ETV Bharat / state

बिहार के मखाना को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के शुरू हुए प्रयास

author img

By

Published : Nov 30, 2022, 10:15 PM IST

कृषि विभाग द्वारा पटना के ज्ञान भवन में दो दिवसीय मखाना महोत्सव का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने किया. मौके पर कृषि विभाग के कई अधिकारी भी मौजूद रहे. महोत्सव में बिहार सहित कई राज्यों के लोग जो मखाना के उत्पादन से जुड़े हुए हैं पहुंचे थे. मखाना से बने विभिन्न तरह के उत्पाद भी इस महोत्सव में देखने को मिला. बिहार के मखाना को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने (Production of Makhana in Bihar) के लेकर प्रयास किए जा रहे हैं.

मखाना महोत्सव.
मखाना महोत्सव.

पटना: बिहार के मखाना को अब वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने (Global market for Bihar Makhana) के लेकर प्रयास किए जाने लगे हैं. इसी उद्देश्य को लेकर पटना में मखाना महोत्सव सह राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मखाना से जुड़ी कंपनी और क्रेता और विक्रेता हिस्सा ले रहे हैं. बिहार दुनिया में मखाना का शीर्ष उत्पादक है. देश में उत्पादित होने वाले मखाना का लगभग 90 प्रतिशत उत्पादन बिहार में होता है.

इसे भी पढ़ेंः मिथिलांचल के मखाना को मिला GI टैग.. बिहार के नाम एक और तमगा

मखाना महोत्सव में पहुंचे कृषि मंत्री.

मिथिलांचल की पहचानः पटना में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन मंगलवार को कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया. सम्मेलन में दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से निर्यातक सहित बिहार के उत्पादक भाग ले रहे हैं. इस सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) सहित कई संस्थानों और निजी कंपनियों के स्टॉल लगाए गए हैं, जिसमें लोग मखाना से बने विभिन्न खाद्य पदार्थों को देख पा रहे हैं. बता दें कि बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सीतामढ़ी, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज मखाने की खेती के लिए विख्यात हैं. मिथिलांचल की पहचान कदम कदम पर पोखर (तालाब), मछली और मखाना के लिए दुनिया में जाना जाता है.

''वर्तमान में 35 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में मखाना का उत्पादन हो रहा है. पॉप मखाना का उत्पादन वर्ष 2012-13 में 9,360 टन था, जो बढ़कर वर्तमान समय में लगभग 23.50 हजार टन हो गया है. उल्लेखनीय है कि बिहार के आठ जिलों कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया और पश्चिमी चंपारण में किसानों को मखाना की खेती के लिए 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. विशिष्ट पहचान के लिए मिथिला मखाना नाम से जीआई टैग मिला है.'' - सर्वजीत कुमार, कृषि मंत्री

मखाना का निर्यातः स्टॉल लगाने पहुंचे पीएलयू प्राइवेट लिमिटेड, दरभंगा के सीईओ राजीव रंजन कहते हैं कि भारत से मखाना जिन देशों में निर्यात किया जाता है, उसमें अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सबसे आगे है. भारत से सालाना 100 टन मखाना ही निर्यात किया जाता है. सुनने में आपको ये मात्रा काफी कम लग रही होगी, लेकिन मखाना बहुत हल्का होता है इसलिए संख्या कम भारी नहीं है. उन्होंने बताया कि भारत में हर साल 50-60 हजार टन मखाने के बीज की पैदावार होती है, जिससे 20-25 हजार टन मखाने का लावा निकलता है.

इसे भी पढ़ेंः 21 किलो के मखाना का माला लेकर पहुंचे समर्थक, मदन साहनी के मंत्री बनने पर जताई खुशी

मखाना हेल्दी स्नैक्सः मखाना प्राकृतिक, शुद्ध आहार माना जाता है, जो व्रत में और ऐसे भी (बिना व्रत वाले दिन भी) हेल्दी स्नैक्स की तरह भारत के घरों में इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने दावा किया कि सेहत के लिए फायदेमंद होने की वजह से इसका व्यापार साल दर साल दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है. इधर, कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत कहते हैं कि बिहार के मखाना की ब्रांडिंग के लिए भारत के सभी एयरपोर्ट पर मखाना बेचने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कृषक उत्पादक समूहों को निर्यात के लिए लाइसेंस भी दिया जा रहा है.

