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बिहार MLC चुनाव : फिर 'एकला चलो' की राह पर चिराग, सिर्फ खेल बिगाड़ना मकसद या फिर भविष्य की राजनीति

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Published : Feb 21, 2022, 9:12 PM IST

एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान (LJPR President Chirag Paswan) के साथ 6 से 7 फीसदी पासवान वोट है. इसके अलावे सवर्ण वोट बैंक पर भी उनकी नजर है. माना जा रहा है कि अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) में उतारकर वह एनडीए के फॉरवर्ड वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश करेंगे. जीत से कहीं ज्यादा जेडीयू को नुकसान पहुंचाना लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का असल मकसद होगा.

चिराग की सवर्ण वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश
चिराग की सवर्ण वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश

पटना: बिहार में 24 सीटों पर एमएलसी का चुनाव (MLC Elections On 24 Seats in Bihar) होना है. वैसे तो इस चुनाव में स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं लेकिन इसके बावजूद तमाम सियासी दल जोर आजमाइश में पीछे नहीं हैं. राजनीतिक तौर पर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान (LJPR President Chirag Paswan) भी विधानसभा चुनाव की तर्ज पर सभी 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. जानकार मानते हैं कि उनका ये फैसला एनडीए की मुश्किलें बढ़ा सकता है.

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चिराग पासवान ने अब तक गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है. वे एनडीए से बाहर हैं और महागठबंधन में जाने को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वह किस वोट बैंक के सहारे वे इस चुनाव में जाने की सोच रहे हैं. जानकार मानते हैं कि पार्टी में बिखराव के बावजूद उनका आधार वोट बैंक अभी भी उनके साथ मजबूती से खड़ा है. उन्होंने पिछले चुनाव में 6 फीसदी वोट हासिल किए थे. इसके अलावे उनकी नजर अगड़ी जातियों पर है. वे सवर्ण वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश (Chirag Paswan Eyeing on Upper Caste Vote Bank) में हैं.

चिराग पासवान और नीतीश कुमार में अदावत जगजाहिर है. विधानसभा चुनाव में चिराग ने जेडीयू के खिलाफ तमाम सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. नतीजा यह हुआ कि जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गया. वे एक बार फिर जेडीयू को गच्चा देना चाहते हैं. उनको इंतजार इस बात का है कि एनडीए की ओर से उम्मीदवारों की सूची जारी हो, ताकि उसी आधार पर जातिगत समीकरण को देखते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की अपनी सूची जारी करेगी. उनके निशाने पर सीधे तौर पर नीतीश कुमार की पार्टी होगी.

हालांकि एनडीए की ओर से सीट शेयरिंग पर सहमति बन चुकी है. 12 सीटों पर बीजेपी, 11 पर जेडीयू और एक सीट पशुपति पारस की आरएलजेपी के खाते में गई है. वहीं जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को एक भी सीट नहीं मिली है. इससे नाराज होकर सहनी भी सभी 24 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर चुके हैं.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रवक्ता राजेश भट्ट कहते हैं कि हम सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के लिए तैयार हैं. हमारे साथ मजबूत प्रत्याशी भी हैं. जल्दी ही हम उम्मीदवारों का ऐलान करेंगे. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव की तर्ज पर विधान परिषद चुनाव में भी हम दमखम दिखाएंगे.

"सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के लिए तैयार हैं. हमारे साथ मजबूत प्रत्याशी भी हैं. जल्दी ही हम उम्मीदवारों का ऐलान करेंगे. विधानसभा चुनाव की तर्ज पर विधान परिषद चुनाव में भी हम दमखम दिखाएंगे"- राजेश भट्ट, प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)

हालांकि एलजेपीआर के दावों पर जेडीयू ने पलटवार किया है. प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भी चिराग चुनाव लड़ने गए थे, पता नहीं कितनी सीटों पर लड़े. विधान परिषद चुनाव में भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं लेकिन ज्यादातर सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत होगी.

"उत्तर प्रदेश में भी चिराग चुनाव लड़ने गए थे, पता नहीं कितनी सीटों पर लड़े. विधान परिषद चुनाव में भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं लेकिन ज्यादातर सीटों पर हमारी जीत होगी"- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जनता दल (यूनाइटेड)

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने चिराग के दावों पर कहा कि लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है. चिराग पासवान भी चुनाव लड़ रहे हैं. जहां तक नुकसान का सवाल है तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, हां महागठबंधन को जरूर नुकसान हो सकता है.

"लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है. चिराग पासवान भी चुनाव लड़ रहे हैं. जहां तक नुकसान का सवाल है तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, हां महागठबंधन को जरूर नुकसान हो सकता है"- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी

चिराग पासवान की ओर से सवर्ण वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश को लेकर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि चिराग एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेंगे. भले ही वह चुनाव ना जीत पाए लेकिन एनडीए प्रत्याशियों को हराकर वह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहेंगे. विधानसभा चुनाव की तर्ज पर विधान परिषद चुनाव में भी चिराग पासवान की मंशा जेडीयू को नुकसान में डालने की होगी. हालांकि कितना नुकसान होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है.

"चिराग पासवान एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेंगे. भले ही वह चुनाव ना जीत पाए लेकिन एनडीए प्रत्याशियों को हराकर वह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहेंगे. विधानसभा चुनाव की तर्ज पर विधान परिषद चुनाव में भी चिराग पासवान की मंशा जेडीयू को नुकसान में डालने की होगी. कितना नुकसान होगा, भविष्य के गर्भ में है"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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