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..तो क्रिप्टोकरेंसी से 'गजवा-ए-हिन्द' को मिल रहा था फंड, मरगूब ने 'बिहार टेरर मॉड्यूल' के उगले राज

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Published : Jul 25, 2022, 8:34 PM IST

Phulwari Sharif Terror Module
Phulwari Sharif Terror Module

मरगूब दानिश उर्फ ताहिर ने फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल (Phulwari Sharif Terror Module) मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. देश विरोधी गतिविधियों के लिए उसे कतर के एक संगठन 'अल्फाल्ही' से क्रिप्टो करेंसी के रूप में फंड दिया जा रहा था. कैसे क्रिप्टो करेंसी के जरिए देश में जहर घोलने की साजिश हो रही थी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना: फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. इन खुलासों ने जांच एजेंसियों को भी हिलाकर रख दिया है. मरगूब दानिश उर्फ ताहिर ने अबतक कई राज खोले हैं. उसने अब एक राज उगला है, क्रिप्टो करेंसी (Funds from Qatar As Cryptocurrencies) का. इस खुलासे के साथ ही अब भारत में फिर से क्रिप्टो करेंसी को लेकर बहस छिड़ गई है. अब एनआईए मामले की तह तक जाने की कोशिश करेगा.

पढ़ें- मरगूब अहमद दानिश की ये है पूरी कुंडली.. जिसने पाकिस्तान तक फैलाया जाल

'कतर से क्रिप्टो करेंसी के रूप में मिल रहा था फंड': पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों से पता चला है कि मरगूब दानिश को कतर स्थित संगठन 'अल्फाल्ही' (Qatar Based Organization Alfalhi) से क्रिप्टो करंसी के रूप में धन प्राप्त (Money From Qatar In Cryptocurrency) हुआ था." फिलहाल मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कर रहा है. अधिकारी ने कहा, "जांच से यह भी पता चला है कि दानिश पाकिस्तान स्थित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक से जुड़ा था. वह एक पाकिस्तानी नागरिक फैजान के नियमित संपर्क में भी था."

कौन है मरगूब दानिश उर्फ ताहिर: अधिकारी ने बताया कि जांचकर्ताओं ने पाया है कि ग्रुप (गजवा-ए-हिंद) पर राष्ट्रीय ध्वज और प्रतीक का अपमान करने वाले संदेश साझा किए जा रहे थे. उन्होंने कहा कि दानिश ग्रुप का एडमिन था और कई अन्य विदेशी समूहों के संपर्क में भी था. पुलिस ने 14 जुलाई को तीन लोगों को गिरफ्तार कर इस आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था. मरगूब पाकिस्तान के लोगों के संपर्क में था. लगातार उन्मादी और भड़काऊ भाषण फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के जरिए पोस्ट करता था. ताहिर द्वारा WhatsApp पर दिनांक 27.02.2022 को गजवा-ए-हिन्द नाम से एक और ग्रुप भी बनाया गया था, जिसमें कुल 10 सदस्य हैं, जिसमें 08 सदस्य बांग्लादेश के 01 पाकिस्तान का एवं 01 ये स्वयं है. इस ग्रुप के आईकॉन के रूप में भी भारत के नक्शे को हरा रंग से रंगकर उसपर पाकिस्तान का झंडा लगाया हुआ दिखलाया गया है. इस तरह से उसकी देश के प्रति नफरत साफ देखने को मिल रही थी.

