पंचायत चुनाव 2021: नक्सल प्रभावित गांवों में कितना हुआ विकास, देखिये ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Sep 1, 2021, 3:41 PM IST

नक्सल प्रभावित पंचायतों में कितना हुआ विकास

बिहार में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों से चल रही है. गांव की सरकार को चुनने को लेकर गांव में जोर शोर से चर्चाएं शुरू हो चुकी है. ऐसे में ईटीवी भारत ने नक्सल प्रभावित गांवों का जायजा लिया और देखा कि बीते पांच साल में गांव में कितना विकास हुआ है.

पटना(मसौढ़ी): बिहार में पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) का बिगुल बज चुका है. पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां-जोर शोर से चल रही है. ऐसे में पिछले पांच साल के दौरान नक्सल प्रभावित गांवों में कितना विकास हुआ यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजधानी पटना (Patna) से करीब 45 किलोमीटर दूर मसौढ़ी (Masaurhi) के बारा पंचायत (Bara Panchayat) पहुंची. जहां ग्रामीणों ने पिछले पांच साल में हुए विकास की पोल खोलकर रख दी.

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नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले मसौढ़ी प्रखंड का भगवानगंज इलाका अति संवेदनशील क्षेत्र कहा जाता है. इस इलाके में बारा पंचायत सबसे चर्चित रहा है. जहां हर चुनाव में गोलियों की तडतडाहट गूंजती है. हाल की बात करें तो बीते कुछ महीने पहले पैक्स चुनाव के दौरान यहां पुलिस के समक्ष सैकड़ों राउंड गोलीबारी हुई थी.

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ऐसे में एक बार फिर से पंचायत चुनाव आ गया है लेकिन बारा पंचायत के कई गांवों में आज भी मूलभुत सुविधा का अभाव है. बारा पंचायत के रविदास टोला गांव में डेढ़ सौ परिवार रहते हैं. इस गांव में सभी के मकान अभी भी कच्चे हैं. किसी के घर में भी शौचालय नहीं है. जिसके चलते ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना के तहत गांव में नलजल का काम तो हुआ है लेकिन घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है. ग्रामीणों ने बताया कि इस बार वोट की चोट से विकास के नाम पर धोखा देने वालों को सबक सिखाएंगे. लोगों ने कहा कि पांच सालों में विकास के नाम पर हमें ठगा गया है. गांव में कई मुलभूत सुविधा का अभाव है.

ईटीवी भारत की टीम को बारा पंचायत के रविदास टोला में सरकार की कई योजनाएं दम तोड़ते हुए दिखी. गांव के लोग गली-नली, शौचालय, आवास योजना, राशन कार्ड समेत कई योजनाओं से अभी तक वंचित हैं. रविदास टोला के सुरेश रविदास, राजमणि देवी, सुमंती देवी आदि लोगों ने कहा कि यहां पांच साल में मुखिया ने एक भी काम नहीं कराया है. बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

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