सम्राट अशोक पर की गई इस अमर्यादित टिप्पणी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. तमाम जगहों पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. फुले समता परिषद ने लेखक पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है. नेताओं ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर लेखक के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो देशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा.

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