ETV Bharat / state

खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे निर्जला उपवास का लेंगी संकल्प, मसौढ़ी के मणीचक सूर्य मंदिर में छठ व्रतियों की भीड़

author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 18, 2023, 5:47 PM IST

मणीचक सूर्यमंदिर छठ धाम
मणीचक सूर्यमंदिर छठ धाम

Chhath puja 2023 लोक आस्था के महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन शनिवार को खरना है. छठ व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत का संकल्प लेंगी. मणीचक सूर्यमंदिर छठ धाम पर खरना को लेकर सुबह से ही छठ व्रती स्नान ध्यान कर भगवान की आराधना में जुटे हैं.

मणीचक सूर्य मंदिर छठ धाम पर खरना का प्रसाद तैयार करतीं व्रती.

पटनाः बिहार में चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से हो चुकी है. शुक्रवार को पहले दिन नहाय खाय था. शनिवार 18 नवंबर को खरना का प्रसाद तैयार किया जाएगा. राजधानी पटना के गंगा घाटों पर छठ पूजा की धूम दिखने लगी है. पटना जिले के मणीचक सूर्यमंदिर छठ धाम पर खरना को लेकर सुबह से ही छठ व्रती स्नान ध्यान कर भगवान की आराधना में जुटे हैं.

मणीचक सूर्य मंदिर.
मणीचक सूर्य मंदिर.


निर्जला उपवास होगा शुरूः नहाय खाय के दिन एक समय भोजन करके अपने शरीर को मन को शुद्ध करना आरंभ करते हैं. जिसकी पूर्णता अगले दिन होती है. इसीलिए इसे खरना कहते हैं. इस दिन व्रती शुद्ध अंतःकरण से कुलदेवता और सूर्य एवं छठी मैया की पूजा करके गुड़ से बनी खीर का नावेद अर्पित करती हैं. देवता को चढ़ाए जाने वाली खीर को व्रती स्वयं अपने हाथों से पकाते हैं. खरना के बाद व्रती दो दिनों तक साधना में रहते हैं. 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है.


खरना का महत्व: खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण. व्रती खरना कर तन और मन को शुद्ध और मजबूत बनाते हैं, ताकि अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत कर सकें. मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में गुड़ से बनी रसिया, खीर, रोटी का भोग छठ माई को लगाया जाता है. इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि किसी प्रकार का कोई कोलाहल ना हो, एकदम शांत वातावरण में व्रती प्रसाद ग्रहण करती है. मान्यताओं के अनुसार खरना पूजा के साथ ही छठी मईया घर में प्रवेश कर जाती है.

खरना करने की विधि: खरना पूजा के दिन व्रती सूर्योदय से पहले स्नान कर सबसे पहले सूर्य देवता को अर्घ्य देती हैं. शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर उसमें खीर और पूड़ी बनाई जाती है. इस दिन एक ही समय भोजन किया जाता है. प्रसाद सबसे पहले छठी मईया को अर्पण करना चाहिए. उसके बाद व्रती वही भोजन खाती हैं. व्रती के खाने के बाद घर से अन्य सदस्य प्रसाद ग्रहण करें.

इसे भी पढ़ेंः दुल्हन की तरह सजकर तैयार हुआ पटना का गंगा घाट, व्रतियों के लिए की गई है शानदार व्यवस्था

इसे भी पढ़ेंः जानें क्यों बंद कमरे में व्रती करते हैं खरना, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

इसे भी पढ़ेंः Chhath Puja 2023 : कौन कहता है छठ सिर्फ हिन्दुओं का पर्व है, मुस्लिम महिलाओं की आस्था और समर्पण देख आप भी हो जाएंगे मुग्ध

इसे भी पढ़ेंः Chhath Puja 2023 : छठ पूजा की सामग्रियों में एक है अरता पात, जानिए क्यों इसका निर्माण धार्मिक सद्भावना की मिसाल मानी जाती है

इसे भी पढ़ेंः छठ की बहुत याद आ रही है, 'आना चाहते हैं बिहार लेकिन मजबूरी ने हमें रोक रखा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.