पटना: भारत सरकार के ड्रोन प्रोजेक्ट के तहत पटना एम्स में ड्रोन उड़ाकर सफल डेमो दिया गया. ट्रायल के दौरान ड्रोन को दवा लेकर एम्स के एक से दूसरे कोने तक भेजा गया. पहले दवा नौबतपुर पीएचसी पहुंचाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कोहरे के कारण योजना रद्द कर दिया गया. एम्स से इस ड्रोन के जरिए ग्रामीण इलाकों में जीवन रक्षक दवाईयों को उपलब्ध कराना है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ड्रोन प्रोजेक्ट का हिस्सा: इस मौके पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना के कार्यकारी निदेशक और सीईओ डॉ जीके पाल ने बताया कि यह प्रदर्शन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ड्रोन प्रोजेक्ट का हिस्सा है. जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन में स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी आईएनआई में कार्यान्वित किया जा रहा है.
ड्रोन दीदियों को किया जाएगा प्रशिक्षित: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अत्याधुनिक ड्रोन की खरीद व ड्रोन संचालन के लिए भी तैयारी की है. बताया गया कि पायलट बनने से लेकर ड्रोन दीदियों के प्रशिक्षण और प्रमुख आईएनआई में ड्रोन परियोजनाओं की शुरुआत और रखरखाव के लिए सभी लॉजिस्टिक सहायता दी है. यह ड्रोन पटना एम्स के आसपास 15 किलोमिटर तक के एरिया में दवा पहुंचाने की क्षमता रखता है.
खराब मौसम की वजह से स्थगित: यह प्रदर्शन 24 जनवरी, 2024 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ड्रोन परियोजना शुरू करने की तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है. ड्रोन की क्षमता के अनुसार एम्स पटना परिसर से नौबतपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी, लेकिन मौसम खराब रहने की वजह से फिलहाल 5 दिनों के लिए स्थगित कर दी गई है.
15 किलोमीटर तक दवाएं पहुंचाएगा ड्रोन: वहीं इस प्रोजेक्ट को लेकर ड्रोन संचालन के लिए पायलट बनने के लिए ड्रोन दीदियों को प्रशिक्षण और प्रमुख आईएनआई में ड्रोन परियोजनाओं की शुरुआत की गई है. जिसे इस परियोजना से ड्रोन के माध्यम से जीवन रक्षक दवा जल्द से जल्द पहुंचाई जा सके. इसको लेकर सभी अस्पतालों के सेंटर पर प्रशिक्षित ड्रोन दीदियों को तैनात किया जाएगा.
"आज हमलोगों ने ड्रोन का डेमो किया. सभी लोगों के लिए ये खुशी का पल है. ड्रोन से दूर-दराज के मरीजों को दवा भेजकर उसकी जान बचाई जाएगी. ड्रोन के संचालन के लिए हर सेंटर पर ड्रोन दीदी रहेंगी, जिन्हें दवाओं से लेकर ड्रोन के रखरखाव और उसे चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा."- डॉ अनिल कुमार, चिकित्सक, पटना एम्स