पटना: बिहार के मखाना को अब वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने (Global market for Bihar Makhana) के लेकर प्रयास किए जाने लगे हैं. इसी उद्देश्य को लेकर पटना में मखाना महोत्सव सह राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मखाना से जुड़ी कंपनी और क्रेता और विक्रेता हिस्सा ले रहे हैं. बिहार दुनिया में मखाना का शीर्ष उत्पादक है. देश में उत्पादित होने वाले मखाना का लगभग 90 प्रतिशत उत्पादन बिहार में होता है.

इसे भी पढ़ेंः मिथिलांचल के मखाना को मिला GI टैग.. बिहार के नाम एक और तमगा

मखाना महोत्सव में पहुंचे कृषि मंत्री.

मिथिलांचल की पहचानः पटना में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन मंगलवार को कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया. सम्मेलन में दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से निर्यातक सहित बिहार के उत्पादक भाग ले रहे हैं. इस सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) सहित कई संस्थानों और निजी कंपनियों के स्टॉल लगाए गए हैं, जिसमें लोग मखाना से बने विभिन्न खाद्य पदार्थों को देख पा रहे हैं. बता दें कि बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सीतामढ़ी, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज मखाने की खेती के लिए विख्यात हैं. मिथिलांचल की पहचान कदम कदम पर पोखर (तालाब), मछली और मखाना के लिए दुनिया में जाना जाता है.

''वर्तमान में 35 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में मखाना का उत्पादन हो रहा है. पॉप मखाना का उत्पादन वर्ष 2012-13 में 9,360 टन था, जो बढ़कर वर्तमान समय में लगभग 23.50 हजार टन हो गया है. उल्लेखनीय है कि बिहार के आठ जिलों कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया और पश्चिमी चंपारण में किसानों को मखाना की खेती के लिए 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. विशिष्ट पहचान के लिए मिथिला मखाना नाम से जीआई टैग मिला है.'' - सर्वजीत कुमार, कृषि मंत्री

मखाना का निर्यातः स्टॉल लगाने पहुंचे पीएलयू प्राइवेट लिमिटेड, दरभंगा के सीईओ राजीव रंजन कहते हैं कि भारत से मखाना जिन देशों में निर्यात किया जाता है, उसमें अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सबसे आगे है. भारत से सालाना 100 टन मखाना ही निर्यात किया जाता है. सुनने में आपको ये मात्रा काफी कम लग रही होगी, लेकिन मखाना बहुत हल्का होता है इसलिए संख्या कम भारी नहीं है. उन्होंने बताया कि भारत में हर साल 50-60 हजार टन मखाने के बीज की पैदावार होती है, जिससे 20-25 हजार टन मखाने का लावा निकलता है.

इसे भी पढ़ेंः 21 किलो के मखाना का माला लेकर पहुंचे समर्थक, मदन साहनी के मंत्री बनने पर जताई खुशी

मखाना हेल्दी स्नैक्सः मखाना प्राकृतिक, शुद्ध आहार माना जाता है, जो व्रत में और ऐसे भी (बिना व्रत वाले दिन भी) हेल्दी स्नैक्स की तरह भारत के घरों में इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने दावा किया कि सेहत के लिए फायदेमंद होने की वजह से इसका व्यापार साल दर साल दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है. इधर, कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत कहते हैं कि बिहार के मखाना की ब्रांडिंग के लिए भारत के सभी एयरपोर्ट पर मखाना बेचने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कृषक उत्पादक समूहों को निर्यात के लिए लाइसेंस भी दिया जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.