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Patna AIIMS: तैयार हो रहा है 300 प्लस बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट भवन, इमरजेंसी के मरीजों को मिलेगा फायदा

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Published : Apr 4, 2023, 7:02 AM IST

डॉक्टर जी.के पॉल, निदेशक, पटना एम्स
डॉक्टर जी.के पॉल, निदेशक, पटना एम्स

बिहार के पटना एम्स में 300 प्लस बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट भवन बनने जा रहा है, इसमें 90 बेड का बर्न केयर सेंटर होगा, जो पूरे ईस्टर्न इंडिया में एम्स में इस प्रकार की पहली व्यवस्था होगी. इससे इमरजेंसी के मरीजों को काफी फायदा मिलेगा.

डॉक्टर जी.के पॉल, निदेशक, पटना एम्स

पटनाः राजधानी के पटना एम्स में इमरजेंसी के मरीजों के लिए नया क्रिटिकल केयर यूनिट भवन तैयार होने जा रहा है जहां 300 प्लस बेड की व्यवस्था होगी. यह भवन बनने का काम शुरू हो गया है और नवंबर 2024 तक यह बनकर तैयार हो जाएगा. इस बात की जानकारी पटना एम्स के निदेशक डॉ जी.के पॉल ने दी. डॉक्टर जी.के पॉल ने बताया कि पटना एम्स लगातार एम्स के मानक स्टैंडर्ड को मेंटेन करने के लिए कार्य कर रहा है. उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में जी प्लस टू का एक नया भवन बर्न केयर ट्रीटमेंट के लिए बन रहा है. कुल 90 बेड का यह बर्न केयर सेंटर बिहार में अपने तरह का अनोखा होगा और पूरे ईस्टर्न इंडिया में एम्स में इस प्रकार की पहली व्यवस्था होगी.

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24 घंटे के अंदर हुआ फैकेल्टी मेंबर्स का रिक्रूटमेंट: डॉक्टर जी.के पॉल ने बताया कि अस्पताल में फैकल्टी मेंबर्स की कमी को दूर करने के लिए भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. बीते 6 महीने में कई फैकेल्टी मेंबर्स का रिक्रूटमेंट हुआ है. फैकेल्टी मेंबर्स के अस्पताल में 305 पद हैं जिसमें अभी के समय 72 खाली हैं. नन फैकेल्टी मेंबर्स में भी 1000 से अधिक मेंबर्स का रिक्रूटमेंट हुआ है. नन फैकेल्टी मेंबर्स के 3884 पद हैं जिसमें 996 प्रमोशनल पद हैं और अभी के समय इनमें 1076 पद खाली हैं. इन्हें भरने के लिए भी काफी तेज गति से कार्य हो रहा है. डॉक्टर पॉल ने बताया कि पटना एम्स ने पूरे 22 एम्स में यह इतिहास बनाया है कि फैकेल्टी मेंबर्स का रिक्रूटमेंट 24 घंटे के अंदर किया गया है, जिसमें इंटरव्यू से लेकर सिलेक्शन प्रोसेस शामिल है.

किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया भी जल्द होगी शुरूः उन्होंने कहा कि अभी भी अस्पताल के इंडोक्रोनोलॉजी विभाग, मेडिकल आंकोलॉजी और इम्यूनोहेमेटोलॉजी विभाग में फैकेल्टी मेंबर्स के पद खाली हैं और इस वजह से यह विभाग सक्रिय नहीं है. इन विभागों में भी फैकेल्टी मेंबर्स के रिक्रूटमेंट के लिए प्रोसेस चल रही है. एम्स के निदेशक डॉक्टर जी.के पॉल ने बताया कि अस्पताल में 3 नए विभाग हाल ही में फंक्शनल हुए हैं. न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग हाल ही में अस्पताल में शुरू हुआ है और इन विभागों के ओपीडी भी शुरू हो गए हैं. न्यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी में डीएम की पढ़ाई भी शुरू हो गई है इसके साथ ही नेफ्रोलॉजी विभाग शुरू करने से किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया अब आगामी 2 महीने में अस्पताल में शुरू हो जाएगी.

