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Muzaffarpur Eye Hospital Case : हाईकोर्ट ने मुजफ्फपुर एसएसपी को रिपोर्ट पेश करने के लिए दी 15 दिनों की मोहलत

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Published : May 17, 2022, 2:55 PM IST

पटना हाईकोर्ट
Patna High Court

मुजफ्फरपुर आंख अस्पताल मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुजफ्फरपुर जिले के एसएसपी को 15 दिन में रिपोर्ट सौंपने की मोहलत दी है. पढ़ें पूरी खबर..

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन (Muzaffarpur Eye Hospital Case) में कई लोगों के आंख की रोशनी खो जाने के मामले पर आज सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के एसएसपी को रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी है. साथ ही कोर्ट ने इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही है.

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आई हॉस्पिटल मामले पर सुनवाई: दरअसल, पिछली सुनवाई में समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वीके सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पीएमसीएच या एम्स, पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें. इनमें आंख रोग विशेषज्ञ भी शामिल हो.

कोर्ट को बताया गया कि आंखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक-एक लाख रुपए दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराया गया है, लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने लगाया आरोप: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आंखें खोनी पड़ी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था.

याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों और अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी. मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया था. पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 जून, 2022 को की जाएगी.

क्या है पूरा मामला: मुजफ्फरपुर में 24 नवंबर को हुए आई हॉस्पिटल मामले (Muzaffarpur Eye Hospital Case) ने स्वास्थ्य विभाग की छवि देश और दुनिया भर में धूमिल की. मुजफ्फरपुर में इस दिन एक जांच शिविर में निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा एक ही सत्र में 65 आंख के ऑपरेशन कर दिए गए. ऐसे में सभी मरीजों के आंखों में इंफेक्शन फैल गया और इस वजह से 25 से अधिक मरीजों के आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई थी.

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