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लिट्टी-चोखा और पापड़ी के मुरीद थे अटल जी.. जिंदगी भर वो ना तो बक्सर को भूल पाए और ना ही बक्सर उन्हें

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Published : Dec 25, 2021, 8:49 AM IST

Updated : Dec 25, 2021, 12:39 PM IST

भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee) का बिहार और खासकर बक्सर से गहरा नाता रहा है. वो कई बार बक्सर आए. यहां आने के बाद वो कभी भी लिट्टी चोखा और मशहूर पापड़ी खाना नहीं भूलें. अटलजी का बक्सर के संबंधों के बारे में इस रिपोर्ट में पढ़ें..

अटल बिहारी वाजपेयी का बक्सर से संबंधो
अटल बिहारी वाजपेयी का बक्सर से संबंधो

बक्सरः बात जब भी भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की होती है, तो उनका बिहार से संबंधों (Atal Bihari Vajpayee Relation With Buxar) का जिक्र न करना बेईमानी होगी. पूर्व प्रधानमंत्री का यूं तो भारत के कोने-कोने से जुड़ाव था, लेकिन खासकर बिहार के बक्सर से अटलजी का गहरा संबंध रहा. यहां के खान-पान उन्हें खूब पसंद थे. बिहार का लिट्टी-चोखा और बक्सर की पापड़ी (Atal ji Loved Litti chokha And Papdi) उनके दो खास डिश थे. यही कारण है कि अटलजी जीवन भर न तो बक्सर को भूल पाए और न ही बक्सर उनको.

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सिविल लाइन बक्सर के रहने वाले विनोद उपाध्याय बतातें हैं साल 1968 था. मेरे पिताजी जिला संघ संचालक थे. तब अटल जी ट्रेन से यात्रा करते हुए बक्सर से गुजरने वाले थे. तो मैं अपने पिताजी स्वर्गीय राम उदार राय के साथ थर्मस में दूध लेकर स्टेशन गया और अटल जी को पीने के लिए दिया.

अटल जी का बक्सर से कैसा था रिश्ता, जानें

वो आगे बताते हैं कि सन 1974 में अटल जी मेरे घर भी आए थे. सेवा सत्कार हुआ. आवभगत हुई. प्रातः का जलपान करने के बाद मेरे घर के बगल में ही स्वर्गीय मोहन जी सहाय के यहां बैठक हुई. इसके बाद चूंकि अटल जी को लिट्टी चोखा और पापड़ी खूब पसंद थी, इसलिए भोजन में यही परोसा गया. अटल जी ने इन दोनों डिश का खूब आनंद लिया था.

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एक समय की बात है, जब वो बक्सर के ब्रह्मपुर में आए थे. उस समय वहां के विधायक स्वामीनाथ तिवारी हुआ करते थे. विधायक जी ने कोइलवर तटबंध का नक्शा बदलवाने के लिए अनशन किया था और पत्र के माध्यम से वाजपेयी जी को इस समस्या से अवगत करवाया था. इसके बाद खुद वाजपेयी जी ने इसे संज्ञान में लिया और समस्या के निदान के लिए आश्वस्त किया. बाद में वह कार्य पूरा भी हुआ.

अटलजी एक दफा और बक्सर उस वक्त आए थे, जब स्वामी सहजानंद सरस्वती की मूर्ति का अनावरण होना था. अटल जी को ही करना था. इस दौरान भी अटलजी के लिट्टी-चोखा खाना ही पसंद किया था. लिट्टी-चोखा खाकर भला कौन इसकी तारीफ नहीं करेगा. अटल जी ने भी प्रसन्नता जाहिर करते हुए अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि आप जब कभी भी मिलने आएं तो लिट्टी-चोखा जरूर लाएं.

इसके बाद उन्होंने ब्रह्मपुर में ब्रम्हेश्वर नाथ भगवान के दर्शन किए. कार्यकर्ताओं ने उन्हें बक्सर की मशहूर पापड़ी भेंट की. बक्सर से अटल जी के रिश्ते की गहराई और मिठास का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जब उनका निधन हो गया तो जिले के ही एक आरएसएस कार्यकर्ता मंटु सिंह ने खुद को अटल जी का मानस पुत्र बताते हुए श्राद्धकर्म किया था.

अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी और बक्सर से चार बार सांसद रहे लाल मुनि चौबे के सुपुत्र और पत्रकार शिशिर चौबे ने भी अटल जी के लिट्टी-चोखा और पापड़ी से प्रेम को बताया. शिशिर बताते हैं कि अटल जी सिर्फ बक्सर में ही नहीं, बल्कि दिल्ली से जब अपने घर भी आते थे तो यहां की पापड़ी मंगवाकर जरूर खाते थे.

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शिशिर संस्मरण की एक तस्वीर दिखाते हुए कहते हैं कि अटल जी उनके घर भी एक बार आए थे. यहां भी उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी और भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ लिट्टी चोखा ही खाया था. खिलाने वालों में आज के जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा भी थे. ऐसी कई यादें हैं जो बक्सर से अटल जी के अपनत्व का अनुभव कराती है.

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Last Updated : Dec 25, 2021, 12:39 PM IST
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