पटना: प्रदेश में शराबबंदी कानून लागू है और शराब की खरीद- बिक्री और सेवन प्रतिबंधित है. वहीं जहरीली शराब पीकर आए दिन होने वाली मौतों ने शराबबंदी कानून के क्रियान्वयन को लेकर प्रशासन के रवैये पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. हाल ही में छपरा में 70 से अधिक लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई. मृतक के परिजनों ने बताया कि पास में ही भट्ठी में शराब बनाया जाता है. पाउच में शराब की बिक्री की जाती है, जिस पाउच वाले शराब को पीकर लोगों की मौत हुई है. इसपर महिलाओं का कहना है कि प्रदेश में शराबबंदी अच्छी बात है लेकिन इसमें बरती जा रही लापरवाही कहीं से भी सही नहीं है. (liquor ban in Bihar )
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बोली आधी आबादी- 'शराबबंदी सही है': मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब शराबबंदी लागू की थी तो प्रदेश के महिलाओं के आह्वान पर उन्होंने शराबबंदी लागू की थी. प्रदेश की महिलाएं आज भी नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून के पक्ष में है. महिलाओं का कहना है कि नशा पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है. शराबबंदी सही चीज है लेकिन शराब की बिक्री अभी भी हो रही है. प्रशासन इसको रोक पाने में विफल साबित हो रहा है. अभी भी लोग शराब पीकर घरेलू हिंसा कर रहे हैं. गलत शराब पीकर मर जा रहे हैं और इसका खामियाजा उनके परिजनों को उठाना पड़ रहा है. महिलाओं ने सरकार से आग्रह किया है कि प्रदेश में अवैध रूप से होने वाली शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए प्रशासन कड़े कदम उठाए.
'नशे में बर्बाद हो रहे हैं युवा ': पटना के मंदिरी क्षेत्र की रहने वाली 65 वर्षीय सुनीता देवी बताती हैं कि शराबबंदी कानून एकदम सही चीज है और प्रदेश में शराब नहीं दिखना चाहिए. मगर अभी भी शराब बिक रहा है और लोग पी रहे हैं. उन्होंने बताया कि मंदिरी के इलाके में झुग्गी झोपड़ी में हर घर में शराब बिक रही है. यह खुलेआम बिक रहा है और बच्चे और युवा नशे में बर्बाद हो रहे हैं.
"शराब के साथ-साथ पटना में स्मैक भी काफी बिक रहा है. मेरा इकलौता बेटा है जो दिन भर स्मैक के नशे में डूबा रहता है. पूरा परिवार तबाह हो रहा है. शराब बेचने वालों से प्रशासन सख्ती से नहीं निपटती है. इसके कारण दरौली से शराब की बिक्री हो रही है जबकि प्रदेश में शराबबंदी कानून है तो शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक होनी चाहिए थी. मैं चाहती हूं कि प्रशासन शराब बेचने वालों और स्मैक बेचने वालों पर कठोर कार्रवाई करे."- सुनिता देवी
"शराब पीना गलत है और शराबबंदी कानून का हम समर्थन करते हैं. अभी भी शराब प्रदेश में बन रहे हैं. जब यह जहरीली हो जा रही है तो इसे पीने वाले लोग मर रहे हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं यह प्रशासन की विफलता है. शराब बनाने वाले और शराब बेचने वाले पर सरकार को एक्शन लेना चाहिए."- मंजू देवी
"शराब का सेवन गलत है. मेरा 28 साल का बेटा इससे खत्म हो गया. जीवन है जीना पड़ता है और अब मैं अपनी बेटी के यहां आकर रहती हूं. कभी कभार नाती नतनी के साथ घूमने निकल जाती हूं. शराब बेचने वालों पर सरकार जाने कार्रवाई करना है या नहीं, शौक से भी लोग पीते हैं, लेकिन शराब पीना गलत है."- गीता देवी
"शराब नहीं पीना चाहिए और शराबबंदी सही चीज है लेकिन अभी भी शराब की बिक्री हो रही है. क्योंकि रोजाना आस-पास में काफी लोग शराब पीकर रहते हैं. ऐसे में लोग यदि शराब पी रहे हैं तो प्रदेश में शराब बिक रहा है."- रेनू देवी
"शराबबंदी बहुत सही चीज है लेकिन अवैध रूप से अभी भी प्रदेश में शराब की बिक्री हो रही है और लोग पी रहे हैं. यह बहुत ही गलत बात है. यह पूरी तरह से प्रशासनिक विफलता है. जब प्रदेश में शराबबंदी है तो दूसरे प्रदेशों से कैसे शराब की बोतलें प्रदेश में आ जा रही हैं. नियम बना देने से कुछ नहीं होता है उस पर कड़ाई से काम होना चाहिए. प्रदेश में शराबबंदी है इसके बावजूद लोग शराब पी रहे हैं. घर में घरेलू हिंसा कर रहे हैं या फिर गलत शराब पीकर मर जा रहे हैं."- सीमा कुमारी, गोपालगंज से पटना घूमने आई महिला
छपरा में जहरीली शराब से 73 लोगों की मौत: बता दें कि छपरा में जहरीला पदार्थ पीने से करीब 73 लोगों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. जिला प्रशासन की ओर से 67 मौतों की पुष्टि संदिग्ध पदार्थ पीने की वजह से की गई है. सारण के मशरक थाना क्षेत्र, मढ़ौरा, इसुआपुर और अमनौर प्रखंड में ही ये मौतें ज्यादा हुईं हैं. मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, ये टीम पूरे मामले की तफ्तीश में जुटी है.
बिहार में शराबबंदी कानून फेल : बता दें कि 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. इस कारण से जहरीली शराब से बिहार के विभिन्न जिलों में लोगों की मौत होती रहती है. यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी ही कैसे हो सकता है, जिन्हें शराब से मौत के मामले में अक्सर दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया जाता है.