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स्वास्थ्य मंत्री ने की बिहार के 13 आकांक्षी जिलों में गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा

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Published : Aug 5, 2021, 7:07 AM IST

बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम शुरू किये जाने की घोषणा की है. इस योजना के तहत 3 माह से 15 माह तक के बच्चें को आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर गृह आधारित देखभाल करेंगी. जोकि प्रदेश के 13 आकांक्षी जिलों में शुरू हुआ है.

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे

पटना: बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने प्रदेश के 13 आकांक्षी जिलों में (Aspirational Districts) गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम शुरू किये जाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि 3 माह से 15 माह तक के बच्चों के लिए राज्य में यह नयी पहल की गई है. इसमें आशा घर-घर जाकर छोटे बच्चों की गृह आधारित देखभाल करेगी. इस योजना के माध्यम से नवजात शिशुओं एवं छोटे बच्चों को स्वस्थ रखने और पोषित रखने में मदद मिलेगी. इससे बच्चों की मृत्यु दर में भी कमी आयेगी.

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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि अब 3 माह से 15 माह तक के बच्चें को आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर गृह आधारित देखभाल करेंगी. इसमें शिशु के स्वास्थ्य एवं पोषण का पूरा ख्याल रखा जाएगा. आशा गृह भ्रमण के दौरान छोटे बच्चों में स्तनपान, टीकाकरण, स्वच्छता, पूरक आहार, एनीमिया एवं आहार विविधिता का ख्याल रखेंगी. साथ ही छोटे बच्चों में होने वाली संभावित स्वास्थ्य जटिलता की पहचान कर उसके सही प्रबंधन के लिए माता-पिता को उचित सलाह देंगी.

उन्होंने कहा है कि गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम (एचबीवाईसी) की राज्य के 13 आकांक्षी जिलों में शुरूआत की गई है. इसमें कटिहार, नवादा, शेखपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, बेगूसराय, जमुई, औरंगाबाद, गया, सीतामढ़ी, बांका, खगड़िया एवं अररिया जिले शामिल हैं. आकांक्षी जिलों में कार्यक्रम की शुरुआत करने के बाद इसे राज्य के शेष 25 जिलों में भी क्रियान्वित किया जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ता 3 माह से 15 माह तक के बच्चों के घर का दौरा कुल 5 बार करेंगी. जिसमें बच्चे के 3 माह, 6 माह, 9 माह, 12 माह और 15 होने पर करेगी.

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इसको लेकर चिह्नित जिलों में आशा एवं एएनएम को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. अभी तक राज्य में सिर्फ गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम के तहत आशा 42 दिनों तक नवजात शिशु के घर का दौरा करती हैं. संस्थागत प्रसव की स्थिति में 6 बार एवं गृह प्रसव की स्थिति में 42 दिन तक सात बार गृह भ्रमण करती हैं. लेकिन छोटे बच्चों के लिए गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम के शुरू होने से नवजात बच्चों के साथ अब 15 माह तक के बच्चों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग संभव हो सकेगी.

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाना है. पिछले वर्ष के सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे में बिहार की शिशु मृत्यु दर 3 अंक घटकर राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गयी है. 2017 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 35 थी जोकि 2018 में घटकर 32 हो गयी. नवजात मृत्यु दर में भी 3 अंकों की कमी आई है.

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बिहार की नवजात मृत्यु दर जो 2017 में 28 थी वो 2018 में घटकर 25 हो गयी. 3 माह से लेकर 15 माह तक के बच्चों के लिए शुरू की गई गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम से 5 साल के अंदर वाले बच्चों की मृत्यु दर में कमी संभव हो सकेगी. बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य समाज, राज्य एवं देशहित के लिए काफी जरूरी है. राज्य सरकार इसे गंभीरता से लेते हुए नवजात शिशुओं के साथ बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दे रही है.

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