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शिक्षक अभ्यर्थी ध्यान दें, जानिए सातवें चरण में क्या-क्या हो सकते हैं बदलाव!

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Published : Feb 26, 2022, 9:50 PM IST

बिहार में प्राथमिक शिक्षकों के छठे चरण का नियोजन (Teacher Recruitment In Bihar) का काम अभी तक हंड्रेड परसेंट पूरा नहीं हुआ लेकिन उसके पहले ही सातवें चरण को लेकर अभ्यर्थियों में ना सिर्फ बेचैनी है, बल्कि यह जानने की भी बेसब्री है कि सातवां चरण कैसा होगा. सातवें चरण में क्या कुछ नया होगा और क्यों जरूरत पड़ गई बदलाव की. पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

बिहार में शिक्षक नियोजन
बिहार में शिक्षक नियोजन

पटना: बिहार में शिक्षक नियोजन (Teacher Recruitment In Bihar) के तहत छठे चरण में 90762 प्राथमिक शिक्षक और 32714 माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है. हालांकि प्राथमिक शिक्षकों के महज 42000 पद ही अब तक भरे जा सके हैं. विशेष चरण 14 से 16 मार्च तक होना है, जिसमें लगभग 3000 पद पर नियुक्ति होगी. वहीं माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों के छठे चरण में 32714 पदों के लिए नियोजन की प्रक्रिया फिलहाल कोर्ट के एक आदेश की वजह से स्थगित है. एक अनुमान के मुताबिक छठे चरण में प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लगभग 50000 पद ही भरे जा सकेंगे. बाकी पद सातवें चरण में ट्रांसफर हो जाएंगे.

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शिक्षकों की बहाली बिहार में एक बड़ा मुद्दा हमेशा से रही है. खासकर तब जब सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. जिसे लेकर सरकार ने कई बार चिंता जताई है और इसी वजह से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को हाल के दिनों में तेजी से पूरा करने का निर्देश सरकार ने दिया है लेकिन बड़ी संख्या में पद छठे चरण के बाद भी खाली रह जाएंगे और इसी वजह से अभ्यर्थियों को सातवें चरण का बेसब्री से इंतजार है. सातवें चरण में बड़ा बदलाव होने की पूरी संभावना है. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मार्च महीने में सातवें चरण को लेकर बड़ी घोषणा हो सकती है. ये घोषणा खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) कर सकते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षा जगत के बारे में पूरी खबर रखने वाले लक्ष्मीकांत सजल ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में बताया कि छठे चरण या इससे पहले के चरणों में सरकार ने बड़ी संख्या में शिक्षकों की बहाली की लेकिन यह बहालियां 8500 से ज्यादा नियोजन इकाइयों के जरिए की गई है. जो अपने-अपने तरीके से मेरिट लिस्ट और अन्य तरीकों से नियोजन की प्रक्रिया पूरी करती रही हैं. उन्होंने कहा कि नियोजन प्रक्रिया को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं, क्योंकि शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच हो या फर्जी शिक्षकों का मामला, सरकार हमेशा फजीहत झेलती रही है.

उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में वर्ष 2006 से 15 के बीच नियुक्त करीब 100000 शिक्षकों के सर्टिफिकेट जांच को लेकर और उनके फर्जी होने की आशंका को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार चर्चा का विषय बना रहा है. यही वजह है कि सरकार अब इस फजीहत से बचने के लिए सातवें चरण से बड़ा बदलाव लाने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के मुताबिक अब जो शिक्षकों की बहाली होगी, उसमें आवेदन सेंट्रलाइज तरीके से ऑनलाइन लिए जाएंगे यानी शिक्षक अभ्यर्थियों को हर नियोजन इकाई में जाकर आवेदन करने की बाध्यता नहीं रहेगी. सिर्फ एक आवेदन ऑनलाइन कर वह इस नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो जाएंगे.

लक्ष्मीकांत सजल ने बताया कि इस बात की संभावना ज्यादा है कि सरकार एक खास कमेटी बनाएगी, जिसमें शिक्षा विभाग (Education Department) और शिक्षक बहाली से संबंधित विभागों के वरीय अधिकारी शामिल होंगे और इस कमेटी की देखरेख में ही सातवें चरण की बहाली की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इससे किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी और किसी नियोजन इकाई की मनमानी भी नहीं चलेगी. वैसे, बिहार सरकार कर्मचारी चयन आयोग, लोक सेवा आयोग या अवर सेवा चयन पर्षद के जरिए भी शिक्षकों की बहाली कर सकती है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने यह जानने की कोशिश की कि क्या टेट सीटीईटी या एसटेट पास करने वाले अभ्यर्थियों को सातवें चरण से कोई परीक्षा भी देनी पड़ेगी. इस बारे में लक्ष्मीकांत सजल ने कहा कि इस बात की संभावना ना के बराबर है. सातवें चरण में सिर्फ आवेदन देने की प्रक्रिया बदलेगी ताकि बहाली प्रक्रिया निष्पक्ष हो. एक और महत्वपूर्ण बात जो सामने आ रही है, वह माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की बहाली से जुड़ी है. करीब 4 साल पहले सरकार ने एक कमेटी बनाई थी. जब बिहार बोर्ड के अंतर्गत इंटर की वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट काफी खराब हुआ था. उस कमेटी ने शॉर्ट टर्म और लॉंग टर्म बदलाव की सिफारिश सरकार से की थी, जिसमें एक सिफारिश यह भी थी कि माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षा को पंचायती राज व्यवस्था से अलग किया जाए. माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ सरकार से इसकी मांग लगातार करते रहे हैं. इस बात की भी संभावना नजर आ रही है कि माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षा को प्रक्रिया को पंचायती राज व्यवस्था से अलग कर दिया जाए. हालांकि इसके लिए सरकार को पंचायती राज अधिनियम में संशोधन करना होगा.

वर्ष 2006 से अब तक शिक्षा में जो बड़े बदलाव हुए हैं, उनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही है. लक्ष्मीकांत सजल ने बताया कि चाहे बिहार में बालिका साइकिल योजना हो, पोशाक योजना हो या छात्रवृत्ति योजना, पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है. यही वजह है कि एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया में बदलाव को लेकर भी मिसाल पेश कर सकते हैं. आपको बता दें कि छठे चरण के तहत प्राथमिक शिक्षकों के 47000 से अधिक पद खाली रह जाएंगे. वहीं एक अनुमान के मुताबिक माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों के भी करीब 25000 पद खाली रह जाएंगे. यह तमाम वैकेंसी सातवें चरण में जुड़ जाएगी, जहां पहले से 50,000 से ज्यादा पद उपलब्ध हैं. ऐसे में सातवें चरण को लेकर जाहिर तौर पर हजारों शिक्षक अभ्यर्थियों की बेसब्री समझी जा सकती है.

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