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बिहार में पकड़ौआ शादी एक सामाजिक अभिशाप, जिंदगी भर के लिए कुंठित जीवन जीती हैं लड़कियां

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 2, 2023, 9:03 PM IST

Bihar Pakadwa Vivah: बिहार में पकड़ौआ शादी काफी समय से चलते आ रहा है. कुछ लोग इसे किस्मत मानकर चुप रह जाते हैं, लेकिन कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें लड़का-लड़की का तलाक हो जाता है. पटना हाईकोर्ट भी इस शादी को नहीं मानता है. ऐसे में बिहार की महिलाओं का इस शादी को लेकर क्या राय है, आइए जानते हैं.

बिहार में पकड़ौआ शादी
बिहार में पकड़ौआ शादी

बिहार में पकड़ौआ शादी पर महिलाओं का विचार

पटनाः हाल में बिहार के वैशाली में बीपीएससी शिक्षक का पकड़ौआ शादी का मामला सामने आया. बिना मर्जी की शादी का यह मामला काफी पुराना है, जिसमें लड़का-लड़की की गैरमंजूरी के बावजूद समाज के कुछ दबंग लोग शादी करा देते हैं. कुछ लोग इसे किस्मत समझकर चुप रह जाते हैं, लेकिन धीरे धीरे इसका विरोध होने लगा है. हाईकोर्ट भी अब इसे अपराध मानने लगा है और इस शादी को मान्यता नहीं देता है. खासकर लड़की को इससे ज्यादा परेशानी होती है.

जबरन शादी कराना गलतः महिलाओं के मुद्दे पर एक्टिव रहने वाली कांग्रेस नेता निधि पांडे ने भी इसका विरोध जताया है. उन्होंने हाईकोर्ट के इस फैसले को सही बताया है. हालांकि उन्होंने कहा कि इसमें लड़की को काफी परेशानी होती है. अभिभावक को ऐसा नहीं करना चाहिए. इस तरह से जबरन शादी कराना गलत साबित हो जाता है.

"यह काफी गलत है. हाईकोर्ट का फैसला भी सही है, लेकिन इसमें लड़की काफी पीड़ित होती है. लड़की को पता नहीं होता है कि लड़का का चरित्र क्या है. लड़के से उसके विचार मिलते हैं या नहीं यह उसे पता नहीं होता और जबरन उसकी शादी करा दी जाती है. लड़की का जीवन बर्बाद हो जाता है." - निधि पांडे, कांग्रेस नेता

ईटीवी भारत GFX.
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यह समाज का कुंठित सोचः स्त्री विमर्श पर लिखने वाली साहित्यकार और एएन कॉलेज की प्रोफेसर भावना शेखर ने भी इसे सामाजिक अभिशाप मानती है. उन्होंने बताया कि पकड़ौआ विवाह में लड़कों से अधिक लड़कियों का संघर्ष है. हमारे समाज की जो व्यवस्था है उसमें यह है कि एक लड़की कि जब शादी हो जाती है तो दोबारा वह शादी के योग्य नहीं है. प्रोफेसर ने इसे कुंठित सोच करार दिया है.

"समाज में अभी भी वर्जिनिटी को महत्व दिया जाता है. पकड़ौआ शादी के बाद लड़की कुछ दिनों के लिए लड़के के पास भेज दिया जाता है, लेकिन लड़के वाले उसे नहीं अपनाते हैं. हाई कोर्ट का निर्णय भी आ गया है कि यह शादी मान्य नहीं है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव लड़की पर होता है. कोई अच्छा परिवार उसे नहीं मिलता." -प्रोफेसर भावना शेखर, साहित्यकार

दोहरी मार झेलती लड़कियांः भावना शेखर बताती है कि ऐसी शादियों में लड़कियां दो तरफ से मार झेलती हैं. दोधारी तलवार पर चलना पड़ता है. इस शादी में लड़के की मर्जी तो नहीं ही होती लेकिन लड़की की भी मर्जी नहीं होती है. कानून इस शादी को तोड़ने के बाद लड़की का जीवन अधर में लटक जाता है. पहले वाले से संबंध टूट जाएगा तो दूसरा कोई उससे विवाह करना नहीं चाहेगा. परिवार के सदस्य नियति पर छोड़ देंगे. लड़की आजीवन मानसिक पीड़ा में रहेगी.

लड़का-लड़की दोनों को परेशानीः स्त्रियों के मुद्दे पर मुखर पटना के तपेन्दु कॉलेज की प्रोफेसर सुमेधा पाठक ने बताया कि "पकड़ुआ विवाह में न लड़का की मर्जी रहती है न लड़की की मर्जी रहती है. लड़कियों के साथ दुविधा यह हो जाती है कि जो लड़का उसे मन से नहीं स्वीकार सकता उसका परिवार उसे कैसे स्वीकार करेगा." उन्होंने बताया कि लड़की का संघर्ष उसके परिवार और लड़के दोनों के साथ होता है. दूसरी ओर लड़की के परिवार वाले ससुराल वाले के भरोसे उसे छोड़ देते हैं. जो काफी बुरा होता है.

यह घटना काफी दुखदः विशेषज्ञ मानते हैं कि इस शादी में लड़की कभी भी लड़के और उसके परिवार से नहीं जुड़ पाती है. उसका वैवाहिक जीवन खराब हो जाता है. लड़की न घर की रहती है न घाट की. उसका आसानी से पुनर्विवाह भी नहीं हो सकता है. परिवार वाले मान लेते हैं कि एक बार शादी हो गई तो उसका अब पूरा जीवन वही बीतेगा. यह घटना एक लड़की के लिए बहुत दुखद और त्रासदी वाली है.

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