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छठ में गंगाजल का है विशेष महत्व, लेकिन पटना की घाटों से दूर हुई गंगा, व्रतियों की बढ़ी परेशानी

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 17, 2023, 3:39 PM IST

नहाय खाय के साथ छठ व्रत शुरू
नहाय खाय के साथ छठ व्रत शुरू

Chhath Puja 2023 : छठ में गंगाजल का विशेष महत्व है. गंगा जल पवित्र माना जाता है इसलिए प्रसाद में भी गंगा जल डाला जाता है. हालांकि गंगा घाटों पर गंगा का पानी काफी दूर चला गया है. वहां तक जाने के लिए दलदली इलाके से होकर गुजरना पड़ता है. लोग इन गड्ढों में गिर जा रहे हैं.

पटना के घाट से दूर हुई गंगा

पटना : लोक आस्था का महापर्व छठ नहाए खाए के साथ आज से शुरू हो गया है. चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन नहाए खाय के मौके पर पटना के विभिन्न ने छठ घाटों पर गंगा नदी किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और गंगा स्नान किया. हालांकि पटना का कृष्णा घाट हो या गांधी घाट, तमाम छठ घाटों की सीढ़ियों से गंगा की धारा दूर चली गई है. इस वजह से सीढ़ियों से उतरने के बाद श्रद्धालुओं को दलदल भरे पानी में चलकर गंगा स्नान के लिए जाना पड़ रहा है. इससे थोड़ी श्रद्धालुओं को परेशानी भी हो रही है. इस वजह से घाट पर बेहतर प्रबंधन न किए जाने की बातें कह रही है.

नहाय खाय के साथ छठ व्रत शुरू : छठ व्रती रेणु देवी ने बताया कि छठ पूजा आस्था का महापर्व है. इसमें शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. गंगाजल सबसे शुद्ध होता है, इसलिए आज नहाए खाए के मौके पर शरीर को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का स्नान किया जाता है. फिर यहां से गंगाजल लेकर वह घर लेकर जाती हैं. छठ पूजा के जितने भी प्रसाद बनते हैं सभी में गंगाजल डाला जाता है. ताकि प्रसाद की शुद्धता बरकरार रहे.

नहाय खाय के साथ छठ व्रत शुरू
नहाय खाय के साथ छठ व्रत शुरू

''इस बार गांधी घाट से गंगा की धारा दूर हो गई हैं. इस वजह से गंगा स्नान में थोड़ी दिक्कत हुई है, दलदल में पैर फंस रहा है. इस बार यहां प्रबंधन बेहतर नहीं है और बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है, ताकि स्नान के दौरान जो नदी में गड्ढे मिल रहे हैं उसमें व्रती गिरे नहीं.''- रेणु देवी, छठ व्रती

छठ व्रती नीतू पोद्दार ने बताया कि ''छठ शुद्धता का पर्व है. गंगाजल का छठ में विशेष महत्व हो जाता है. छठ के जितने भी प्रसाद बनते हैं, ठेकुआ खजूर और अन्य प्रसाद सभी में गंगाजल का इस्तेमाल होता है. नहाए खाए का भी जो प्रसाद बनता है, यह खरना का प्रसाद बनता है. सभी में गंगाजल डाला जाता है, ताकि प्रसाद की शुद्धता बनी रहे.''

छठ व्रती शांति देवी ने बताया कि ''ऐसा लग रहा है कि पटना से गंगा जी रूठ रही हैं. गंगा की धारा घाट से दूर जा रही है. पहली बार अपने जीवन में गांधी घाट के पास गंगा की धारा को इतनी दूर देखी हैं. स्नान करने में परेशानी हुई है, क्योंकि पानी कम है और दलदल अधिक है. पानी में जगह-जगह गड्ढे भी हैं. स्नान के दौरान गिरने का भी खतरा बना हुआ है. लोग गिर भी रहे हैं.''

गंगा घाटों पर बना कंट्रोल रूम : पटना का गांधी घाट हो, कृष्ण घाट हो, अथवा अन्य सभी घाट. जिला प्रशासन की ओर से बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालुओं के लिए चेंजिंग रूम बनाए गए हैं. जहां स्नान के बाद श्रद्धालु कपड़े बदल सकती हैं. सभी छठ घाट की बैरिकेडिंग की गई है और कंट्रोल रूम बनाया गया है. जहां से लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. यदि कोई बैरिकेडिंग को पार कर गहरे पानी में स्नान की कोशिश कर रहा है, तो उसे कंट्रोल रूम में बैठी टीम माइक से अनाउंस कर बैरिकेडिंग के भीतर आने को निर्देशित कर रही है.

घाटों पर NDRF-SDRF तैनात : एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम गंगा नदी में लगातार पेट्रोलिंग कर रही है. सुरक्षा के सभी प्रबंध किए गए हैं और घाटों के निर्माण का अंतिम चरण पर कार्य अभी भी जारी है. जिसके तहत मजदूर गंगा की धारा को घाट के करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं. जहां दलदल है. वहां दलदल कम करने की कोशिश की जा रही है.

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