ETV Bharat / state

बिहार में थैलेसीमिया और हीमोफीलिया पीड़ितों के लिए खुलेंगे चार नए डे केयर सेंटर: मंगल पांडेय

author img

By

Published : Aug 18, 2021, 7:21 AM IST

Updated : Aug 18, 2021, 7:41 AM IST

Four new day care centers will open for Thalassemia and Haemophilia victims in Bihar
Four new day care centers will open for Thalassemia and Haemophilia victims in Bihar

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अब मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया और पूर्णिया मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में एक-एक नए 'डे केयर सेंटर' क्रियाशील हो जाएंगे. इसको लेकर विभाग ने केयर इंडिया के साथ हाल ही में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना: थैलेसीमिया और हीमोफीलिया (Thalassemia and Haemophilia) पीड़ितों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री (Health Minister) मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने कहा कि निःशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood Transfusion) सहित इलाज और जांच सुविधा मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है. थैलेसीमिया और हीमोफीलिया पीड़ितों के लिए पीएमसीएच (PMCH) में डे केयर सेंटर (Day Care Center) क्रियाशील है.

यह भी पढ़ें - IGIMS को मिला 3 करोड़ का नया उपकरण, बोले मंगल पांडेय- स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए हो रहा काम

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अब मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया और पूर्णिया मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में एक-एक नए 'डे केयर सेंटर' क्रियाशील हो जाएंगे. इसको लेकर विभाग ने केयर इंडिया के साथ हाल ही में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है. करार के मुताबिक, भागलपुर और गया में इंटीग्रेटेड सेंटर फॉर हेमोग्लोबिनोपेथिस और हीमोफीलिया स्थापित की जाएगी. इन केंद्रों पर थैलेसीमिया और हीमोफीलिया मरीजों के अलावे जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर मरीजों के इलाज की व्यवस्था होगी.

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में प्रथमा संस्था के सहयोग से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग खुद 'डे केयर सेंटर' स्थापित करेगा. पीएमसीएच स्थित डे केयर सेंटर में आयरन कीलेटिंग एजेंट भी उपलब्ध है. जो थैलेसेमिया के मरीजों में लगातार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के कारण बढ़ी आयरन की मात्रा के दुष्प्रभाव को कम करता है. इस केंद्र पर प्रति माह लगभग 150 थैलेसीमिया एवं 50 हीमोफीलिया पीड़ितों को लाभ मिलता है. जिसमें निःशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन, खून की नियमित जांच एवं दवा वितरण जैसी सुविधा पीड़ितों को दी जाती है.

इस साल के जून महीने तक 1904 थैलेसीमिया पीड़ितों ने 'डे केयर सेंटर' से ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराया, वहीं 613 हीमोफीलिया पीड़ितों ने भी लाभ उठाया है. 'डे केयर सेंटर' में शिशु रोग विशेषज्ञ, पैथोलोजिस्ट, विशेषज्ञ चिकित्सक (14 वर्ष से ऊपर के मरीजों के लिए) परामर्श के लिए उपलब्ध हैं. थैलेसीमिया में मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत होती है. जबकि हीमोफीलिया में फैक्टर 8 और 9 की जरूरत मरीजों को होती है.

मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि बिहार में काफी संख्या में लोग थैलिसीमिया मेजर से ग्रस्त मरीज हैं जो नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर है. थैलेसीमिया और हीमोफीलिया से पीड़ितों को सामान्य लोगों की तुलना में अधिक देखभाल की जरूरत होती है. जिसके लिए सरकारी अस्पतालों में इसका प्रबंधन होना जरुरी हो जाता है, क्योंकि निजी अस्पतालों में ऐसे रोगों के इलाज पर काफी रूपये का खर्च आता है. इसको ध्यान में रखते हुए 14 जून, 2020 को पीएमसीएच, पटना में इंटीग्रेटेड सेंटर फॉर हेमोग्लोबिनोपेथिस और हीमोफिलिया की शुरुआत की गयी थी.

यह भी पढ़ें- तीसरी लहर से निपटने के लिए बिहार BJP का एक्शन प्लान- 'हर बूथ पर तैनात होंगे कोरोना योद्धा'

मंत्री ने बताया कि थैलेसीमिया पीड़ितों के पंजीकरण के लिए सॉफ्टवेर डेवलप किया गया है. सॉफ्टवेर पर पीड़ितों के पंजीकरण के बाद उन्हें एक यूनिक आईडी और स्मार्ट कार्ड भी दिया जाता है. स्मार्ट कार्ड मिलने से थैलेसीमिया मरीज किसी भी सरकारी अस्पताल में जाकर निःशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन का लाभ उठा सकते हैं. राज्य के सभी सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंक को थैलेसेमिया के मरीजों को बिना रिप्लेसमेंट और बिना प्रोसेसिंग चार्ज लिए ब्लड आपूर्ति करने के लिए निर्देशित किया गया है.

मधुमेह रोगियों के लिए मंगलवार को करीब 28 लाख की लागत से दो तरह के 2650 इंसुलिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को सौंपा गया. इसके लिए मंत्री मंगल पांडेय ने कंपनी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि भारत कोविड की तीसरी लहर की तैयारी कर रहा है. ऐसे समय में नोवो नॉर्डिस्क द्वारा प्रदान इंसुलिन काफी उपयोगी होगा. नोवो नॉर्डिस्क इंडिया ने बिहार सरकार के साथ भागीदारी की है, ताकि कोविड रोगियों के बीच इंसुलिन तक पहुंच और रक्त शर्करा के स्तर का प्रबंधन किया जा सके.

मधुमेह वाले लोगों में कोरोना संक्रमण का जोखिम 50 फीसदी तक अधिक होता है और रोगियों को गंभीर लक्षणों और जटिलताओं का अनुभव होने की अधिक संभावना रहती है. भारत में अनुमानित 77 मिलियन लोगों को मधुमेह है, देश में अभी भी जागरूकता कम है. अधिकांश मधुमेह के मामलों का पता अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण चलता है.

यह भी पढ़ें - स्वास्थ्य मंत्री ने की बिहार के 13 आकांक्षी जिलों में गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा

Last Updated :Aug 18, 2021, 7:41 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.