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Patna High Court: पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप मामले में सुनवाई, पटना हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इंकार

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 28, 2023, 4:04 PM IST

पटना हाईकोर्ट में मैट्रिक पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पहले से तैयार योजना पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.

Patna High Court
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पटना: .अपने महत्वपूर्ण फैसले में पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पहले से तैयार की गई योजना (मैट्रिक पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना) में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने राजीव कुमार एवं अन्य द्वारा दायर लोकहित याचिका पर ये आदेश पारित किया.

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2021 छात्रवृत्ति योजना के एक हिस्से को लागू करने की मांग: जहां याचिकाकर्ताओं ने छात्रों के लिए भारत सरकार की 2021 छात्रवृत्ति योजना के एक हिस्से को लागू करने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया था. लोकहित याचिका में यह कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से लागू किए बगैर बिहार में छात्रवृत्ति के लिए एक योजना लागू की गई है.

संकल्प-योजना से कराया गया अवगत: सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उल्लेखित दिशा-निर्देश केवल अनुसूचित जाति के छात्रों पर लागू होता है और बिहार राज्य में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए भी एक योजना है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ली गई मौजूदा संकल्प-योजना एससी और एसटी छात्रों के बीच छात्रवृत्ति के एक समान मानक और उचित वितरण को बनाए रखना है.

शुल्क संरचना को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता: उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार में, वर्ष 2021-22 के लिए 86616 छात्रों और वर्ष 2021-22 के लिए 151978 छात्रों की छात्रवृत्ति राशि पहले ही दिया की जा चुका है. उन्होंने बताया कि विभिन्न संस्थान एक ही पाठ्यक्रम के लिए अलग-अलग शुल्क ले रहे थे. शुल्क संरचना को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता थी. इसे राज्य मंत्रिमंडल की उचित मंजूरी के साथ किया गया है.

कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा: उन्होंने पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के कल्याण के प्रति संवेदनशील और प्रतिबद्ध है. साथ ही सरकार इन वर्गों के शैक्षिक योग्यता के उन्नयन के संबंध में मुद्दे पर वित्तीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना आवश्यक समझती है. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि ये सभी राज्य के नीतिगत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मामले हैं. इसमें कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा और सरकार के विवेक का उल्लंघन करने के लिए निर्देश जारी नहीं करेगा.

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