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Patna High Court : बिहार में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा पर HC में हुई सुनवाई, कोर्ट ने मांगा ब्यौरा

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Published : Aug 18, 2023, 5:30 PM IST

बिहार में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा को लेकर याचिका पर सुनवाई की गई. पटना हाईकोर्ट ने सरकार से अब तक की गई कार्रवाईयों का ब्यौरा मांगा है. इस केस में 2 हफ्ता बाद सुनवाई होगी.

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पटना : बिहार की पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को की जा रही कार्रवाईयों का पूरा ब्यौरा अगली सुनवाई में देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की.


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कोर्ट में याचिका पर सुनवाई : पिछली सुनवाई में कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया कि नयी नियमावली बना ली गयी है. कोर्ट ने हलफ़नामा पर दायर करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया था कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया, उस पर राज्य सरकार के द्वारा आधा अधूरा ही कार्य किया गया है.

कोर्ट ने ब्यौरा देने को कहा : कोर्ट ने पहले की सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को भी पूरी जानकारी देने को कहा था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या-क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था.

38 जिलों में मेंटल हेल्थ प्रोग्राम : साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा था. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया था कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं. लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है. पूर्व की सुनवाई में उन्होंने बताया था कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए. साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराएं.

2 सप्ताह बाद अगली सुनवाई : कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कॉलेज है. लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं, जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कॉलेज नहीं है. पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं. उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी.

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