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दिल्ली में सीएम नीतीश से BJP ने बनाई 'दूरी', क्या चिराग हैं अहम फैक्टर?

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Published : Jul 1, 2021, 8:41 AM IST

Updated : Jul 1, 2021, 10:43 AM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 8 दिन के बाद दिल्ली से पटना लौट आए हैं. वे वहां 'आंख दिखाने' गए थे लेकिन बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें राजनीतिक हैसियत का एहसास करा दिया. नीतीश कुमार के दिल्ली प्रवास के दौरान बीजेपी नेता 'दूर' ही रहे, पढ़ें पूरी खबर...

नीतीश से दिल्ली में दूरी
नीतीश से दिल्ली में दूरी

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) 8 दिनों के बाद दिल्ली से पटना बुधवार को लौट आए. नीतीश कुमार की आंख का इलाज तो हो गया लेकिन राजनीतिक मर्ज का इलाज शायद नहीं हो पाया. प्रधानमंत्री मोदी ( PM Modi ) और मुख्यमंत्री के बीच संवाद तो दूर की बात है. बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के किसी नेता ने सुशासन बाबू का कुशल क्षेम भी पूछना मुनासिब नहीं समझा. वहीं, अब राजद ( RJD ) ने नीतीश कुमार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार कुर्सी की लालच में एनडीए में अपमान सहकर मुख्यमंत्री बने हुए हैं.

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बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने हाल भी नहीं पूछा
लंबे अंतराल के बाद ऐसा मौका आया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक सप्ताह से ज्यादा समय दिल्ली में रहे. लेकिन भाजपा और जदयू ( BJP-JDU ) नेताओं के बीच गर्मजोशी नहीं दिखी. भाजपा के शीर्ष नेताओं ने मुख्यमंत्री से दूरी बनाए रखा. भाजपा के किसी बड़े नेता ने मुख्यमंत्री का कुशल क्षेम भी मिलकर पूछना जरुरी नहीं समझा.

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दरअसल, भाजपा के समक्ष एनडीए को एकजुट रखने की चुनौती है. चिराग पासवान ( Chirag Paswan ) और नीतीश कुमार के बीच आर पार की लड़ाई है. पशुपति पारस ने बगावत कर पार्टी को दो फाड़ कर दिया है. जदयू की मंशा यह है कि पशुपति पारस को केंद्र में मंत्री बनाया जाए लेकिन भाजपा चाहती है कि पहले चिराग पासवान पारिवारिक विवाद को सुलझाएं उसके बाद मंत्रिमंडल को लेकर कोई अंतिम फैसला हो. भाजपा को यह मालूम है कि अगर पशुपति पारस को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा तो चिराग पासवान महागठबंधन खेमे में चले जाएंगे.

जदयू का 'बदलापुर' मिशन
विधानसभा चुनाव और सरकार गठन के बाद से जदयू 'मिशन बदलापुर' में जुटी है. एक-एक करके लोजपा ( LJP Split ) से नेताओं को तोड़ा जा रहा है. पार्टी के एकमात्र विधायक को भी तोड़ दिया गया. इसके अलावा कई नेताओं को जदयू में शामिल कराया गया. पशुपति पारस ( Pashupati Paras ) को भी जदयू खेमे में लाने की तैयारी है. चिराग पासवान को राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए जदयू चाहती है कि पशुपति पारस को मंत्री बनाया जाए. इस तरह लोक जनशक्ति पार्टी पर उनका कब्जा बरकरार रहे.

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दौरे से पहले मुलाकात के लगाए जा रहे थे कयास
नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री की मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हो सकती है. लेकिन 8 दिनों के प्रवास के दौरान भाजपा के केद्रीय नेतृत्व ने उनसे दूरी बनाये रखी.

RJD ने नीतीश पर बोला तीखा हमला
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. राजद नेता ने कहा है कि नीतीश कुमार एक सप्ताह तक दिल्ली में रहे लेकिन भाजपा के किसी नेता ने उनकी सुधि नहीं ली. कुर्सी के लालच में नीतीश कुमार एनडीए की सरकार में मुख्यमंत्री बने हैं.

'नीतीश कुमार सत्ता के लिए अब अपमान और अभिमान सबकुछ भूल चुके हैं. मुख्यमंत्री 8 दिनों के लिए दिल्ली में आंख का इलाज करा रहे थे लेकिन भाजपा के एक सांसद ने भी नीतीश कुमार का हाल पूछने या देखने नहीं आया. आखिर क्या कारण है कि एनडीए में इतना अपमान आप सह रहे हैं. क्या कुर्सी के अलावा कोई और मामला तो नहीं है.' :- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

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जदयू ने किया बचाव
जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दौरा पूरी तरह निजी था. मुख्यमंत्री के दौरे को राजनीतिक दौरा नहीं समझा जाना चाहिए. विपक्ष ओछी राजनीति कर रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस दौरे का केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार से कोई लेना देना नहीं है.

'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आंखों के इलाज के लिए दिल्ली गए थे. कोई राजनीतिक प्रायोजन नहीं था. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं रह गया है.' :- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता
प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

जदयू-लोजपा विवाद के कारण बनाई दूरी
वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि भाजपा फिलहाल विवाद से बचना चाहती है. पार्टी लोजपा को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा मानती है. भाजपा नहीं चाहती है कि चिराग पासवान महागठबंधन में चले जाएं. जदयू और लोजपा की लड़ाई ने भाजपा को दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है. भाजपा बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में है. ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार अगर टल जाए तो कोई हैरत की बात नहीं होगी.

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Last Updated :Jul 1, 2021, 10:43 AM IST
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