मकर संक्रांति पर बिहार में इस बार नहीं पकी 'सियासी खिचड़ी', बड़े भाई का 'दही का टीका' किया गया याद

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Published : Jan 14, 2022, 7:53 PM IST

Lalu Nitish Dahi Tika on Makar Sankranti

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के मौके पर 'दही का टीका' (Lalu Nitish Dahi Tika on Makar Sankranti ) चर्चा के केंद्र में है. राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भाजपा की बुरी नजरों से महागठबंधन सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को साल 2016 में दही का टीका लगाया था. लेकिन इस बार बिहार की राजनीति सियासी चूड़ा-दही से दूर रही. पढ़ें पूरी खबर..

पटना: कहते हैं हर अच्छे काम की शुरुआत दही के साथ होनी चाहिए. दही खाकर अक्सर लोग अपने महत्वपूर्ण काम को शुरू करते हैं. अगर मौका मकर संक्रांति (Makar Sankranti In Bihar) का हो, तो दही और चूड़ा के महत्व को कौन नकार सकता है. बिहार की सियासत ( Bihar Politics Of Chura Dahi Bhoj ) में लालू यादव (Lalu Yadav) और उनका अनोखा अंदाज हमेशा बेहद चर्चित रहा है. इस बार जब संक्रांति के मौके पर तमाम राजनीतिक दलों के यहां वीराना छाया रहा तो, बड़े भाई लालू यादव और छोटे भाई नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का दही का टीका एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया.

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बिहार में चाहे बात होली के भव्य आयोजन की हो, छठ दिवाली के मौके पर सियासी जुटान की हो या फिर मकर संक्रांति के मौके पर चूड़ा दही भोज के आयोजन की, तमाम अवसरों पर बिना लालू की चर्चा के सारी चर्चा अधूरी है. पिछले करीब 20 साल से सियासत में अलग-अलग मोर्चा संभाल रहे लालू और नीतीश कुछ समय के लिए एक साथ आए थे. वर्ष 2015-2017 के बीच लालू और नीतीश ने कांग्रेस के साथ मिलकर बिहार में सरकार भी बनाई थी.

'दही का टीका' किया गया याद

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उसी दौरान वर्ष 2016 में जब मकर संक्रांति के मौके पर लालू यादव ने अपने आवास पर चूड़ा दही के भोज का आयोजन किया तो कांग्रेस, जदयू के तमाम नेता भी यहां जुटे थे और जमकर चूड़ा दही का मजा लिया था. लालू यादव को बधाई देने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे थे. उस दौरान नीतीश को लालू यादव ने चूड़ा दही खिलाकर दही का तिलक लगाया था.

इस दही के तिलक ने तब खासी चर्चा बटोरी थी. लालू यादव ने कहा था कि, दही का टीका लगाकर हमने नीतीश कुमार के साथ लंबे रिश्ते की शुरुआत की शुभकामना दी है. उन दिनों को याद करते हुए राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी प्रोफेसर रामबली चंद्रवंशी कहते हैं कि, 'दही शुभकामना का प्रतीक है और इसीलिए लालू यादव ने नीतीश कुमार को दही का टीका लगाया था. उन्हें मकर संक्रांति की बधाई दी थी. यह अलग बात है कि, अगले साल ही लालू और नीतीश अलग हो गए. नीतीश कुमार ने राजद से रिश्ता तोड़ कर वर्ष 2017 के जुलाई महीने में फिर बीजेपी से नाता जोड़ लिया.'

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मकर संक्रांति पर बहुचर्चित दही का टीका एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. बिहार में कोविड की वजह से नीतीश कुमार आइसोलेशन में हैं और उधर लालू दिल्ली में आराम फरमा रहे हैं. लेकिन 10 सर्कुलर रोड एक बार फिर उस दही के टीके की याद दिला रहा है जो, लालू ने अपने छोटे भाई नीतीश को 6 साल पहले मकर सक्रांति के दिन लगाया था.

जब वर्ष 2017 में लालू और नीतीश अलग अलग हुए उसी साल के आखिर में लालू यादव को चारा घोटाला के मामले में जेल जाना पड़ा था. उसके बाद से ही 10 सर्कुलर रोड पर किसी भी पर्व त्योहार पर कोई आयोजन नहीं हुआ है. लालू यादव जेल की सजा काटने के दौरान बीमार पड़े और पिछले साल अप्रैल महीने में उन्हें नियमित जमानत मिली है. लेकिन इलाज को लेकर वे लगातार दिल्ली में हैं. इस वर्ष तो उनके बेटे और बहू भी साथ हैं. मकर संक्रांति का पर्व इस बार दिल्ली में ही लालू परिवार मना रहा है.

वहीं मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा भोज के लिए चर्चित जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर इस साल मकर संक्रांति पर चहल पहल नहीं दिखी. इस साल कोरोना संक्रमण के कारण यहां चूड़ा दही भोज का आयोजन स्थगित कर दिया गया है. बता दें कि वशिष्ठ नारायण सिंह वर्षों से मकर संक्रांति के मौके पर चूड़ा दही भोज का आयोजन करते रहे है, जिसमे राज्य के दिग्गज नेताओं के अलावे आम कार्यकर्ता तक जुटते थे.

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