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कोरोनाकाल में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबादला क्या पड़ रहा नीतीश सरकार को भारी?

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Published : Jul 27, 2020, 4:43 PM IST

बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ताजा आंकड़ा 40 हजार के करीब है. इस बीच राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था समेत नीतीश सरकार के फैसलों पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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पटना: बिहार में पिछले 10 दिनों में जिस तरह से कोरोना विस्फोट हुआ है उससे सरकार की नींद उड़ी हुई है. इसकी झलक पिछले दिनों मुख्यमंत्री की नाराजगी से भी देखने को मिली थी. जब उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को जमकर फटकार लगाई. सीएम ने कहा था कि कोरोना का केस हर दिन रिकॉर्ड बना रहा हैं. जांच से इलाज तक में लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं, सारे इंतजाम नाकाफी हो रहे हैं.

बिहार में कोरोना संक्रमित की कुल संख्या 1 महीने में 4 गुना अधिक हो चुकी है. 22 मार्च को केवल 2 मरीज बिहार में मिले थे. लेकिन 22 अप्रैल को बढ़कर 136 मरीज हो गए. फिर 22 मई को 2166, 22 जून को 7893 मरीज और 22 जुलाई को केस 30,000 से अधिक हो चुका है. संख्या अब 40 हजार के करीब संख्या पहुंच चुकी है. पेश है कुछ आंकड़ें :

देखें पूरी रिपोर्ट
14 जुलाई 1432 संक्रमित
16 जुलाई1385 संक्रमित
17 जुलाई1742 संक्रमित
19 जुलाई1412 संक्रमित
20 जुलाई1076 संक्रमित
21 जुलाई1109 संक्रमित
22 जुलाई1502 संक्रमित
23 जुलाई1625 संक्रमित
24 जुलाई1810 संक्रमित
25 जुलाई2803 संक्रमित
26 जुलाई2605 संक्रमित

बिहार की टॉप 5 जिले की बात करें तो पटना कोरोना संक्रमित के मामले सबसे आगे है. देखें आंकड़ा :

पटना 6514
भागलपुर2243
मुजफ्फरपुर1691
गया1583
नालंदा1530
रोहतास1519

सबसे अधिक कोरोना संक्रमित से मौत वाले जिले :

पटना 37
भागलपुर25
गया14
रोहतास 12
मुजफ्फरपुर11
नालंदा11
समस्तीपुर10
मुंगेर 10
दरभंगा 10

बिहार में कोरोना
इन आंकड़ों को देखने से साफ पता चलता है कि बिहार में संक्रमण किस प्रकार से तेजी से फैल रहा है. मुख्यमंत्री के फैसलों को ही विभाग अमलीजामा नहीं बना रहा है. कोरोना संक्रमण की स्थिति और स्वास्थ्य विभाग के रवैया से मुख्यमंत्री खासे नाराज हैं. कैबिनेट की बैठक के दिन उनकी नाराजगी सामने भी आ गई जब उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की जमकर फटकार लगाई.

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महेश्वर हजारी, मंत्री

क्या कहते हैं जानकार?
दरअसल, कोरोना संकट के बीच ही स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार का तबादला कर दिया गया था. हालांकि इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. इस पर मंत्री महेश्वर हजारी का कहना है बिहार सरकार केंद्र सरकार के गाइडलाइन का पालन कर रही है. यह लंबी लड़ाई है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2021 तक चलेगी तो इसलिए सबको गाइडलाइन का फॉलो करना चाहिए तभी नियंत्रण संभव है. प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने स्वास्थ्य विभाग की नाकामी के बावजूद नीतीश कुमार की मजबूरी पर भी सवाल खड़े किए हैं.

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डीएम दिवाकर, प्रोफेसर ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

कोरोनाकाल में तबादले ने बढ़ाई सीएम नीतीश की मुश्किलें
मुख्यमंत्री ने 15 दिन पहले स्वास्थ्य विभाग को जांच 20000 करने का लक्ष्य दिया था. लेकिन स्वास्थ्य विभाग 10000 पहुंचने में ही लंबा समय लगा दिया. 14 जुलाई को पहली बार 10000 जांच पहुंचा और अभी भी 15000 के नीचे ही है. कुल मिलाकर स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार का अचानक कोरोना संकट काल में तबादला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए ही मुश्किल पैदा कर रहा है. क्योंकि नए प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत को लेकर ना केवल विभाग के मंत्री बल्कि आईएमए के चिकित्सकों ने भी अपनी नाराजगी जताई है.

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