वित्त मंत्री ने क्रिप्टो करेंसी पर कही थी ये बात : वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने भी क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) के दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की थी. सीतारमण ने कहा था कि हमारा इरादा किसी भी तरह से इसे (क्रिप्टो से जुड़े नवोन्मेष) प्रभावित करना नहीं है. उन्होंनें कहा कि मनी लांड्रिंग या आतंकवादियों के वित्तपोषण को लेकर क्रिप्टो करेंसी में हेराफेरी भी की जा सकती है. वित्त मंत्री ने कहा कि ये कुछ चिंताएं हैं. ये चिंताएं केवल भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों की हैं. इस पर विभिन्न मंचों पर चर्चा भी हुई है. साथ ही उन्होंने कहा था कि भारत इस डिजिटल मुद्रा (Digital Currency) के नियमन को लेकर सोच-विचार कर निर्णय करेगा.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: अर्थशास्त्री विकास विद्यार्थी बताते हैं कि आमतौर पर क्रिप्टो करेंसी एक तरह का डिजिटल पैसा है, जिसे आप छू तो नहीं सकते, लेकिन रख सकते हैं. यानी यह मुद्रा का एक डिजिटल रूप है. यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है. यह पूरी तरह से ऑनलाइन होता है. क्रिप्टो करेंसी या हवाला एक माध्यम होता है. लेकिन इस आतंकवादी घटनाओं के साथ जोड़ना सही नहीं है. हालांकि संदिग्धों से जांच में कई बातें अबतक सामने आ चुकी हैं. वित्त मंत्री ने भी इसको लेकर बयान दिया था. ऐसे में नियमावली बनाने की जरूरत है.

"तीन महीने पहले अगर वित्त मंत्री कहतीं हैं कि क्रिप्टो करेंसी का दुरुपयोग हो सकता है तो इस पर रेगुलेशन लाना चाहिए था. क्रिप्टो करेंसी को लेकर नियमावली बनाने की जरूरत है. यह एक डिजिटल करेंसी है जिसे कोई रेगुलेट नहीं करता है. पिछले कुछ सालों से क्रिप्टोकरेंसी मुद्राओं की लोकप्रियता बढ़ी है. इसमें प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन होता है. क्रिप्टोग्राफी की मदद से इसका रिकॉर्ड रखा जाता है. भारत में यह ना ही पूरी तरह से प्रतिबंधित है और ना ही पूरी तरह से चालू है. क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारत सरकार कंफ्यूज है."- विकास विद्यार्थी, अर्थशास्त्री

रक्षा विशेषज्ञ की राय: वहीं रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह का कहना है कि फुलवारी प्रकरण में जिस तरह से जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है और एनआईए और एटीएस की जांच के दौरान पता चला कि ताहिर के पास क्रिप्टो करेंसी की मदद से पैसे पहुंचते थे उससे साफ हो गया है कि उसका संबंध विदेशों से जुड़ा हुआ है. यहीं कारण था कि वह क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल कर रहा था.

"क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड है जिसका इस्तेमाल बहुत सारे देशों में हो रहा है. क्रिप्टो करेंसी में जब भी कोई ट्रांजेक्शन होता है तो इसकी जानकारी ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती है, यानी उसे एक ब्लॉक में रखा जाता है. अगर ये बात कंफर्म है कि ताहिर के पास क्रिप्टो करेंसी आ रहा था तो ये कोई छोटी बात नहीं है बहुत बड़ा मामला है. हो सकता है कि इसका इस्तेमाल और भी लोग कर रहे हों."- ललन सिंह रक्षा विशेषज्ञ

फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल का अबतक का अपडेट: आपको बता दें कि 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह आगमन से पहले ही 11 जुलाई की शाम 7:30 बजे फुलवारी शरीफ में अतहर परवेज और जलालुद्दीन को पकड़ा गया था. ये लोग दो महीने से पीएम मोदी के आगमन को लेकर किसी बड़ी साजिश का षड्यंत्र रच रहे थे. FIR में दर्ज बयान के आधार पर ये कहा गया है कि बहुत से लोग पीएम के आगमन को लेकर बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए जुटे हैं. पूछताछ के बाद अबतक कुल आठ संदिग्धों को पकड़ा गया है. एक की गिरफ्तारी लखनऊ से की गई थी. सभी से लगातार पूछताछ जारी है. अतरह परवेज, अरमान मलिक, नूरुद्दीन जंगी (लखनऊ से गिरफ्तारी) और शमीम अख्तर से पूछताछ जारी है. वहीं अभी भी कई संदिग्धों की तलाश की जा रही है.


क्या होता है क्रिप्टोकरेंसी?: क्रिप्टोकरेंसी ब्लाकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित एक वर्चुअल और डिजिटल करेंसी है. इसे डिसेन्ट्रलाइज तरीके से मैनेज किया जाता है. इसके प्रत्येक लेन देने का डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन किया जाता है. इसे कॉपी करना लगभग नामुमकिन है. ये Peer to Peer कैश प्रणाली है जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है.

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