"पटना एम्स में इक्विपमेंट्स की कमी को दूर करने के लिए 97 करोड लगभग की राशि का इक्विपमेंट खरीदने की प्रक्रिया चल रही है जिसमें 10 करोड़ का इक्विपमेंट अस्पताल में पहुंच चुका है और 10 करोड़ का इक्विपमेंट 1 सप्ताह के अंदर पहुंच जाएगा और बाकी इक्विपमेंट्स भी 1 महीने के अंदर अस्पताल को उपलब्ध हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि अस्पताल में आईसीयू के 121 बेड है और सभी पूरी तरह फंक्शनल हैं"- डॉक्टर जी के पॉल, निदेशक, पटना एम्स

300 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट भवन : अस्पताल में ओपीडी में प्रतिदिन न्यूनतम 5000 मरीज देखे जा रहे हैं और इमरजेंसी में प्रतिदिन लगभग 100 मरीज पहुंचते हैं. अस्पताल में विभिन्न विभागों में सर्जरी की प्रक्रिया चलती है ऐसे में इसके लिए आईसीयू बेड का अवेलेबल होना जरूरी होता है. उन्होंने बताया कि पटना एम्स पर पेशेंट का बोझ काफी अधिक है और फिर भी एम्स प्रबंधन का प्रयास रहता है कि मरीजों को यहां से लौटना ना पड़े लेकिन इमरजेंसी के 100 मरीज में प्रतिदिन 8 से 10 मरीजों को आईसीयू बेड खाली ना होने की वजह से लौटना पड़ता है. इन सब स्थिति को देखते हुए ही अलग से 300 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट भवन बन रहा है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में नीकू के 8 बेड हैं और इसे 24 बेड तक विस्तारित करने पर काम चल रहा है और कुछ महीने में यह 24 बेड का बनकर तैयार हो जाएगा.

एम्स में एमआरआई मशीन की कमी होगी पूरीः पटना एम्स में एमआरआई के लिए मरीजों का नंबर 1 साल आगे तक का लगा हुआ है और कई मरीजों को जून 2024 में एम आर आई का नंबर मिला हुआ है. ऐसे में इस सवाल पर कि क्या मरीज को अभी MRI कराने की जरूरत है तो 1 साल इंतजार करेगा इस पर डॉक्टर जी के पॉल ने बताया कि अस्पताल में सिर्फ एक एमआरआई मशीन है. इसकी क्षमता प्रतिदिन 22 से 24 MRI करने की होती है. अस्पताल के विभिन्न वार्ड में जो इलाजरत मरीज हैं, जिनका ऑपरेशन होना होता है उनका MRI कराना अस्पताल प्रबंधन की प्राथमिकता होती है क्योंकि इन्हें दूसरे जगह MRI के लिए नहीं भेजा जा सकता. इसलिए ओपीडी में जो मरीज आते हैं और MRI करानी होती है उन्हें महीनों आगे का डेट मिल रहा है.

जरूरी साधन उपलब्ध कराने की दिशा में हो रहे कार्य : पूरे बिहार में पटना एम्स में सबसे अधिक ओपीडी में मरीज देखे जा रहे हैं और एक एमआरआई मशीन से जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है. इक्विपमेंट्स की खरीदारी में एक एमआरआई मशीन की खरीदारी का भी प्रोसेस चल रहा है और जल्द ही एक और एमआरआई मशीन अस्पताल में इंस्टॉल हो जाएगा, जिसके बाद मरीजों को अस्पताल में MRI कराने में सहूलियत होगी. उन्होंने बताया कि इसके अलावा अस्पताल में योगा का भी एक एक्सीलेंस सेंटर तैयार किया जा रहा है. डॉक्टर जी.के पॉल ने बताया कि अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए हर जरूरी साधन और व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में अस्पताल प्रबंधन पूरी शिद्दत से कार्य कर रहा है.

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