नीतीश का लिटमस टेस्ट: पंचायत चुनाव के जरिए खोई जमीन वापस पाना चाहेगी JDU

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Published : Aug 24, 2021, 7:12 PM IST

Updated : Aug 24, 2021, 7:38 PM IST

सीएम नीतीश का लिटमस टेस्ट

विधानसभा चुनाव में जेडीयू की खराब परफॉर्मेंस के बाद पार्टी को धारदार बनाने में पंचायत चुनाव बड़ी भूमिका निभा सकता है. ऐसे में सीएम नीतीश और जदयू के नेताओं के लिए अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव जिताना भी एक बड़ी चुनौती होगी. पढ़ें पूरी खबर-

पटना: बिहार में पंचायत चुनाव 2021 (Bihar Panchayat Chunav 2021) के लिए राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) ने डुगडुगी बजा दी है. इस बार का पंचायत चुनाव जेडीयू के लिए काफी अहम रहने वाला है. क्योंकि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 43 सीट पर सिमटने वाली जेडीयू पंचायत में अपनी पैठ जमाना चाहेगी. इस तरह ये पंचायत चुनाव एक तरह से सीएम नीतीश (Chief Minister Nitish Kumar) के लिए लिटमस टेस्ट भी है.

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साल 2005 से 2020 तक के सफर में जेडीयू ने काफी चढ़ाव और उतार देखे हैं. सीएम नीतीश ने गांवों को उन्नत बनाने के लिए अपने हर बार के शासन काल में पंचायत को सशक्त बनाने का काम किया. 2005 में सरकार बनाने के ठीक एक साल बाद साल 2006 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 फीसदी पद आरक्षित कर दिया.

पंचायतों में महिलाओं के आरक्षण का नतीजा ये हुआ कि साल 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू को रिकॉर्ड सीट मिली. 2005 में जेडीयू को महज 88 सीटों पर विजय मिली थी लेकिन साल 2010 में नीतीश ने अपनी पार्टी के लिए एक मानक स्थापित कर दिया. अकेले जेडीयू ने ही 115 सीट हासिल कर ली. 2015 में जेडीयू की पकड़ गांवों से छूट गई. तब नीतीश ने सात निश्चय योजना के जरिए एक बार फिर गांवों तक पहुंच बढ़ानी शुरू की. हालाकि नीतीश को इसका कोई खास फायदा नहीं मिल पाया. हां गावों को इसका लाभ जरूर शुरू हो गया.

इसी तरह 2020 के विधानसभा चुनावों से पहले नीतीश ने निश्चय पार्ट-2 की शुरुआत की. नीतीश सरकार तो बन गई लेकिन 115 सीट पाने वाली जेडीयू 43 सीट पर ही सिमट गई. खो चुके पॉलिटिकल आत्मबल को पाने के लिए इस बार पंचायत चुनाव ही जेडीयू की कसौटी है. इसे हर हाल में नीतीश और उनकी पार्टी को पूरा करना होगा.

पंचायत चुनावों में वापसी के लिए ही गांवों और शहरों को जोड़ने के लिए नीतीश सात निश्चय योजना लेकर आए थे. इसे लाने का असल मकसद ही यही था. उन्होंने युवाओं, महिलाओं और विकास को मुद्दा बनाकर सात निश्चय योजना लॉन्च किया. हर योजना का लक्ष्य घर-घर पहुंचने का रखा. हर घर बिजली हो या फिर हर घर नल का जल. घर तक पक्की नली-गली हो या फिर शौचालय निर्माण. सब योजनाओं के जरिए नीतीश का फोकस गांव ही रहा है.

निश्चय पार्ट-2 के जरिए युवा शक्ति को जोड़कर बिहार के प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने का काम किया. महिलाओं को सशक्त और सक्षम बनाने की योजनाएं लेकर आए. हर खेत तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखकर गांवों के किसानों को साधने की कोशिश की. गांव की स्वच्छता और समृद्धि की योजना बनाईं. आंगनबाड़ी और आशा बहनों के माध्यम से गांवों को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ा. जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य के बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके.

इसलिए, इस बार के पंचायत चुनाव के जरिए नीतीश एक बार फिर अपना वो पुराना जनाधार पंचायत चुनाव में जोरदार जीत से मजबूत करना चाहते हैं. पंचायत चुनाव कभी पार्टी आधारित तो नहीं लड़े गये हैं. लेकिन जीतने के बाद मुखिया पार्टी को समर्थन देने का दावा करते हैं. आमतौर पर ये मुखिया एक तरह से पार्टी के कार्यकर्ता ही होते हैं.

आपको बता दें कि इस पंचायत चुनाव में बिहार में 9 प्रमंडल 38 जिले 534 प्रखंड 8072 ग्राम पंचायत और 1.14 लाख वार्ड हैं. ग्राम पंचायत मुखिया के 8072, ग्राम पंचायत सदस्य के 113307, पंचायत समिति सदस्य के 11104, जिला परिषद सदस्य के 1160, ग्राम कचहरी सरपंच के 8072 और ग्राम कचहरी पंच के 113307 पदों पर चुनाव होंगे. कुल 2,55,022 पदों के लिए वोट डाले जाएंगे. 11 चरण में होने वाले पंचायत चुनाव में पहली बार ईवीएम (EVM) का इस्तेमाल होगा. वोट 24 सितंबर, 29 सितंबर, 8 अक्टूबर, 20 अक्टूबर, 24 अक्टूबर, 3 नवंबर, 15 नवंबर, 24 नवंबर, 29 नवंबर, 8 दिसंबर और 12 दिसंबर को डाले जाएंगे.

8072 पंचायतों में 1,13,891 बूथ बनाए गए हैं. मतदान भवनों की संख्या 73736 है. चुनाव में 6,38,94,737 मतदाता शामिल होंगे. इनमें 3,35,80,487 पुरुष, 3,03,11,779 महिला और 2,471 अन्य मतदाता हैं. पहले चरण में 10 जिलों के 12 प्रखंडों में मतदान होंगे. दूसरे चरण में 32 जिलों के 48 प्रखंडों, तीसरे चरण में 33 जिलों के 50 प्रखंडों, चौथे चरण में 36 जिलों के 53 और पांचवें चरण में 38 जिलों के 58 प्रखंडों में वोट डाले जाएंगे.

वहीं, छठे चरण में 37 जिलों के 57 प्रखंडों, सातवें में 37 जिलों के 63 प्रखंडों व आठवें चरण में 36 जिलों के 55 प्रखंडों में मतदान होगा. नौवें चरण में 33 जिलों के 53 प्रखंडों और 10वें चरण में 34 जिलों के 53 प्रखंडों में मतदान होंगे. 11वें और अंतिम चरण के मतदान में बाढ़ प्रभावित 20 जिलों के 38 प्रखंडों के मतदाता शामिल होंगे.

बिहार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एक तरह से नीतीश के लिए लिटमस टेस्ट है क्योंकि आगे यूपी चुनाव है. बिहार में जितनी गहरी जड़ें जेडीयू की होगी पार्टी की शाखाएं उतनी ही ऊंची होंगी. पंचायत चुनाव में अपनी मजबूती साबित कर नीतीश यूपी चुनाव में भी अपना जड़ जमाना चाहते हैं. लेकिन ये तभी होगा जब बिहार के पंचायत चुनाव में उन्हें मन मुताबिक जीत मिलेगी.

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Last Updated :Aug 24, 2021, 7:38 PM IST
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