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जब अटल बिहारी वाजपेयी ने नीतीश कुमार को फोन कर शपथ लेने को कहा था... वह पल आज भी नहीं भुल पाए...

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Published : Dec 25, 2021, 2:47 PM IST

Updated : Dec 25, 2021, 5:21 PM IST

बिहार के लिए भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी और नीतीश कुमार की जोड़ी वरदान साबित होती रही. नीतीश कुमार को वह दिन आज भी याद है जब अटल बिहारी वाजपेयी ने फोन कर कहा, 'नीतीश जी आपको मंत्रिमंडल में शामिल होना है...' पढ़ें अटल बिहारी वाजपेयी और नीतीश कुमार के बीच के खास रिश्तों के बारे में...

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नीतीश कुमार और अटल बिहारी वाजपेयी

पटना: आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary) का जन्मदिन मना रहा है. आज के दिन उन्हें याद किया जा रहा है. वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री होने के अलावा हिंदी कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे. वह जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे. वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी और नीतीश कुमार के बीच काफी अच्छे संबंध (Nitish Kumar Relation With Atal bihari vajpayee) थे. अटल बिहारी वाजपेयी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने राजनीति के गुण सीखे और अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीतिक गुरु भी माना.

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पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी देश के लिए आईकॉन थे. कई राजनेताओं ने भी अटल बिहारी वाजपेयी को अपना आदर्श माना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अटल बिहारी वाजपेयी के करीबियों में थे. दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की इच्छा रहती थी कि वाजपेयी कैबिनेट का हिस्सा नीतीश कुमार रहे.

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राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का कहना है कि नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेई को अपना आदर्श मानते थे और उनकी कार्यशैली से बहुत प्रभावित थे. उन्होंने कहा कि अटल जी भाजपा और संघ के करीब होते हुए भी विवादास्पद मुद्दों से खुद को अलग रखते थे. यह नीतीश कुमार को बहुत पसंद आता था. डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि अटल बिहारी बाजपेई के लिए भी नीतीश पहली पसंद थे और इसी वजह से अटल बिहारी बाजपेई ने नीतीश कुमार को अपने कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी दी और बाद में बिहार का मुख्यमंत्री भी बनाया.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अटल बिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु माना. सुशासन और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को नीतीश कुमार ने अटल जी से ही सीखा और उसे लागू करने की कोशिश भी की. दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ने नीतीश कुमार की राजनीति को एक तरीके से दिशा देने का काम किया. नीतीश कुमार की कार्यशैली की वजह से अटल जी उन्हें खूब पसंद करते थे. इसीका नतीजा था कि नीतीश कुमार हमेशा अटल कैबिनेट के हिसा रहे.

एक मौका ऐसा भी आया जब नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक भविष्य अंधकार में दिख रहा था. उस वक्त भी नीतीश कुमार को अटल जी का ही सहारा मिला. वहीं, 1999 में 13वीं लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए और नीतीश कुमार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए. नीतीश कुमार बातौर कृषि मंत्री वाजपाई कैबिनेट में शामिल हुए. साल 2000 नीतीश कुमार के राजनीतिक कैरियर में अहम मोड़ आया जब अटल-आडवाणी ने नीतीश कुमार के कंधों पर बिहार की जिम्मेदारी सौंपी.

नीतीश कुमार को बिहार आना पड़ा. वहीं 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक नीतीश कुमार अल्पकाल के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन बहुमत का जुगाड़ नहीं हो पाने के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उस समय बिहार और झारखंड का बंटवारा नहीं हुआ था. बिहार में विश्वास प्रस्ताव में शिकस्त मिलने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि हम खूंटा गाड़ कर बिहार में रहेंगे और बिहार की राजनीति करेंगे. लेकिन कुछ महीने बीतने के बाद नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक भविष्य अंधकार में दिखने लगा. वह दिल्ली में समय व्यतीत कर रहे थे और उसी दौरान एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी का फोन आया और अटल जी ने कहा कि नीतीश जी आप को मंत्रिमंडल में शामिल होना है.

नीतीश कुमार अकेले व्यक्ति थे जिनका शपथ ग्रहण हुआ था और नीतीश कुमार फिर कृषि मंत्री बनाए गए. नीतीश कुमार उस क्षण को आज भी भूल नहीं पाए हैं और अपने भाषणों में इसका उल्लेख ही करते हैं. वर्ष 2001 में नीतीश कुमार को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया. महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना का नाम भी नीतीश कुमार ने अटल जी के सम्मान में रखा और आज की तारीख में अटल पथ बनकर तैयार है. अटल जी ने भी बिहार की चिंता की. 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी नदी पर रेल पुल की नींव रखी थी, जो 17 साल बाद बनकर तैयार हुआ और पीएम मोदी ने उसका उद्घाटन किया. अपने प्रधानमंत्री काल में अटल बिहारी वाजपेयी ने पटना सहित देश के 6 हिस्सों में एम्स खोलने का निर्णय लिया था. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान 350 करोड़ की लागत से आधारशिला भी रखी गई थी. आखिरकार 5 दिसंबर 2012 को पटना एम्स ने काम करना शुरू कर दिया.

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Last Updated :Dec 25, 2021, 5:21 PM IST
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